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मिश्रित प्रजातियों का मछली पालन करके कमाएं मोटा मुनाफा, हर साल होगी लाखों की कमाई

भारत में पिछले कुछ सालों से मीठे जल में मछलियों के पालन का चलन तेजी से बढ़ा है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इस व्यवसाय में किसानों को लागत कम आती है, वहीं मुनाफा अधिक होता है. साथ ही आजकल मछली के मांस की डिमांड भी बाजार में अधिक है. ऐसे में यह व्यवसाय गांवों, कस्बों और शहरों में तेजी से फलफूल रहा है. यदि आप मीठे पानी में मछली पालन का व्यवसाय कर अच्छा लाभ कमाना चाहते हैं, तो मिश्रित प्रजातियों का मछली पालन करना चाहिए. इससे किसानों को अधिक मुनाफा और लागत कम होती है.

श्याम दांगी
श्याम दांगी
Fish Farming
Fish Farming

भारत में पिछले कुछ सालों से मीठे जल में मछलियों के पालन का चलन तेजी से बढ़ा है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इस व्यवसाय में किसानों को लागत कम आती है, वहीं मुनाफा अधिक होता है. साथ ही आजकल मछली के मांस की डिमांड भी बाजार में अधिक है.

ऐसे में यह व्यवसाय गांवों, कस्बों और शहरों में तेजी से फलफूल रहा है. यदि आप मीठे पानी में मछली पालन का व्यवसाय कर अच्छा लाभ कमाना चाहते हैं, तो मिश्रित प्रजातियों का मछली पालन करना चाहिए. इससे किसानों को अधिक मुनाफा और लागत कम होती है. 

मिश्रित देशी प्रजातियां (Mixed native species)

मछली पालन के दौरान सबसे बड़ी समस्या है खाद्य पदार्थ के सही वितरण की. कई बार या तो सभी मछलियों को भोजन पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाता है या फिर आवश्यकता से अधिक खाद्य पदार्थ डालने के कारण भोजन व्यर्थ होता है. ऐसे में तालाब में भोजन के समुचित उपयोग के लिए देशी प्रजातियों में कतला, रोहू और मृगल प्रजातियों का मिश्रित पालन करना चाहिए.

दरअसल, यह तीनों प्रजातियां भोजन के लिए प्रतिस्पर्धा नहीं करती है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि जहां कतला मछली सतह, रोहू मध्य और मृगल तालाब के तल के भोजन का सेवन करती है.

विदेशी प्रजातियां इस प्रकार हैं (Exotic species are as follows)

कतला, रोहू और मृगल की तरह ही विदेशी प्रजातियों में सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प तथा कामन कार्प भोजन के लिए किसी प्रकार की प्रतिस्पर्धा नहीं करती है. कतला की तरह सिल्वर कार्प जल की सतह, रोहू की तरह ग्रास कार्प मध्य और मृगल की तरह कामन कार्प तालाब की सतह का भोजन ग्रहण करती है.

इन 6 प्रजातियों को एक साथ करें पालन (Follow these 6 species together)

मत्स्य पालन के विशेषज्ञों का सुझाव है कि अधिक मुनाफा कमाने के लिए इन 6 प्रजातियों का एक साथ पालन किया जा सकता है, जिससे लागत कम और मुनाफा अधिक मिलता है. इसके लिए कतला, सिल्वर कार्प, रोहू, क्रास कार्प, मृगल तथा कामन कार्प को 20ः20ः20ः15ः15ः15 में संचयन करना चाहिए. 

कैसे करें मछली बीज का संचयन? (How to Harvest Fish Seeds?)

तालाब में मछली बीज संचयन के पहले एक पॉलीथीन पैकेट में पानी तथा ऑक्सीजन भर लें. इसके बाद इस पैकेट को तालाब में रखें. इस दौरान पैकेट में तालाब के पानी का प्रवेश कराएं, इससे समतापन के लिए वातावरण तैयार हो जाता है. इसके बाद तालाब में मत्स्य बीज को धीरे-धीरे निकालना चाहिए.

बीज संचयन के बाद भोजन (Meal after seed harvesting)

तालाब में मछलियों के बीज संचयन के बाद यदि तालाब में भोजन कम है तो चावल की भूसी या सरसों या मूंगफली की खली 1800 से 2700 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर प्रतिवर्ष डालना चाहिए. भोजन के सही उपयोग के लिए मछलियों को एक निश्चित समय पर भोजन देना चाहिए. इससे आहार व्यर्थ नहीं जाता है.

इसके लिए खाद्य पदार्थ को बोरों में भरकर डंडों के सहारे लटका दिया जाता है. वहीं इस बोरे में छोटे-छोटे छिद्र कर देना चाहिए. ध्यान रहे बोरे को कुछ भाग ऊपर  और अधिकांश भाग तालाब में डूबा  होना चाहिए.

मिश्रित मछली पालन से मुनाफा (Profit from mixed fish farming)

मछलियां 12 से 18 महीने के बाद जब 1 से 1.5 किलोग्राम की हो जाएं, तब मछलियों की निकासी कर लेना चाहिए. जिसे थोक भाव में 50 से 80 रूपये किलो तथा खेरची में 140 से 200 रूपये किलो तक बेचा जा सकता है. बता दें कि मिश्रित मत्स्य पालन में पहले साल 18 से 30 हजार रूपये तक का खर्च आता है. वहीं एक साल में लगभग 3000 किलोग्राम मछलियों को उत्पादन किया जा सकता है. इस तरह सालाना लगभग 2 से 2.5 लाख रूपए का मुनाफा लिया जा सकता है.  

English Summary: earn big profits by rearing mixed species of fish, earning millions every year Published on: 20 July 2021, 01:23 IST

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