देश में चावल और गेहूं के बाद मक्का का उपयोग अनाज के रूप में सबसे ज्यादा किया जाता है. सफेद मक्का को पीली मक्का की तुलना में खाने के लिए अधिक तवज्जों दी जाती है. गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, असम, सिक्किम, जम्मू कश्मीर ओडिसा और मणिपुर राज्य में इसका उपयोग खाद्यान्न के रूप में प्रमुखता से होता है. इसके बीटा-कैरोटीन जीन में अप्रभावी एलील पाए जाते हैं. इस कारण से एडोस्पर्म का रंग सफेद होता है. तो आइए जानते हैं सफेद मक्का की प्रमुख किस्मों के बारे में-
गुजरात मक्की 6- 2002 में विकसित की गई यह किस्म एमएलबी और बीएसडीएम प्रतिरोधी होती है.
शालीमार- शालीमार की तीन किस्में हैं-शालीमार मक्का संकुल-5, शालीमार मक्का संकुल-6 और शालीमार मक्का संकुल- 7 इस किस्म को एसकेयूए एंड टी कश्मीर ने साल 2016 में विकसित किया था.
अति अगेती किस्में-सफेद मक्का की अति अगेती किस्मों में नर्मदा मोती और प्रताप संकर मक्का 1 है. नर्मदा मोती किस्म एमएलबी और टीएलबी प्रतिरोधी होती है.
पछेती किस्में:
संकर मक्का हाई स्टार्च- यह सफेद मक्का की संकर किस्म है, जिसे आईएआरआई दिल्ली ने साल 1969 ने विकसित किया था.
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राजेन्द्रा संकर मक्का 2- यह सफेद मक्का की प्रमुख पछेती किस्म है, जिसे 1996 में विकसित किया गया था.
अन्य पछेती किस्में- माहीधवल और शक्तिमान 2 प्रमुख है.
सफेद मक्का की अगेती किस्में:
सोनारी- इसे सबसे पहले 1980 में जारी किया गया था.
गुजरात मक्की 1- इसे 1988 में गोधरा आईएआरआई ने विकसित किया था. जो सफेद मक्का की परिपक्व किस्म है.
गुजरात मक्की 3- यह भी सफेद मक्का की अगेती किस्म है. इसे 1999 में गोधरा आईएआरआई ने विकसित किया था.
अरावली- यह किस्म साल 2001 में विकसित की गई थी.
सफेद मक्का की चारा किस्में- सफेद मक्का का चारे के रूप में भी व्यापक रूप से उपयोग होता है. चारे के रूप में मक्का को अनुसंधान केन्द्र अधिक महत्व दे रहे हैं क्योंकि इसमें पौषक तत्व अधिक मात्रा में पाए जाते हैं. इसकी प्रमुख किस्में हैं- जे-1006 और प्रताप मक्का चरी 6.
क्वालिटी प्रोटीन देने वाली किस्में- सामान्य मक्का की तुलना में क्वालिटी मक्का में प्रोटीन में 55 प्रतिशत से अधिक ट्रिप्टोफेन, 30 प्रतिशत से अधिक लाइसिन और 38 प्रतिशस से कम ल्यूसिन पाया जाता है. सफेद मक्का में इसकी प्रमुख किस्में है- शक्तिमान-1 और शक्तिमान-2.
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