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बीमारी रोधक बीज से बढ़ेगी फसलों की पैदावार, पढ़िए पूरी ख़बर

हमेशा किसानों को फसल की बुवाई से लेकर कटाई तक की चिंता रहती है कि कहीं उनकी फसल बर्बाद ना हो जाए, कहीं उन्हें आर्थिक नुकसान ना उठाना पड़ जाए. मगर अब किसानों को आने वाले समय में आलू, गेहूं और धान का बीमारी रोधक बीज मिलेगा.

प्राची वत्स
Wheat Cultivation
Wheat Cultivation

हमेशा किसानों को फसल की बुवाई से लेकर कटाई तक की चिंता रहती है कि कहीं उनकी फसल बर्बाद ना हो जाए, कहीं उन्हें आर्थिक नुकसान ना उठाना पड़ जाए. मगर अब किसानों को आने वाले समय में आलू, गेहूं और धान का बीमारी रोधक बीज मिलेगा.

दरअसल, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक फसली नुकसान से बचाने के लिए बीमारी रोधक बीज विकसित कर रहे हैं. जिससे पौधों को कोई नुकसान नहीं होगा. हाईब्रीड बीज से फसलों की पैदावार बढ़ेगी और किसानों की आर्थिकी भी सुधरेगी. केंद्रीय आलू अनुसंधान परिषद (सीपीआरआई) के वैज्ञानिक दो साल के भीतर आलू का हाईब्रीड बीज विकसित कर लेगी ताकि फसल में बीमारियों और वायरस की मार ना पड़ सके.

सीपीआरआई में देशभर के 200 वैज्ञानिकों ने चिंता जताई कि देश में हर साल बीमारियों से 65 मिलियन टन फसलों का नुकसान होता है. वहीं, अगर बागवानी फसलों की बात करें तो  यह क्षति 70 फीसदी तक होती है. अन्य देशों की तुलना में भारत में 467 ग्राम प्रति हेक्टेयर कीटनाशक दवाएं उपयोग होती हैं. इन दवाओं की 60 फीसदी तक खपत कपास में होती है. वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया कि  केंद्र सरकार वैज्ञानिकों से सलाह लेकर कीटनाशक नीति निर्धारित करे. 

सीपीआरआई में खाद्य सुरक्षा के लिए पौधों की बीमारियों पर नियंत्रण और प्रबंधन पर दो दिवसीय कार्यशाला शुरू हुई है. मुख्य अतिथि कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति डॉ. एचके चौधरी ने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों को फसलों पर लगने वाले रोगों से निपटने के लिए लैब और खेतों पर बारीक नजर रखने की जरूरत है.  

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33 करोड़ लोगों की जरूरतें हो सकती है पूरी 

कार्यशाला में डॉ. पीके चक्रवर्ती ने कहा कि देश में उपयोग होने वाले कीटनाशकों में से 60 फीसदी कपास की खेती में प्रयोग होते हैं. फसल को रोगों से बचाकर 33 करोड़ लोगों की जरूरत पूरी हो सकती है. वहीं, डॉ. बीएल जलाली ने कहा कि फसलों पर बीमारियां लगने से हर साल करीब 25 से 30 फीसदी फसलें तबाह होती हैं. कृषि क्षेत्र में नैनो तकनीक सहित अन्य आधुनिक कृषि तकनीकों से उत्पादन बढ़ा सकते हैं. सीपीआरआई के निदेशक डॉ. एनके  पांडे ने भी इस दौरान अपने विचार रखे.

क्या है भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद !

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद भारत सरकार के कृषि मंत्रालय में कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के तहत एक स्वायत्तशासी संस्था है. रॉयल कमीशन की कृषि पर रिपोर्ट के अनुसरण में सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत और 16 जुलाई 1929 को स्थापित इस सोसाइटी का पहले नाम इंपीरियल काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च था.

इसका मुख्यालय नयी दिल्ली में है. यहाँ कृषि और किसानों से जुड़ी समस्याओं का हल विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है. सिर्फ इतना ही नहीं किसानों की खेती-बाड़ी की भी सलाह दी जाती है. साथ ही नई-नई किस्मों को भी यहाँ वातावरण और जलवायु के अनुकूल विकसित किया जाता है. 

English Summary: Potato, wheat and paddy yield will increase with disease resistant seeds Published on: 07 December 2021, 04:53 PM IST

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