गर किसी को चाहता है दिल वक्त-बेवक्त का न इंतज़ार कर किनारे खड़ी ये कश्ती दूर निकल जाएगी गर इश्क है तो इज़हार कर राह में जितनी तकलीफें आएं सबको तू पार कर बुलंद रख हौसला अपना जी भर के प्यार कर…
हवाएं चलने लगती है मौसम जवां होता है सौ-सौ लड्डू फूटते हैं ऐसा तो फिल्मों में होता है…
अकेले में जब खुद को अकेला पाता हूं मैं तूझे चाहता हूं मैं नादानियां कौन याद रखता है ? भूल जाता हूं मैं तूझे चाहता हूं मैं…
था मेरा स्वप्न बड़ा ही सुंदर ही जिस जगह तुम निखर रही थी सांसों में थी तुम सुगंधित बाजुओं में बिखर रही थी बड़ी ही जालिम थी निगाहें…
जेठ हो कि हो पूस, हमारे किसान को आराम नहीं है छूटे कभी संग बैलों का ऐसा कोई याम नहीं है मुख में जीभ शक्ति, भुजा में, जीवन में सुख का नाम नहीं है वसन कहां ? सूखी रोटी भी मिलती दोनों शाम नहीं है…
लफ्ज़ सर्द हो चले हैं पिघले तो कुछ कहूं रात अभी बाकी है सवेरा हो तो कुछ कहूं…
सितारों का साथ निभाने को चांद निकलता है रात का अंधियारा भगाने को सूरज निकलता है…
नेता हो अभिनेता हो या कोई बाबा टिका नहीं कोई टक्कर में बड़े-बड़े लटक गए हुस्न के चक्कर में…
सूरज की किरणों ने, सुबह को जगाया है देख फसल लहलहाती, किसान भी मुस्काया है जब से किसान ने अपनाया यह आचरण किसान का दोस्त बना कृषि जागरण…
रंगों का त्यौहार है ये प्रेम का कारोबार है ढोल-नगाड़ों और गायन में सब गा..रा...रा जोगिरा सारा...रा....रा…
Krishi Jagran