1. Home
  2. कविता

हम लड़के भी आखिर इंसान होते हैं

ज़िंदगी कि इस दोड़ में हम अपने सपने छोड़, परिवार के लिए कमाने लग जाते हैं, परिवार कि ज़िम्मेदारी लेते ही ,हम यूं हि बच्चे से बड़े बन जाते हैं. हम लड़के भी आखिर इंसान होते हैं

निशा थापा
निशा थापा
poem on boys
poem on boys

हाँ.. ,हम लड़के भी रोते हैं,

आखिर हमारे भी जज़्बात होते हैं.

हम भी माँ का वो प्यार चाहते हैं,

हम भी पापा का दुलार चाहते हैं.

हम भी कहना चाहते हैं हमारे दिल का हाल,

मगर इस दुनिया की सोच के द्वारा दबा दिये जाते हैं.

दुनिया हम से इज़्ज़त कि उम्मीद तो करती है,

मगर हम उनके सारे बुरे नामों के हकदार हो जाते हैं.

हाँ...,हम लड़के भी रोते हैं, आखिर हमारे भी जज़्बात होते हैं.

ज़िंदगी कि इस दोड़ में हम अपने सपने छोड़, परिवार के लिए कमाने लग जाते हैं,

परिवार कि ज़िम्मेदारी लेते ही ,हम यूं हि बच्चे से बड़े बन जाते हैं.

हाँ हम जानते है लड़की होना बहुत मुश्किल है इस दुनिया में,

यह भी पढ़ें: माँ पर कविता

मगर सिर्फ लड़का होने कि वजह से हम क्यों बुरे माने जाते हैं.

हम लड़के भी आखिर इंसान होते हैं.

कवि : अमन मुदगल

English Summary: peom on boys, hum lakde bhi insan hote hain Published on: 21 September 2022, 03:51 IST

Like this article?

Hey! I am निशा थापा . Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News