Information on Breeds in Goat Farming: ग्रामीण क्षेत्रों में बकरी पालन करना बहुत लोकप्रिय होता जा रहा है, क्योंकि यह मात्र एक ऐसा व्यवसाय है, जिसको ग्रामीण क्षेत्र के लोग कम निवेश में आसानी से शुरू कर सकते हैं और ज्यादा मुनाफा भी कमा सकते हैं.
बकरी पालन की सबसे खास बात यह है कि इसके लिए आपको ज्यादा ज्ञान और देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती है. इसके साथ ही केंद्र व राज्य सरकारें भी बकरी पालन को बढ़ावा देने के लिए तमाम प्रयास करती हैं. इतना ही नहीं, बकरी पालन के लिए बैंक भी लोन उपलब्ध कराता है. तो अगर आप भी बकरी पालन में रूचि रखते हैं, तो आज कृषि जागरण के इस लेख में बकरी की दो ऐसी नस्लों की जानकारी पढ़िए, जिससे आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
किस नस्ल की बकरियों को लाएं घर? (Which breed of goats to bring home?)
अक्सर किसान बकरी पालन करने से पहले सोचते हैं कि वह बकरी की ऐसी कौन-सी नस्ल का पालन करें, तो उन्हें बढ़िया मुनाफा दे सके. तो ऐसे में आप बकरी की दुंबा और उस्मानाबादी नस्ल का पालन कर सकते हैं. इन्हें पालकर आप बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं.
दुंबा बकरी (Dumba Goat)
यह नस्ल सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में पाई जाती है. कहा जाता है कि बाजारों में बकरीद के दौरान दुंबा नस्ल की मांग काफी बढ़ जाती है. इस नस्ल की खासियत यह है कि इसका बच्चा सिर्फ 2 महीने में 30,000 रुपए तक बिक जाता है, क्योंकि इसका वजन 25 किलो तक होता है. इनकी कीमत 3 से 4 महीने बाद 70 से 75 हजार रुपए तक पहुंच जाती है.
उस्मानाबादी बकरी (Osmanabadi Goat)
बकरी की यह नस्ल महाराष्ट्र के उस्मानाबादी जिले में सबसे ज्यादा मिलती है, इसलिए इसे उस्मानाबादी बकरी कहा जाता है. इस नस्ल का पालन दूध और मांस उत्पादन दोनों के लिए ही किया जाता है. बता दें कि इसके वयस्क नर बकरी का वजन लगभग 34 किलो होता है, तो वहीं मादा बकरी का वजन 32 किलो तक होता है.
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बकरी पालन पर मिलती है सब्सिडी (Subsidy is available on goat rearing)
आपको बता दें कि अगर आपके पास बकरी पालन करने के लिए पूंजी नहीं है, तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है. दरअसल, नेशनल लाइव स्टॉक के तहत बकरी पालन के लिए सस्ते ब्याज दर पर लोन दिया जाता है. वहीं कई राज्य सरकारें भी किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी देती हैं.
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