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अब खारे पानी में भी होगी धान की खेती, जानिए कैसे?

भारत की कृषि व्यवस्था पर चर्चा करें, तो यह मुख्यतः चार भागों में बांटी है इसका विभाजन. भोगौलिक आधारों पर निर्धारित किया गया है. इसके अनुकूल खेती-बाड़ी की जाती है. इतना ही नहीं, हमारे देश के सभी कृषि अनुसंधान केंद्र वातावरण और जलवायु के अनुसार बीजों को विकसित करते आए हैं, जिसका लाभ किसानों को मिलता है.

प्राची वत्स
paddy cultivation
Paddy Cultivation.

भारत की कृषि व्यवस्था पर चर्चा करें, तो यह मुख्यतः चार भागों में बांटी है इसका विभाजन. भोगौलिक आधारों पर निर्धारित किया गया है. इसके अनुकूल  खेती-बाड़ी की जाती है. इतना ही नहीं, हमारे देश के सभी कृषि अनुसंधान केंद्र वातावरण और जलवायु के अनुसार बीजों को विकसित करते आए हैं, जिसका लाभ किसानों को मिलता है.

वहीं, अगर पश्चिम बंगाल की बात करें, तो यहां के किसानों को लिए एक राहत भरी खबर आई है. खासकर उन किसानों के लिए जो धान की खेती करते हैं. यह खबर इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि बंगाल में जवाद तूफान से होने वाले नुकसान की भविष्यवाणी की जा रही है. ऐसे समय में किसानों के लिए धान की एक ऐसी किस्म की चर्चा की जा रही है, जिसने यास और अम्फान चक्रवात तुफान के दौरान चावल के नुकसान को कम करने में मदद की थी.

तूफानों में भी 2.7 लाख टन उत्पादन की उम्मीद

बंगाल या पूर्वी तट से सटे जितने भी राज्य हैं, वहां तूफानों का खतरा किसानों को काफी ज्यादा रहता है. तूफानों की वजह से किसानों की फसल खेतों में ही रह जाती हैं. मुनाफा तो दूर की बात है किसान लागत तक नहीं निकाल पाते हैं. ऐसे में बंगाल सरकार द्वारा सार्वजनिक वितरण के तहत मुफ्त वितरण के लिए फसल – नोना स्वर्ण (जिसका अनुवाद ‘सलाइन गोल्ड’ है)  को न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,950 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदा गया है. तटीय क्षेत्रों में खारे पानी से खड़ी फसलों को बार-बार होने वाले नुकसान को रोकने के लिए पूर्वी मिदनापुर, उत्तर और दक्षिण 24 परगना के चार लाख से अधिक किसानों को 50,000 हेक्टेयर से अधिक में नोना स्वर्ण का उत्पादन करने का लक्ष्य दिया है.

कृषि वैज्ञानिकों ने किया है विकसित

मुख्यमंत्री के कृषि सलाहकार प्रदीप मजूमदार ने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों ने बंगाल में नोना स्वर्ण विकसित किया है. उन्होंने कहा कि  बंगाल राज्य बीज निगम ने किसानों की मदद के लिए बीज का उत्पादन किया है. इस किस्म का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने से पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसका उत्पादन किया गया था. इसके बाद बड़े पैमाने पर खेती की जा रही है.

क्या है नोना स्वर्ण !

नोना स्वर्ण नवीनतम सफलता की कहानी है, क्योंकि वैज्ञानिक पारंपरिक उच्च उपज देने वाली किस्मों के लिए लवणता प्रतिरोधी किस्मों के साथ किसानों की मांग को संतुलित करने का प्रयास करते हैं. सुंदरबन में फील्ड परीक्षणों में लगभग 12-16 लवणता प्रतिरोधी किस्मों पर व्यापक रूप से शोध किया जा रहा है, जिसमें एक ‘दुधेश्वर’ भी शामिल है, जो अब तक का पसंदीदा है.

ये भी पढ़ें: वैज्ञानिक विधि से धान की उन्नत खेती करने का तरीका

सामान्य चावल की तरह है इसका भी स्वाद

कृषक बंधु योजना के तहत शुरू में वितरित किए गए बीज 17 जून को को बोए गए थे. वहीं, फसल नवंबर में कटाई के लिए तैयार हो गई. बताया जा रहा है कि पहले पानी निकालने के लिए पंपों का इस्तेमाल किया गया, फिर मिट्टी में मौजूद नमक को कम किया, फिर उसमें नए बीज लगाए गए. इस तरह चावल का स्वाद “सामान्य” चावल जैसा ही होता है.

किसानों के बीच बाटें गए थे बीज

मुख्यमंत्री के कृषि सलाहकार प्रदीप मजूमदार ने कहा कि बीज बोते समय कुछ समस्याएं आई थीं, इसलिए  हमने सामुदायिक खेती के माध्यम से नए प्रकार के बीज बोने के लिए उन्नत भूखंडों का चयन किया. इसके तहत 1,840 सामुदायिक नर्सरी में बीज बेड बनाए गए थे. मई 2021 में चार लाख किसानों के बीच  1,220 टन बीज वितरित किए गए थे. किसानों के बीच 6 किलो प्रति बीघा कीट के साथ उन्हें सूक्ष्म पोषक तत्व, जिंक और बीज टेस्ट करने के लिए केमिकल भी दिए गए थे.

English Summary: Now farmers will cultivate paddy without fear of storms Published on: 08 December 2021, 01:59 PM IST

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