हर कोई अपने-अपने तरीके से सफलता हालिस करना चाहता है. कुछ लोग पढ़ाई लिखाई कर नौकरी करने लगते हैं तो कुछ अपना काम शुरू कर देते हैं. रोजगार की वजह से कई लोगों को अपना घर-परिवार को छोड़कर दूर रहना पड़ता है. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि अगर अलग तरह की खेती की जाए तो ये बहुत मुनाफे का सौदा हो सकता है. कुछ ऐसा ही पंजाब में पठानकोट के एक युवक ने किया, जिसने खेती के लिए अपनी अच्छी-खासी नौकरी को लात मार दी, और आज उसकी जिंदगी में वो सबकुछ है जो उसे चाहिए था. चलिए जानते हैं कि एक युवा किसान पंजाब में ड्रेगन फ्रूट की खेती कर कितना कमा रहा है?
आज के समय में नौकरी हासिल करना आसान बात नहीं है, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या नौकरी से आप पूरी तरह खुश हैं. अगर खुश नहीं है तो आपके पास और ऐसे कौन से मौके हैं जिन्हे अपनाकर जीवन खुशहाल बना सकते हैं. ऐसे में पठानकोट के एक युवक ने नौकरी छोड़ किसानी को चुना है. जी हां, आपको जानकार हैरानी होगी कि 10 लाख रूपए प्रति वर्ष कमाने की जगह उस युवक ने कृषि को अपना धंधा बनाया. यह कहानी है जंगला निवासी रमन सलारिया की, जिन्होंने सीनियर इंजीनियर की जगह किसान कहलाना अधिक पसंद किया. आज अपने क्षेत्र में वो ड्रैगन फ्रूट की खेती करते हैं.
अलग तरह की किसानी बना सकती है मालामाल
पठानकोट का जंगला क्षेत्र वैसे तो कृषि के लिए ही जाना जाता है, लेकिन यहां आम तौर पर गेहूं, धान आदि मौसमी फसलों की ही खेती की जाती है. ऐसे में इन फसलों की अपेक्षा ‘ड्रैगन फ्रूट’ की बागवानी शुरू करना निसंदेह रमन के लिए आसान कदम नहीं था. हालांकि इस नए काम में परिवार का सहयोग उन्हें हर तरह से मिलता रहा, लेकिन शुरुआत में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
इसलिए छोड़ी नौकरी
रमन सलारिया के मुताबिक नौकरी से उन्हें अच्छी आय हो रही थी. इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद अच्छी कमाई की अन्य संभावनाएं भी थी, लेकिन उनका मन सदैव खेती की तरफ भागता रहा. दिल्ली पूसा कृषि विश्वविद्यालय में कार्यरत एक दोस्त के साथ मुलाकात कर उन्हें ड्रैगन फ्रूट की पैदावार के बारे में जानकारी मिली. खेती से उनका लगाव ही शायद वो कारण था कि जानकारी मिलने भर से वो नहीं माने और आखिरकार स्वयं ‘ड्रैगन फ्रूट’ की फार्मिंग करने लगे.
गुजरात से खरीदा पौधा
गांव जंगला में आज रमन 10 एकड़ जमीन के मालिक हैं. इस जगह पर वो अपने परिवार सहित किसानी करते हैं. पौधों के बारे में बताते हुए वो कहते हैं कि इन्हें पहली बार गुजरात से मंगवाया था, उस समय इतना बड़ा मुनाफा होगा, ऐसा अंदाजा नहीं था. लेकिन आज इन पौधों की खेती से एक साल में डेढ़ लाख से अधिक का मुनाफा हो जाता है.
आठ माह में देता है फल
ड्रैगन फ्रूट के पौधों की रोपाई मार्च माह में की जाती है औऱ जुलाई में इसके फूल फूटकर बाहर आते हुए फलों में बदल जाते हैं. सितंबर के पहले सप्ताह या अक्तूबर के अंत तक इसके फल पक जाते हैं. इस हिसाब से देखा जाए, तो मात्र आठ माह में ही इस पौधे से फल की प्राप्ति होने लग जाती है. हालांकि पूरी तरह से तैयार होने में इस पौधे को कम से कम तीन साल का समय लग जाता है.
कम पानी में भी तैयार हो जाते हैं पौधें
इन पौधों के बारे में बताते हुए रमन कहते हैं कि ड्रैगन फ्रुट की खेती छोटा और सामान्य किसान भी कर सकता है. इसकी खेती में बहुत अधिक लागत नहीं आती, न ही इसे अधिक सिंचाई की जरूरत होती है. जिन जगहों पर पानी की समस्या है, वहां भी इसे ‘ड्रिप इरिगेशन’ के माध्यम से लगाया जा सकता है. तीन साल बाद ही पौधे अपनी पूरी क्षमता के साथ फलों से लबालब भर जाते हैं. उसके बाद अगर किसान चाहे तो उसकी कलम काटकर नया पौधा तैयार कर सकता है.
विदेशों में भी है मांग
इसके फलों की मांग भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खूब है. रमन बताते हैं कि अगर औसत कमाई की बात भी करें तो छोटे जमीन पर किसान प्रतिवर्ष 1 लाख रुपए तक का मुनाफा कमा सकता है. हमारे देश में अभी मांग अधिक और पैदावार कम होने की वजह से इसके अच्छे दाम मिल जाते हैं.
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