अमरूद की खेती करते समय कई तरह के रोग लग जाते हैं, जो अमरुद के पौधों का विकास रोक देते हैं. ऐसे में किसान भाईयों के लिए जानना जरुरी है कि अमरूद में कौन से रोग लगते हैं, क्योंकि अगर इनका समय रहते उपचार ना किया जाए तो यह फसल को बर्बाद कर देता है. तो आइये इन रोगों के बारे में विस्तार से बताते हैं.
फल विगलन रोग (Fruit Rot Disease)
इस रोग के लगने से यह फल में फफूंदी लग जाती है एवं पत्तियां झुलसने लगती हैं. इस रोग का प्रकोप बारिश के मौसम में होता है. यदि अमरुद के पौधे (Guava Plants) में यह रोग लग जाए, तो इसके बचाव के लिए 0.2 प्रतिशत डाईथेन जेड- 78 का छिड़काव करें. इसके साथ ही 0.3 प्रतिशत कॉपर ऑक्सीक्लोराइड से मिट्टी को उपचारित करें. इसके अलावा रोग प्रभावित फल को तोड़कर फ़ेंक दें.
उकठा रोग (Raised Disease)
इस रोग में अमरुद का पौधा सूखने लगता है. यह रोग तब लगता है, जब अमरुद के खेत की मिटटी का पीएच मान 7.5 – 9 के बीच होता है या इससे अधिक होता है. यदि अमरुद में यह रोग लग जाए, तो इसको नियंत्रण करने के लिए सबसे पहले अमरुद के पौधे की सूखी टहनियों को निकालकर फेंके दें. इसके अलावा पौधों में 0.5 प्रतिशत मेटासिस्टाक्स और जिंक सल्फेट को मिलाकर छिड़क दें. इसके अलावा खेत की गुड़ाई करते समय कार्बेन्डाजिम 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर जड़ में डाल दें. इस तरह से अमरुद को रोग से बचाव किया जा सकता है.
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श्याम वर्ण रोग (Dark Color Disease)
अमरुद में इस रोग के लगने पर फलों पर काले रंग की चित्तियां बनने लगती हैं और फलों का विकास भी रुक जाता है. वहीँ, अमरुद सड़ने लगता है और पत्तियां सूखने लगती हैं. इसकी रोकथाम के लिए पौधे में एक लीटर पानी में 2 ग्राम मैंकोजेब या 3 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड मिलाकर छिड़क देना चाहिए.
फल चित्ती रोग (Fruit Spot Disease)
इस रोग में फल एवं पत्तियों पर भूरे और काले रंग के धब्बे बनने शुरू हो जाते हैं. इसकी रोकथाम के लिए 15 लीटर की टंकी में 30-40 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड मिलाकर छिड़कना चाहिए. यह छिड़काव हर 15 दिनों के अंतराल पर 3 से 4 बार करें. इससे रोग से बचाव कर सकेंगे.
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