 
            हमारे देश के किसान खेती-बाड़ी को बहुत प्रमुखता देते हैं, तो वहीं किसानों के लिए आमदनी का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत पशुपालन भी है. ऐसे में केंद्र सरकार पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए तमाम योजनाएं चला रही है.
इसी के तहत केंद्र सरकार द्वारा साल 2014 में 2025 करोड़ रुपए के बजट के साथ राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना http://dahd.nic.in/rashtriya-gokul-mission की शुरुआत की गई थी. इस योजना के तहत स्वदेशी गोजातीय नस्लों का विकास किया जाता है, साथ ही उनके संरक्षण पर ध्यान दिया जाता है. इसके अलावा योजना किसानों की आमदनी में इजाफा करने में मदद करती है.
विदेशी नस्ल के मवेशियों के पालन का चलन बढ़ा
अगर पिछले कुछ सालों की बात करें, तो किसानों के बीच विदेशी नस्ल के मवेशियों को पालन का चलन बढ़ा है. विशेषज्ञों का मानना है कि ये विदेशी पशु जलवायु परिवर्तन से सामंजस्य नहीं बिठा पाते हैं, जिससे इनका पालन कोई बेहतर विकल्प नहीं हैं. अगर पशुपालन और डेयरी विभाग के आंकड़ों को देखा जाए, तो भारत में इसमें से 80 प्रतिशत मवेशी स्वदेशी और गैर-वर्णित नस्ल के पाए जाते हैं.
राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना का उद्देश्य
इस योजना के तहत सरकार स्वदेशी नस्लों को बढ़ावा देती है. इसके साथ ही कई अन्य उद्देश्यों पर भी काम कर रही है. यह योजना किसानों को वह सभी सुविधा देने के लिए प्रयासरत है, जिससे उनके लिए पशुपालन आसान हो सके. इसके अलावा पशुपालन का लाभ उठाकर अपने जीवनस्तर में सुधार कर सकें.
अन्य उद्देश्य
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स्वदेशी नस्लों के विकास और संरक्षण का उद्देश्य है, ताकि आनुवंशिक संरचना में सुधार हो सके. 
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पशुओं की संख्या में वृद्धि हो. 
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रोगों के प्रसार को नियंत्रित करना. 
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दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देना. 
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गिर, साहीवाल, राठी, देओनी, थारपरकर, लाल सिंधी जैसी स्वदेशी नस्लों का उपयोग करके बाकी नस्लों की गायों का विकास करना. 
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रोग मुक्त उच्च आनुवंशिक गुणता वाले बैलों का वितरण करना. है 
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किसानों के घर पर गायों और भैंसों के गुणवत्तापूर्ण कृत्रिम गर्भाधान (एआई) सेवाओं की व्यवस्था करना है. 
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किसानों को जोड़ने के लिए बोवाइन जर्मप्लाज्म के लिए ई-मार्केट पोर्टल बनाना है. 
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पशुधन और उसके उत्पादों के व्यापार में वृद्धि करना 
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किसानों की आमदनी में इजाफा करना. 
पशुपालन क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए दिए जाते हैं पुरस्कार
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सरकार की तरफ से पशुपालन करने वालों के लिए पुरस्कार दिए जाने का भी प्रावधान है. 
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हर साल पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा दूसरे और तीसरे स्थान के लिए गोपाल रत्न और कामधेनु पुरस्कार दिया जाता है. 
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जो किसान स्वदेशी नस्लों के गोजातीय पशुओं के पालन में उत्कृष्ट काम करते हैं, उन्हें गोपाल रत्न पुरस्कार दिया जाता है. 
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इसके साथ ही गोशालाओं और सर्वोत्तम प्रबंधित ब्रीडर्स सोसायटी को कामधेनु पुरस्कार दिया जाता है. 
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इस मिशन के तहत 2017-18 से अब तक 22 गोपाल रत्न और 21 कामधेनु पुरस्कार दिए जा चुके हैं. 
 
                 
                     
                     
                     
                     
                                         
                                             
                                             
                         
                         
                         
                         
                         
                    
                
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