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धान की फसल को बौनापन की समस्या से बचाने के लिए विस्तृत जानकारी

आईएआरआई( Indian agriculture research institute) पूसा, नई दिल्ली के द्वारा ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक वीडियो जारी किया गया है, जिसमें धान की खेती में आने वाली समस्याओं के लिए सुझाव दिया है.

देवेश शर्मा
धान के बौनेपन का इलाज
धान के बौनेपन का इलाज

भारत के कई इलाकों में किसानों ने अपने खेतों में धान की खेती कर रखी है और इसकी फसल अब अपने विकास करने के दौर में है. भारत में सबसे ज्यादा धान उगाने वाले राज्य पंजाब, हरियाणा व यूपी समेत कई राज्य हैं. जहां के कुछ इलाकों में धान की फसल में बौनेपन का रोग लगने की शिकायत आ रही है, जिसके चलते आईएआरआई ( Indian agriculture research institute) पूसा, नई दिल्ली द्वारा ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक वीडियो जारी किया गया है, जिसमें किसानों को कई सारे सुझाव और अच्छी सलाह दी गई है. इस वीडियो में आईएआरआई के एक विशेषज्ञ हैं, जो कि किसानों को ज्यादा न घबराने की सलाह दे रहे हैं, आइए डिटेल में जानते हैं कि उन्होंने क्या कुछ कहा है.

हरियाणा और पंजाब में इन किस्मों में दिख रही है शिकायत

आईएआरआई के विशेषज्ञ ने किसानों को सलाह देते हुए कहा कि धान में बौनेपन की समस्या PR-126, PR121, PR114, पूसा बासमती 1509, पूसा बासमती 1401 में देखने को मिल रही है. हालांकि, यह समस्या किसानों के सभी खतों में नहीं है बल्कि कुछ ही  खेतों में है. 5 से 15 प्रतिशत तक ही खेत में यह अभी देखने को मिला है.

वायरस के होने की है संभावना

आईएआरआई के विशेषज्ञ का कहना है कि धान में यह  समस्या वायरस की वजह से भी सकती है, लेकिन किसानों को ज्यादा नहीं चिंता करनी है.

धान के पौधों में दिख रहे हैं ये लक्षण

धान के जिन पौधों में यह यह समस्या देखने को मिली है, उनमें कई प्रकार के लक्षण देखने को मिल रहे हैं. जैसे- जड़ें लगातार कमजोर हो गई हैं, पौधों का विकास रुक गया है और पौधे की जड़ में काला पन भी देखा गया है. हालांकि, विशेषज्ञ के अनुसार भारत सरकार की ओर से एक समिति का भी गठन किया गया है.

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बकाना रोग होने पर करें ये इलाज

आईएआरआई के विशेषज्ञ के अनुसार, अगर खेत में आपको कुछ टिड्डा के प्रकार के कीट दिखें, तो निम्न दवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं:

  1. पेक्सालॉन(pexalon) इसे एक एकड़ के इस्तेमाल के लिए 250 लीटर पानी में 94ml की मात्रा रखनी है.

  2. ओशीन(oshin) इसे एक एकड़ के इस्तेमाल के लिए 250 लीटर पानी में 100 ग्राम की मात्रा रखनी है.

  3. टोकन(Token) इसे एक एकड़ के इस्तेमाल के लिए 250 लीटर पानी में 100 ग्राम की मात्रा रखनी है.

  4. चैस(chess) इसे एक एकड़ के इस्तेमाल के लिए 250 लीटर पानी में 120 ग्राम मिलाना है.

English Summary: IARI pusa gave information in a video to save paddy crop from the problem of dwarfism Published on: 29 August 2022, 04:58 PM IST

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