Kakoda cultivation: मानसून के मौसम में किसान कई तरह की सब्जियों की खेती करते हैं, जिनमें से ककोड़ा नाम की सब्जी की मांग काफी ज्यादा रहती है. इसे अलग-अलग जगहों पर काटवल, परोड़ा, खेख्सी के नाम भी पहचाना जाता है. बरसात के मौसम में इस सब्जी की खेती करना किसानों के लिए लाभदायक हो सकती है, क्योंकि इस मौसम ये काफी फलती और फूलती है. ककोड़ा के औषधीय गुणों के चलते बाजार में इसका भाव काफी अच्छा खासा मिल जाता है. ऐसे में यदि किसान ककोड़ा की खेती (Kakoda cultivation) करें, तो यह उनके लिए कमाई का बेहतरीन सौदा होगा.
ककोड़ा की उन्नत किस्में
किसान ककोड़ा की अम्बिका-12-1, अम्बिका-12-2, अम्बिका-12-3 और इंदिरा ककोड़ा 1 (आरएमएफ-37) नामक उन्नत किस्मों की खेती कर सकते हैं. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने इंदिरा ककोड़ा 1 (आरएमएफ-37) नामक किस्म को किसानों के लिए विकसित किया है, जो कीटों के प्रति प्रतिरोधी है. बुवाई के बाद मात्र 35 से 40 दिनों में ही इसकी फसल तुड़ाई/कटाई के लिए तैयार हो जाती है. किसान पहले वर्ष में प्रति एकड़ के अनुसार 4 क्विंटल, दूसरे वर्ष में प्रति एकड़ के अनुसार 6 क्विंटल और तीसरे वर्ष में प्रति एकड़ के अनुसार 8 क्विंटल तक ककोड़ा प्राप्त कर सकते हैं.
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ककोड़ा की खेती
किसान ककोड़ा की खेती अम्लीय मिट्टी के अलावा किसी भी प्रकार की मिट्टी पर कर सकते हैं. इसकी फसल के लिए रेतीली भूमि के साथ पर्याप्त मात्रा में जैविक तत्व और अच्छी जल निकास उपयुक्त मानी जाती है. इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 के बीच रहना चाहिए. किसानों को प्रति हैक्टेयर खेत के हिसाब से 8 से 10 किलोग्राम बीजों की आवश्यकता होती है. इसके बीजों की बुवाई क्यारियां बनाकर या गड्ढों में होती है. इसकी बुवाई के लिए बेड में 2 सेमी की गहराई में आपको 2 से 3 बीजों की बुवाई करनी चाहिए. एक से दूसरी मेड की दूरी लगभग 1 मीटर रखनी चाहिए.
खाद, उर्वरक और सिंचाई
ककोड़ा की खेत में किसान को 200 से 250 क्विंटल प्रति हैक्टेयर के अनुसार सड़ी हुई गोबर की खाद को डालकर अंतिम जुताई करके इसे मिट्टी में मिला देना चाहिए. इसके बाद 65 किलोग्राम यूरिया, 375 किलोग्राम SSP और 67 किलोग्राम MOP को प्रति हैक्टेयर के अनुसार खेतों में देना चाहिए. ककोड़ा के खेत में बुवाई के तुरंत बाद से हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए. लेकिन अगर बारिश का मौसम बन रहा है, तो सिंचाई की जरूरत नहीं होती है. आपको अपने खेत में जल निकास सही व्यवस्था रखनी है, जिससे खेत में जलभराव ना हो पाए. साथ ही आपको ककोड़ा की बेल को सहारा देने के लिए इसके खेत में डंडा या तार जैसी वस्तुओं को लगाना चाहिए.
ककोड़ा की खेती से कमाई
मानसून के मौसम में किसान ककोड़ा की खेती करके अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं. एक बार इसकी फसल लगाने के बाद इसके मादा पौधे से लगभग 8 से 10 वर्षों तक फल प्राप्त किया जा सकता है. शहरी बाजरों में ककोड़ा का भाव लगभग 100 से 150 रुपये तक रहता है. यदि किसाम इसकी एक एकड़ में खेती करते हैं, तो आसानी से 20 से 30 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं और 3 से 4 लाख रुपये तक का मुनाफा कमा सकते हैं.
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