आज हम आपको पंजाब प्रांत में प्रमुख रूप से पाई जाने वाली बीटल नस्ल की बकरियों (Beetel Breed Goats) के बारे में बताने जा रहे हैं. पंजाब के अमृतसर, फिरोजपुर और जिलों में आपको बड़ी आसानी से ये बकरी देखने को मिल जाएंगी, इसका ज्यादातर पालन वहां के लोग दूध व्यापार (Dairy Business) और मीट (Meat) के लिए करते हैं. पंजाब के डेयरी उद्योग में इस बकरी का बड़ा योगदान है. तो आइए आज हम आपको बीटल नस्ल की बकरियों के बारे में विस्तार से बताते हैं...
बीटल नस्ल की बकरी की कद-काठी और शरीर (Body Structure of a beetle goat)
इस किस्म की बकरियों को आप आसानी से पहचान सकते हैं. इनके कान लटके हुए और टांगे लंबी होती हैं. जबकि पूंछों का आकार छोटा और सींग पीछे की तरफ मुड़े हुए पतले होते हैं. इस नस्ल के नर बकरों का वजन 60 किलो तक हो सकता है, जबकि मादा बकरी 35 से 40 किलो तक की हो सकती है. लंबाई के मामले में नर बकरे 86 सेंटीमीटर तक हो सकते हैं और मादा बकरी 71 सेंटीमीटर के लगभग हो सकती है.
बीटल नस्ल की बकरी कितना देती है दूध (How much does beetle goat give milk)
बीटल किस्म की बकरियों की सबसे बड़ी खासियत है कि ये रोजाना 2 से 4 किलो तक दूध दे सकती है. ये एक ही ब्यांत से आपको 150 200 किलो तक दूध दे सकती है.
बीटल नस्ल की बकरी का चारा (Beetle breed goat feed)
बीटल किस्म की बकरी का हाव-भाव जिज्ञासु प्रवृत्तिकी होता है. यह भोजन में खट्ठा, मीठा, नमकीन और कड़वा कुछ भी खा सकती है. इसका मुख्य आहार लोबिया, बरसीम और लहसुन है, जिसे ये बड़े चाव से खाती है.
इसके अलावा आप इसे मटर, ग्वार, मक्का और जौ जैसे अनाज भी दे सकते हैं. अगर आपके यहां पीपल, आम, नीम, अशोका या बरगद का पेड़ है, तब तो भोजन की आधी समस्या ही समाप्त हो जाती है, क्योंकि इन पत्तियों को भी ये बड़े चाव से खाती है.
बीटल नस्ल की बकरी की कीमत (Beetle breed goat price)
बीटल किस्म की बकरी एक साल में तीन से चार बच्चे पैदा करती है. जिनकी कीमत बाजार में लगभग तीन हजार रूपए प्रति मेमना होती है.
बीटल नस्ल की गाभिन बकरियों की देखरेख (Beetle breed care of pregnant goats)
गाभिन बकरियों की विशेष देखभाल जरूरी है. ब्याने के 6-7 सप्ताह पहले इनका दूध निकालना बंद कर दें, वहीं ब्याने के 15 दिन पहले से इन्हें साफ सुथरे कमरे में रखना शुरू कर दें.
बीटल नस्ल की बकरी का टीकाकरण (Beetle breed goat vaccination)
गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए इन्हें कई तरह के टीके लगवाने जरूरी है. सीडीटी, सीडी और टीका इन्हें याद से लगवाएं, इसी तरह किसी मेमने के जन्म पर उसे टिटनेस का टीका देना न भूलें.
बीटल नस्ल की बकरी की प्रमुख बीमारियां (Major diseases of beetle breed goat)
कोकसीडियोसिस (Coccidiosis Disease)- इस बीमारी के प्रभाव में इस बकरी के छोटे बच्चों को बुखार, डायरिया, डीहाइड्रेशन की समस्या होती है. इसमें बच्चों का वजन भी तेजी से कम होता है. इस बीमारी से बचाव के लिए इन्हे 5-7 दिनों पर बायोसिल दवाई दी जानी चाहिए.
अफारा ( Flatulence Disease)- इस बीमारी में बकरियां तनाव में रहना शुरू कर देती हैं, वो लगातार अपने दांतों को पीसती रहती हैं और मांसपेशियों को हिलाती है. इस बीमारी के उपचार के लिए सोडा बाइकार्बोनेट दिया जाना चाहिए.
थनैला रोग (Mastitis Disease )- इस बीमारी में बकरियां का लेवे गर्म और सख्त होने लगता है और भूख में भी कमी आनी शुरू हो जाती है. इस बीमारी के उपचार के लिए विभिन्न तरह के एंटीबायोटिक मौजूद हैं जैसे सी डी पेंसीलिन, एंटीऑक्सिन, बेनामाइन, नुफ्लोर आदि दिया जाना चाहिए.
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