ICAR और कृषि से जुड़े अन्य संस्थान उन्नत किस्मों के साथ ही साथ ज्यादा पैदावार के लिए लगातार वैज्ञानिक खोजों की जानकारी किसानों तक पहुंचाते रहते हैं. इसी बीच वैज्ञानिकों ने गेंहूं की दो और जौ की एक नई किस्म की पहचान की है. वैज्ञानिकों के अनुसार यह नई पहचानी गई किस्में उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों में दो अधिक उपज देने वाली किस्में हैं.
गेहूं की दो पहचानी गई किस्मों के नाम HD3386 और WH1402 हैं. गेहूं की पहचानी गई नई किस्में आईसीएआर-भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने महाराणा प्रताप कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, राजस्थान के सहयोग से निजात की हैं.
अलग किस्में अलग जगह पर देंगी बम्पर पैदावार
वैज्ञानिकों द्वारा खोजी गई यह किस्में देश में खाद्यान्न के उत्पादन में तो वृद्धि करेंगी ही साथ ही किसानों के लिए गेहूं और जौ के लिए नई वैरायटी भी उपलब्ध होंगी. गेहूं की GW547 समय पर बोई गई सिंचित भूमि के लिए और CG1040 और DBW359 को असिंचित भूमि के लिए पहचाना गया है. इसके साथ ही प्रायद्वीप के प्रतिबंधित सिंचाई क्षेत्रों के लिए DBW359, NW4028, UAS478, HI8840 और HI1665 गेहूं की किस्मों को पहचाना गया है. वैज्ञानिकों ने बताया कि माल्ट जौ किस्म DWRB219 की पहचान भी उत्तर-पश्चिम के सिंचित क्षेत्रों के लिए पहचानी गई है.
यह भी पढ़ें- भारत सरकार ने किसानों के लिए जारी कीं धान की 27 नई किस्में, जानें किन राज्यों के किसान कर सकते हैं इनकी खेती
देश के विभिन्न हिस्सों के शोधकर्ताओं ने लिया भाग
आईसीएआर-आईआईडब्ल्यूबीआर, करनाल के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह के अनुसार अखिल भारतीय गेहूं और जौ सम्मलेन में भारत के विभिन्न हिस्सों के शोधकर्ताओं ने हिस्सा लिया था. आईसीएआर किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और निजी बीज कंपनियों के साथ नई जारी किस्मों DBW370, DBW371, DBW372, DBW316 and DDW55 लाइसेंस प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. संस्थान के द्वारा बीजों के लिए चलाया जा रहा पोर्टल भी 15 सितमबर से शुरू हो चुका है.
Share your comments