मोटा अनाज (मिल्लेट्स) छोटे दाने वाली खाद्य फसलों का एक समूह है जिनमें सूखे और अन्य प्रतिकूल मौसम की स्थिति को प्रभावी ढंग से सहन करने की क्षमता होती है। इन्हे बहुत ही कम रसायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों के प्रयोग से भली भांति उगाया जा सकता हैं। मोटा अनाज (मिल्लेट्स) की अधिकांश फसलें भारत के लिए स्वदेशी हैं और इन्हें " न्यूट्री-सीरियल्स " कहा जाता है। मोटा अनाज अत्यधिक पौष्टिक, ग्लूटिनस रहित और एसिड न बनाने वाले खाद्य पदार्थ हैं। वे हमें विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य-वर्धक और पौष्टिक औषध (न्यूट्रास्यूटिकल) लाभ प्रदान करते हैं। इन्हें सब्जियों व दालों के साथ मिश्रित फसल के रूप में उगाया जा सकता है। भारत मोटे अनाज का न केवल सबसे बड़ा उत्पादक है बल्कि कुल वैश्विक उपज का 40% खपत के साथ सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है।
प्रमुख मोटा अनाज |
लघु मोटा अनाज |
· ज्वार Sorghum bicolor · बाजरा Pennisetum glaucum L.R. Br. · रागी Eleusine coracana |
· बार्नयार्ड मिलेट बाजरा (सानवा चावल अथवा सामक के चावल) Echinochloa utilis · फॉक्सटेल मिलेट ( कंगनी अनाज ) Setaria italica L. Beauv. · कोदो मिलेट (वारागु) Paspalum setaceum · प्रोसो मिलेट (पणिवरागु) Panicum miliaceum L. · छोटा मिलेट (समाई) Panicum sumatrense |
मोटे अनाज (मिल्लेट्स) की खेती के फायदे: -
मोटे अनाज (मिल्लेट्स)फसल की खेती करने के किसानो को कईं फायदे हैं, जैसे कि यह सूखा सहिष्णु, फसल स्थायित्व, कम अवधि, कम श्रम मांग, कम लागत वाली और कीटों और बीमारियों के लिए प्रतिरोधक फसल है। मोटा अनाज (मिल्लेट्स) में भारत की पोषण सुरक्षा के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा में योगदान करने की क्षमता है क्योंकि उनमें वर्षा-सिंचित क्षेत्रों में बढ़ने एवं बदलती जलवायु परिस्थितियों में खुद को ढाल लेने की क्षमता है। C4 प्रकाश संश्लेषक पौधे हैं, इसलिए वे जलवायु परिवर्तन के अनुकूल हैं। उदाहरण के लिए, छोटी मिलेट प्रोसो मिलेट की किस्में 60 से 70 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है और सबसे प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अच्छी पैदावार देने की क्षमता रखती है। भारत मोटे अनाज के लिए असाधारण रूप से मूल्यवान आनुवंशिक विविधता का खजाना है। मिल्लेट्स कार्बन को अलग करके ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा को कम करता है। खनिजों और बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन सहित सूक्ष्म पोषक तत्वों की भरमार के कारण, मोटे अनाज को पोषक-अनाज के रूप में भी देखा जाता है। मिल्लेट्स के बहुत सारे फायदे होने के बावजूद भी भारत में इसका क्षेत्रफल बहुत कम है। इस वजह से, भारत की वर्तमान कृषि रणनीति मोटा अनाज (मिल्लेट्स) को पुनर्जीवित करने पर केंद्रित है। इस संबंध में, 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिल्लेट्स वर्ष के रूप में नामित किया गया है।
प्रमुख मोटा अनाज और उनके स्वास्थ्य लाभ: -
मोटा अनाज हमें पौष्टिक भोजन प्रदान करने के अलावा हमारे शरीर की प्रतिरक्षा को बढ़ाने, चारे की आपूर्ति को कम करने, जैव विविधता को बढ़ाने और किसानों की आजीविका की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। कैंसर, कुष्ठ रोग, निमोनिया और आहार नियंत्रित बीमारियों के इलाज में इनके अत्यधिक चिकित्सीय उपयोग भी हैं।
पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम: -
फसल |
कैलोरी ((किलो कैलोरी)) |
कार्बोहाइड्रेट (ग्राम) |
प्रोटीन (ग्राम) |
आहार फाइबर (ग्राम) |
वसा (ग्राम) |
खनिज |
सोरघम उर्फ ज्वार |
339 |
74.3 |
11.3 |
6.3 |
3.3 |
आयरन और मैगनीशियम |
बाजरा |
347.9 |
61.8 |
10.96 |
11.49 |
5.43 |
लोहा, पोटैशियम और कैल्शियम |
रागी |
328 |
72 |
7.3 |
3.6 |
1.3 |
कैल्शियम और फास्फोरस |
कंगनी अनाज |
331 |
63.2 |
11.2 |
6.7 |
4 |
फास्फोरस, पोटैशियम और मैगनीशियम |
सानवा चावल |
300 |
68 |
11 |
13.6 |
3.6 |
कैल्शियम |
वारागु |
325.6 |
59.2 |
10.6 |
10.2 |
4.2 |
फास्फोरस, पोटैशियम और कैल्शियम |
ज्वार (Sorghum bicolor): ज्वार, चोलम या जोन्ना सोरघम के नाम से भी जाना जाता है। यह खाद्य, स्टार्चयुक्त बीज वाला एक अनाज का पौधा है। भारत में इसकी खेती मुख्य रूप से महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में की जाती है। यह मैगनीशियम के साथ-साथ फ्लेवोनोइड्स, फेनोलिक एसिड और टैनिन सहित एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर है, जो हड्डियों के विकास और हृदय स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह हमारे शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन को कम कर सकता है और सीलिएक रोग से पीड़ित लोगों के लिए ग्लूटेन मुक्त अनाज का विकल्प है।
बाजरा (Pennisetum glaucum ): बाजरा एक ग्लूटेन मुक्त अनाज है जो अविश्वसनीय रूप से पौष्टिक और पचाने में आसान है। राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और उत्तराखंड भारत में प्रमुख बाजरा उत्पादक राज्य हैं। यह आहार फाइबर से भरपूर होता है और बाजरा में कोलेस्ट्रॉल कम करने वाले गुण होते हैं जो इसे हृदय रोगियों के लिए उपयुक्त आहार की श्रेणी में लाता है। यह एसिड रिफ्लक्स और पेट के अल्सर को भी कम करता है, कब्ज से बचाता है, हड्डियों को मजबूत करता है, और उन लोगों के लिए उत्कृष्ट है जो अधिक वजन वाले हैं या जिन्हें वजन कम करने की आवश्यकता है।
रागी (Eleusine coracana): एक बारहमासी जड़ी-बूटी वाला पौधा है जो सूखे का सामना कर सकता है। रागी में उच्च प्राकृतिक लोहा होने के कारण एनीमिया में इसका सेवन करने से स्वास्थय लाभ होता हैं। यह चिंता, अवसाद और नींद न आने के इलाज के लिए भी उपयोगी है। इसके अतिरिक्त, यह माइग्रेन की बार-बार दोहराने की प्रतिक्रिया को कम करने में भी सहायक है। अस्थमा, लीवर की बीमारियों, उच्च रक्तचाप और कमजोर दिल के लिए हरी रागी की सलाह दी जाती है। स्तनपान कराने वाली माँ के दूध की वृद्धि के लिए भी हरी रागी का सुझाव दिया जाता है।
कंगनी अनाज (Setaria italica L. Beauv.) दुनिया में दूसरा सबसे अधिक उत्पादित मिलेट है। यह ज्यादातर भारतीय राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्र में उगाया जाता है। यह युवाओं, बीमार वयस्कों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए ऊर्जा के स्रोत के रूप में कार्य करता है। फॉक्सटेल बाजरा अथवा कंगनी अनाज ने हाल ही में मधुमेह होने पर खाये जाने वाले भोजन के रूप में लोकप्रियता हासिल की है। इसमें कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स है और आहार फाइबर, खनिज, विटामिन व प्रोटीन उच्च मात्रा में उपस्थित है। चावल के विपरीत, फॉक्सटेल बाजरा शरीर के चयापचय को प्रभावित किए बिना लगातार नियंत्रित गति से ग्लूकोस को छोड़ता है। यह अंकुरण पर गामा एमिनोब्यूट्रिक एसिड जमा करता है, जो हृदय संबंधी कार्यों को नियंत्रित करता है।
कोडो मिलेट (Paspalum setaceum) जिसे वारागु के नाम से भी जाना जाता है, एक वार्षिक अनाज है जो मुख्य रूप से नेपाल, भारत, फिलीपींस, इंडोनेशिया, वियतनाम, थाईलैंड और पश्चिम अफ्रीका में उगाया जाता है। भारत में दक्कन के पठार को छोड़कर (जहां इसे एक प्रमुख खाद्य स्रोत के रूप में उगाया जाता है) अधिकांश क्षेत्रों में इसे एक छोटी फसल के रूप में उगाया जाता है। यह एक बहुत कठोर फसल है जो सूखा सहिष्णु है और सीमांत मिट्टी पर जीवित रह सकती है जहां अन्य फसलें जीवित नहीं रह सकती हैं, और प्रति एकड़ 180-360 किलोग्राम अनाज की आपूर्ति कर सकती हैं। यह मधुमेह, खराब कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है, वजन घटाने में सहायता करता है, खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है, रक्तचाप को नियंत्रित करता है, चिंता से लड़ता है और बाहरी घावों को भी ठीक करता है।
बार्नयार्ड मिलेट (Echinochloa utilis) एक छोटा सफेद आकार का बीज है जो उत्तराखंड, राज्य में प्राकृतिक रूप से उगता है। इसमें अन्य अनाजों की तुलना में अधिक पोषण शामिल है और यह प्रोटीन, कार्ब्स और फाइबर का एक बड़ा स्रोत है। इसमें उच्च मात्रा में लोहा और सुपाच्य फाइबर होता है। इसमें न केवल शरीर में सूजन विरोधी रसायन पैदा करने की क्षमता हैं बल्कि यह एक कैंसर निवारक आहार भी है।
मोटा अनाज से मूल्यवर्धित उत्पाद
मिल्लेट्स पास्ता: ज्वार/फिंगर मिलेट /फॉक्सटेल मिलेट, सूजी और परिष्कृत गेहूं को सेंवई बनाने वाली मशीन के मिश्रण डिब्बे में 30 मिनट के लिए पानी के साथ मिश्रित किया जाता है और पास्ता डाई का उपयोग करके निकाला जाता है। मोटे अनाज में ग्लूटेन की मात्रा कम होने के कारण पास्ता बनाने के लिए इसमें गेहूं मिलायी जाती है।
मिल्लेट्स कुकीज़: 100% मोटे अनाज की कुकी एक प्लैनेटरी मिक्सर, आटोमेटि कुकी बनाने वाली मशीन और रोटरी ओवन का उपयोग करके तैयार की जाती है। मोटा अनाज से बनी कुकीज़ में आयरन, खनिज, कैल्शियम और फाइबर भरपूर होते है। यह चिंता, अवसाद और नींद न आने वाले मानसिक रोगों से लड़ने में मदद करता है।
मिल्लेट्स केक: 100% मिलेट, फिंगर मिलेट या फॉक्सटेल बाजरा के आटे का उपयोग करके और बेहतर गुणवत्ता वाले वसा, चीनी, अंडे और चॉकलेट/वेनिला एसेंस मिलाकर आई.आई.एम.आर. में मिलेट केक तैयार किया गया है। सभी केकों में से फिंगर मिलेट केक अत्यधिक लोकप्रिय हुआ है।
मिल्लेट्स पफ: मिल्लेट्स पफ ज्वार, फॉक्सटेल और बाजरा से तैयार किया जा सकता है। पफ्स ऐसे उत्पाद हैं जो विस्फोटक पफिंग या गन पफिंग से बनाये जाते है। पफ गन मशीन के रोटेटिंग बैरल को मिलेट से भरा जाता है और फिर मिक्सचर को पफ बनाने के लिए उन्हें भुना जाता है। यह प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होता है ।
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मिल्लेट्स एक्सट्रूडेड स्नैक्स: एक्सट्रूडेड स्नैक्स रेडी-टू-ईट उत्पाद हैं जो ट्विन-स्क्रू हॉट एक्सट्रूडर का उपयोग करके तैयार किए जाते हैं । वे प्रोटीन, फाइबर, आयरन, जिंक और मैग्नीशियम से भरपूर होते हैं। व्यावसायिक रूप से अधिकांश एक्सट्रूडेड स्नैक्स मकई से तैयार किए जाते हैं; यहां एक्सट्रूडेड स्नैक ज्वार के दानों, चावल, रागी, गेहूँ और मक्के के आटे से बनाया जाता है। उत्पाद की शेल्फ लाइफ 6 महीने होती है।
मिल्लेट्स एक्सट्रूडेड फ्लेक्स: एक्सट्रूडेड फ्लेक्स रेडी-टू-ईट उत्पाद हैं जो ट्विन-स्क्रू हॉट एक्सट्रूडर का उपयोग करके तैयार किए जाते हैं इस गोल आकार के उत्पाद को बनाने के लिए एक्सट्रूज़न के कार्य के साथ ज्यादा तापमान को जोड़ता है जिसे रोलर फ्लेकर मशीन में और चपटा किया जाता है। निकाले गए गुच्छे ज्वार के दानों, गेहूँ और मक्के के आटे से बनाए जाते हैं। स्वाद और स्वाद में विविधता लाने के लिए स्नैक को मसालों के साथ लेपा जाता है। इस उत्पाद को नाश्ते में मक्की के फलैक्स की जगह खाया जा सकता है।
इंस्टेंट सोरघम इडली मिक्स: इंस्टेंट सोरघम इडली मिक्स सोरघम फाइन सूजी, काले चने की दाल, नमक और फूड ग्रेड एडिटिव्स (साइट्रिक एसिड और सोडियम बाइकार्बोनेट) का उपयोग करके बनाई जाती है। खमीर उठाने के समय को कम करते हुए तुरंत ज्वार की इडली तैयार की जा सकती है। इडली मिक्स की शेल्फ लाइफ 3 महीने है। इंस्टेंट इडली मिक्स में कंट्रोल इडली की तुलना में कैल्शियम, आयरन, जिंक और राइबोफ्लेविन की मात्रा अधिक होती है।
मिलेट इंस्टेंट लड्डू मिश्रण: मिलेट के लड्डू मिश्रण को भुने हुए ज्वार के महीन रवा, रागी के आटे, मिलेट के आटे से बनाया जाता है, इसमें लो कैलोरी शुगर पाउडर, ड्राई फ्रूट्स और इलायची भी जा सकती है। यह ग्लूटेन रहित है और सीलिएक रोगियों के लिए सुरक्षित है। फेनोलिक यौगिकों का समृद्ध स्रोत और तृप्ति का कारण बनता है जिसके परिणामस्वरूप धीमी पाचनशक्ति होती है। ऑक्सीडेटिव तनाव कम करता है (एंटीऑक्सीडेंट), इसमें कम कैलोरी चीनी होती है और आहार फाइबर की उपस्थिति से स्वस्थ पाचन को बढ़ावा देता है। यह गठिया से लड़ता है।
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ज्वार की भूसी का पेड़ा: ज्वार की भूसी को भूनकर महीन पीस लिया जाता है, चीनी पाउडर, दूध पाउडर और इलायची पाउडर को चोकर के पाउडर में डालकर अच्छी तरह मिलाया जाता है। घी को धीरे-धीरे पाउडर में मिलाया जाता है और छोटी गेंदों में बनाया जाता है। गोलों को बादाम या काजू से सजाया जाता है। चोकर पेड़ा चावल के पेड़े के समान संगठनात्मक रूप से होता है। पारंपरिक स्नैक फूड के रूप में भी इसे उपयोग किया जाता है। पेड़ा को मेट पाउच में सामान्य तापमान पर 7 दिनों तक संग्रहीत किया जा सकता है। यह मैग्नीशियम, जिंक, आयरन, डाइटरी फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होता है।
लेखक:
किरण, एम.सी. कंबोज, नरेंद्र सिंह, महा सिंह जागलान, प्रीति शर्मा, हरबिंदर सिंह, कुलदीप जांगिड, नमिता सोनी और स्वाति वर्मा
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यायल क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, उचानी, करनाल
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