किसानों की जीवन खेतीबाड़ी पर ही निर्भर होता है. अगर खेत में खड़ी फसल को थोड़ा सा भी नुकसान हो, तो किसान की मेहनत खराब हो जाती है. किसान खेतीबाड़ी से अधिक से अधिक मुनाफ़ा कमाना चाहता है. सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए तमाम प्रयास कर रही है.
अगर किसान खेतों की मेड़ पर कुमट का पेड़ लगाता है, तो इससे वह बहुत अच्छा मुनाफ़ा कमा सकता है. बता दें कि कुमट के पेड़ से गोंद का उत्पादन होता है. इसके अलावा यह खेत में बाड़ का काम भी करता है. यह कम उर्वरता वाली भूमि पर भी आसानी से उग जाता है. यह जमीन में अपनी पकड़ को अच्छा बना लेता है. इसको खासतौर राजस्थान में उगाया जाता है. अब कई किसान इसके प्रति जागरूक हो रहे हैं, क्योंकि इस पेड़ से गोंद उत्पादन कर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
कुमट पेड़ की जानकारी
यह एक कांटेदार पेड़ होता है, जो शुष्क और अतिशुष्क क्षेत्रों में आसानी से उगाया जा सकता है. इसकी ऊंचाई लगभग 4 से 5 मी. होती है. इसका वनस्पति नाम अकेसिया सेनेगल है. राजस्थान में कुमट के फलियों के बीज पंचकूटे की सब्जी के नाम से मशहूर हैं.
कुमट पेड़ की खासियत
इस पेड़ की पत्तियां बकरियां खा लेती हैं. इतना ही नहीं, इस पेड़ की लकड़ी घरेलू सामान समेत किसानों के औजारों के हत्थे बनाने में काम आती हैं. पहले समय में कुमट के पेड़ से कम मात्रा में गोंद मिला करता था, लेकिन नई तकनीक द्वारा इस पेड़ से लगभग 500 से 700 ग्राम गोंद प्राप्त किया जा सकता है. इस तकनीक में पेड़ को एक इंजेक्शन लगाया जाता है.
पौध रोपण
जब जून से जुलाई में बारिश शुरू हो जाए, तब इसके बीज को खेत की मेड़ पर रोप सकते हैं. खास बात है कि इसके रोपण में पानी भी बहुत कम लगता है. यह एक बार उग जाए, तो आसानी से बड़ा हो जाता है.
औषधियों गुणों से युक्त गोंद
कुमट के पेड़ का गोंद का बहुत उपयोगी माना जाता है. इससे आयुर्वेदिक औषधियां तैयार की जाती हैं. इसके अलावा लड्डू बनाने में भी उपयोग होता है. बाजार में यह लगभग 1000 से 1200 रुपए किलो के भाव से बिकता है. इसके एक पेड़ से लगभग 2 से 7 किलो तक फलियां मिल जाती हैं, जिनका भाव लगभग 50 से 80 रुपए किलो होता है. अगर किसान खेत में कुमट के कई पेड़ लगा लेता है, तो वह लगभग 50 हजार रुपए से ज्यादा आमदनी कमा सकता है. यह आमदनी हर साल बढ़ती रहती है.
इस तरह लगाएं इन्जेक्शन
अगर कुमट के पेड़ से अच्छा गोंद उत्पादन चाहिए, तो 1 लीटर इथेफान हार्मोन में 1 लीटर आसुत जल मिला लें और इसका घोल तैयार कर लें. इसके बाद 4 मिलीलीटर प्रति पौधे में इंजेक्शन के जरिए प्रविष्ट कर दें. ध्यान दें कि यह इंजेक्शन उन पेड़ों पर लगाएं, जिनकी आयु कम से कम 5 साल है. इसके द्वारा पेड़ के तने में एक गहरा छेद बनाते हैं, उसमें इंजेक्शन से रसायन डाला जाता है. इसके बाद छेद को तालाब की काली चिकनी मिट्टी मोम या लुगदी से बंद कर दिय जाता है. इस तरह लगभग 5 से 10 दिन के अंतराल में गोंद निकलना शुरू हो जाता है. अच्छी बात है कि एक पेड़ में इंजेक्शन लगाने का खर्चा मात्र 10 से 15 रुपए होता है.
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