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पढ़िए प्रमोद की कविता - ‘गजल ये हिन्दुस्तान की’

रामायण की चौपाई और आयत ले के कुरान की, यारों मैंने लिख डाली एक ग़ज़ल ये हिंदुस्तान की। लेकर हर मज़हब की स्याही कलम भरी ईमान की, कर बंधन कर करी इबादत सर्व धर्म सम्मान की, यारों मैंने लिख डाली एक ग़ज़ल ये हिंदुस्तान की।

KJ Staff
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रामायण की चौपाई और आयत ले के कुरान की,
यारों मैंने लिख डाली एक ग़ज़ल ये हिंदुस्तान की।
लेकर हर मज़हब की स्याही कलम भरी ईमान की,
कर बंधन कर करी इबादत सर्व धर्म सम्मान की,
यारों मैंने लिख डाली एक ग़ज़ल ये हिंदुस्तान की।

कोई शब्द सुनहरा हिंदी का कोई उर्दू का अल्फ़ाज़ लिखा, 
मैंने अपनी भारत माँ का सुंदर-सा इतिहास लिखा।
बैठकर मंदिर की पेढ़ी पर मस्जिद का अहसास लिखा,
अमृतसर के स्वर्ण शिखर पर मुरली का महारास लिखा।

शंख बजाकर गाई आरती सरगम सुनी अजान की,
यारों मैंने लिख डाली एक गजल ये हिंदुस्तान की।
वाहे गुरु के ग्रंथों के संग पैगंम्बर का पंथ लिखा,
सूर श्याम रैदास कवि रसख़ान-सा सूफी संत लिखा।
पच्चीस दिसम्बर के पन्नो  पर श्रीमद् गीतासार लिखा,
ख्वाजा के दरबार में मैंने माँ मरियम का प्यार लिखा।

दीवाली के दीप जलाकर रात लिखी रमजान की,
यारों मैंने लिख डाली एक ग़ज़ल ये हिंदुस्तान की।
नत मस्तक हो अमर ज्योति पर शहीदों का सम्मान लिखा,
सावरकर सरदार भगत सिंह बिस्मिल का बलिदान लिखा।

हल्दी घाटी की माटी से देश का  स्वाभिमान लिखा,

लाल किले पर लहराता ये झंडा हिंदुस्तान लिखा।

जन मन गण की कलम  चलाई राष्ट्र भक्ति के गान की,

यारों मैंने लिख डाली एक ग़ज़ल ये हिंदुस्तान की।

लेखक: प्रमोद सनाढ्य "प्रमोद"

English Summary: read hindi poem ghazal ye Hindustan ki Published on: 26 July 2021, 02:04 IST

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