कृषि में पानी की मुख्य भूमिका है. अगर किसानों के लिए पानी का उचित प्रबंध न हो, तो उन्हें फसलों की सिंचाई करने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. सभी जानते हैं कि पानी जीवन का आधार है लेकिन एक सच यह भी है कि आज के दौर में लगातार पानी की बर्बादी हो रही है. कृषि क्षेत्र में भी कहीं न कहीं पानी की बर्बादी होती है. ऐसे में पानी का संरक्षण करना बहुत ज़रूरी हो गया है. इसी दौरान आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने एक नया शोध किया है. इस शोध में कृषि में बर्बाद होने वाले पानी को रोकने की तकनीक बताई गई है. बता दें कि वैज्ञानिकों ने स्पेस तकनीक को विकसित किया है, जिसके द्वारा खेतों में बर्बाद होने वाले पानी को बचाया जा सकता है. यह तकनीक कृषि क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जा रही है.
क्या है स्पेस तकनीक
यह तकनीक फसल के लिए उचित तापमान बताएगी, जिसके जरिए किसानों को पता चलेगा कि खेत में फसलों की सिंचाई में पानी की ज़रूरत है या नहीं. इसके अलावा इस तकनीक द्वारा फसलों में लगने वाली पानी की मात्रा को तय किया जाएगा. बता दें कि वैज्ञानिक इस तकनीक का प्रयोग नज़दीक गांव में कर रहे हैं. इस तकनीक के लिए थर्मल इमेजिंग आधारित ड्रोन का प्रयोग किया जा रहा है.
वैज्ञानिकों ने एक साल तक किया शोध
आपको बता दें कि आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने इस शोध को पायलट प्रोजेक्ट के तहत किया है. इस शोध को पूरा करने में लगभग एक साल का समय लगा है. इस शोध के तहत आईआईटी के वैज्ञानिक किसानों के खेतों में गए, वहां उन्होंने खेतों की मिट्टी, फसलों का तापमान, आद्रता समेत अन्य ज़रूरी जानकारी का रिकॉर्ड दर्ज किया. इन सभी डाटा का एनालिसिस करने के बाद ही एक मैप तैयार किया गया है.
किसानों को मिलेगा लाभ
अगर किसान वैज्ञानिकों के बनाए गए इस मैप के अनुसार खेती करते हैं, तो उन्हें फसलों से काफी अच्छी पैदावार प्राप्त हो सकती है, साथ ही पानी की बचत भी होगी. बता दें कि जब इस तकनीक को पायलट प्रोजेक्ट में कामयाबी मिल जाएगी, इसके बाद इसको बड़े स्तर पर लाया जाएगा.
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