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बैंगन के प्रमुख रोगों की पहचान और प्रबंधन के उपाय

बैंगन एक बहुवर्षीय फसल है इसकी किस्मों में रंग, आकार एवं आकृति में बहुत विविधता पायी जाती है. इसमें अनेक प्रकार के रोगों का प्रकोप देखा गया है, जिससे इसकी उत्पादकता पर बहुत प्रभाव पड़ता है. बैंगन के प्रमुख रोग निम्न है जिनका रोग प्रंबधन अति आवश्यक है.

हेमन्त वर्मा
Little_leaf_of_Brinjal
Little_leaf_of_Brinjal

बैंगन एक बहुवर्षीय फसल है इसकी किस्मों में रंग, आकार एवं आकृति में बहुत विविधता पायी जाती है. इसमें अनेक प्रकार के रोगों का प्रकोप देखा गया है, जिससे इसकी उत्पादकता पर बहुत प्रभाव पड़ता है. बैंगन के प्रमुख रोग निम्न है जिनका रोग प्रंबधन अति आवश्यक है.

सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग (Cercospora Leaf Spot Disease)

यह रोग सर्कोस्पोरा सोलेनी नामक फंफूद से होता है. इस रोग में पत्तियों पर कोणिय से लेकर अनियमित हरिमाहीन धब्बे बनते हैं जो कि बाद में स्लेटी भूरे रंग के हो जाते हैं. धब्बों के बीच में बीजाणु जनन होता है गंभीर रूप से प्रभावित पत्तियाँ जल्दी ही गिर जाती हैं.

सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग का प्रंबधन (Management of Cercospora Leaf Spot Disease)

क्लोरोथलोनिल 75 डबल्यूपी 400 ग्राम या कॉपर ओक्सिक्लोराइड़ 400 ग्राम या फिर मेंकोजेब 75 डबल्यूपी 500 ग्राम प्रति 200 लीटर जल की दर से एक एकड़ में छिड़काव करें. रोग की संभावना अधिक होती है वहाँ रोग प्रतिरोधी किस्मों की बुवाई करें.

जीवाणु उखटा रोग (Bacterial Wilt Disease)

यह रोग स्यूडोमोनास सोलेनीसेरम नामक जीवाणु से होता है. इस रोग में पौधे की पत्तियों का मुरझाना, पीलापन तथा अल्प विकसित हो जाना तथा बाद की अवस्था में सम्पूर्ण पौधा मुरझा जाता है. पौधों के मुरझाने से पहले निचली पत्तियाँ गिर जाती हैं. पौधे का संवहन तंत्र भूरा हो जाता है. रोग के शुरुआती अवस्था में पौधा दोपहर के समय मुरझा जाता है मगर रात में पुनः सही हो जाता है लेकिन बाद में नष्ट हो जाता है.

जीवाणु उखटा रोग का प्रबंधन (Management of Bacterial wilt disease)

सरसों कुल की सब्जी जैसे की फूलगोभी के साथ फसल चक्र अपनाएँ. रोग ग्रसित पादप एवं पादप भागों को इकट्ठा कर नष्ट कर देना चाहिए. क्लोरोथलोनिल 75 डबल्यूपी 2 ग्राम या कसूगामायसिन 5 + कॉपर ओक्सिक्लोराइड़ 45 डबल्यूपी 1.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें.

अल्टरर्नेरिया पत्ती धब्बा रोग (Alternaria leaf Spot Disease)

इस रोग पर केन्द्र में वलय युक्त धब्बे बनते हैं जो बाद में बड़े हो जाते हैं. ये धब्बे फलों पर भी दिखायी देते हैं.

अल्टरर्नेरिया पत्ती धब्बा रोग का प्रंबधन (Management of Alternaria Leaf Spot Disease)

रोग ग्रसित पौधों को उखाड़कर जला देना चाहिए. एजोक्सोस्ट्रोबिन 23 एससी 1 मिली या मेटिरम 55%+ पायरोक्लोक्लोस्ट्रोबिन 5 डबल्यूजी 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए.

मोजेक और छोटी पत्ती रोग (Mosaic and Little Leaf Disease)

यह रोग तम्बाकू मोजेक विषाणु द्वारा होता है पत्तियों पर चितकबरापन व अल्पविकसित होना या पत्तियों का विकृत छोटी एवं मोटी होना इस रोग के प्रभावित होने लक्षण है. इस रोग में बैगन के पौधे की ऊपरी नई पत्तियाँ सिकुड़ कर छोटी हो जाती है तथा मूड जाती है. इस रोग के कारण पत्तियों का आकार भी बहुत छोटा रह जाता है तथा पत्तियाँ तने से चिपकी हुई लगती है.

मोजेक और छोटी पत्ती रोग का प्रंबधन (Management of Mosaic and Little Leaf Disease)

यह रोग वायरस से होता है जिसको रसचूसक कीट (Sucking Pest) जैसे लीफ हॉपर (फुदका) और एफीड फैलाते है. अतः एसिटामिप्रीड 20% SP की 80 ग्राम मात्रा या थियामेंथोक्साम 25% WG की 100 ग्राम मात्रा या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC मिश्रण की 100 मिली या डायमेथायट 400 मिली मात्रा को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर दे. यह मात्रा एक एकड़ क्षेत्र के लिए पर्याप्त है. आवश्यकता अनुसार 15 दिनों बाद छिड़काव दवा को बदल कर उपयोग करे या जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना पाउडर की  250 ग्राम मात्रा भी एकड़ की दर से छिड़काव किया जा सकता है.

फल सड़न रोग (Fruit Rot Disease)

अत्यधिक नमी की वजह से यह रोग बैगन की फसल में अधिक फैलता है. फंगस के कारण फलों पर जलीय सूखे हुये धब्बे दिखाई देते है जो बाद में धीरे धीरे दूसरे फलो में भी फैल जाते हैं. प्रभावित फलों की ऊपरी सतह भूरे रंग की हो जाती है जिस पर सफ़ेद रंग के कवक का निर्माण हो जाता है.

फल सड़न रोग का प्रबंधन (Management of Fruit Rot Disease)

फसल पर मेंकोजेब 75% WP की 600 ग्राम मात्रा  या कासुगामायसिन 5% + कॉपरआक्सीक्लोराइड 45% WP की 300 ग्राम या हेक्साकोनाज़ोल 5% SC की 300 ग्राम मात्रा या स्ट्रेप्टोमायसिन सल्फेट 90% + टेट्रासायक्लीन हाइड्रोक्लोराइड 10% W/W की 24 ग्राम मात्रा 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर दे. 15-20 दिनों बाद आवश्यकतानुसार छिड़काव दवा बदल कर करे या जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस की  250 ग्राम या ट्राइकोडर्मा विरिडी की 500 ग्राम मात्रा को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर दे.

बैगन का निमेटोड या सूत्रकृमि (Brinjal Nematode)

लगातार नमी वाली जगहों में ये सूत्रकर्मी पनप कर फसल की जड़ों को संक्रमित कर देते है.प्रभावित जड़ों पर गांठों का गुछा बन जाता है. नेमाटोड के संक्रमण के कारण अन्य फफूंद भी जड़ों में प्रवेश कर पौधे में रोग फैलाने की अधिक संभावना बढ़ आती है. अधिक संक्रमण होने पर पौधा सुखकर मर जाता है.

बैगन निमेटोड प्रबंधन उपाय (Brinjal Nematode Management Measures)

गर्मी के इस मौसम में मिट्टी की गहरी जुताई करे तथा अच्छी तरह से धूप लगने दें. जिस खेत में यह समस्या है वहाँ 2-3 साल तक बैंगन, मिर्च और टमाटर की फसल न लगाए. पौध रोपाई के बाद फसल के चारों ओर या फसल के बीच-बीच में एक या दो पंक्ति में गेंदा को लगाना चाहिए. कार्बोफ्यूरान 3 % दानों को पौध रोपाई से पहले 10 किलो प्रति एकड़ की दर से मिला दे. निमाटोड के जैविक नियंत्रण के लिए 200 किलो नीम खली या 2 किलो वर्टिसिलियम क्लैमाइडोस्पोरियम या 2 किलो पैसिलोमयीसिस लिलसिनस या 2 किलो ट्राइकोडर्मा हरजिएनम को 100 किलो अच्छी सड़ी गोबर के साथ मिलाकर प्रति एकड़ की दर से जमीन में मिला दे.

English Summary: measures to identify and manage major diseases of brinjal Published on: 20 May 2021, 09:57 AM IST

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