1. Home
  2. खेती-बाड़ी

अदरक की फसल को रोग और कीटों से बचाएं, होगा अच्छा मुनाफ़ा

अदरक एक प्रमुख गुणकारी नकदी फसल है, जिसका उपयोग औषधि और मसाले के तौर पर किया जाता है. भारत में अदरक का उत्पादन उड़ीसा, मेघालय, केरल, सिक्किम, आन्ध्र प्रदेश, असम, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, बंगाल, राजस्थान, उत्तर प्रदेश समेत उत्तराखंड के कई राज्यों में होता है. बाजार में अदरक की मांग होती है, इसलिए किसान इसकी खेती से अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं, लेकिन इस फसल की उपज में कई बार रोग और कीटों के प्रकोप से भारी कमी आ जाती है.

कंचन मौर्य
Disease and Pest prevention in ginger

अदरक एक प्रमुख गुणकारी नकदी फसल है, जिसका उपयोग औषधि और मसाले के तौर पर किया जाता है. भारत में अदरक का उत्पादन उड़ीसा, मेघालय, केरल, सिक्किम, आन्ध्र प्रदेश, असम, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक,  बंगाल, राजस्थान,  उत्तर प्रदेश समेत उत्तराखंड के कई राज्यों में होता है. बाजार में अदरक की मांग होती है, इसलिए किसान इसकी खेती से अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं, लेकिन इस फसल की उपज में कई बार रोग और कीटों के प्रकोप से भारी कमी आ जाती है.

अदरक की फसल में प्रमुख रोग और कीट

  • प्रकन्द सड़न

  • भण्डारण सड़न

  • जीवाणुजी म्लानि

  • पीत रोग

  • पर्ण चित्ती

  • अदरक की मक्खी या मैगट

  • कूरमुला कीट

Ginger farming

अदरक की फसल को इन रोगों से बचाने के लिए कई प्रकार के रसायनों का उपयोग करते हैं, लेकिन फिर भी किसानों को कोई लाभ नहीं होता है. फसल में इन रोग और कीट के प्रकोप के कई कारण होते हैं.

  • उचित फसल चक्र का न अपनाना.

  • कच्ची गोबर की खाद का उपयोग करना.

  • उचित जल निकासी प्रबंध का न होना.

  • बीज प्रकंदों के समुचित उपचार का अभाव.

  • बीज प्रक्द्नों का अनुचित भंडारण.

  • किसानों द्वारा कीटों और व्याधियों की सही पहचान न कर पाना.

प्रकंद सड़न

यह रोग अदरक की पत्तियों पर दिखाई देता है. इस रोग में पत्तियों का रंग हल्का फीका पड़ने लगता है, यह रोग पत्तियों की नोंक से शुरू होकर नीचे की ओर बढ़ता है और फिर पूरी पत्ती को सूखा देता है, तो वहीं कंदों के ऊपर का छिलका स्वस्थ दिखाई देता है, लेकिन अंदर का गूदा सड़ा देता है. इस रोग के प्रकोप को सूत्रकृमि, राइजोम मैगट, कूरमुला कीट बढ़ाते हैं.

पीत रोग

इस रोग की शुरुआत निचली पत्तियों के किनारे पीले रंग दिखाई देने से होती है, फिर पूरी पत्तियां पीली होने लगती हैं, लेकिन पत्तियां झड़कर जमीन पर नहीं गिरती हैं. बस पूरा पौधा मुरझाकर सूख जाता है. फसल में यह रोग अत्यधिक आर्द्रता, अधिक तापमान और मिट्टी में अधिक नमी होने के कारण होता है.

Ginger

पर्ण चित्ती या धब्बा

इस रोग में पत्तियों पर हल्के भूरे या फिर गहरे भूरे धब्बे दिखाई देते हैं. यह धब्बे मिलकर सभी पत्तियों को रोगग्रसित कर देते हैं. इसके बाद पत्तियाँ सूख जाती हैं. बता दें कि खुले में उगी अदरक की फसल में यह रोग ज्यादा होता है.

जीवाणुजी म्लानि या उकठा

जब जमीन की सतह के पास धब्बे या पतली लंबी धारियां दिखाई दें, तो इस रोग का प्रकोप जारी होता है. इस रोग में तना और प्रकंद चिपचिपा हो जाता है, साथ ही उनसे दुर्गंध भी आती है.

स्क्लेरोशियम सड़न

यह रोग पौधे की ऊपरी पत्तियों की नोक हल्की पीली कर देता है, बाद में तने और प्रकंद के जोड़ का रंग गहरा भूरा दिखाई देता है. इस रोग में पौधे के निचले हिस्से को सड़ाकर पौधा गिर जाता है.

मूलग्रंथी रोग

यह रोग पौधों की बढ़वार को रोक देता है, तो वहीं पत्तियां पीली पड़कर लटकने लगती हैं. इस रोग में जड़ों में गोल और अंडाकार आकार की गांठें पड़ने लगती है.

भंडारण सड़न

इस रोग में फसल पर कई प्रकार के कवक और जीवाणु आक्रमण करते हैं, जिससे प्रकंदों में सड़न होने लगती है. यह रोग विभिन्न प्रकार की फफूंदों के संक्रमण की वजह से होता है.  

कूरमुला कीट

ये कीट मादा द्वारा जमीन में दिए गये अण्डों से निकले गिडार की पहली और तीसरी अवस्थाओं में अदरक की जड़ों को खाकर नुकसान पहुंचाते हैं. इसका प्रकोप कच्चे गोबर की खाद को उपयोग करने से होता है. ये कीट मानसून की पहली बारिश के साथ ही मई–जून में ज़मीन से बाहर निकलते हैं.

अदरक की मक्खी या मैगट

अदरक की फसल में लगने वाला यह प्रमुख कीट है, जो फसल और खेत, दोनों को हानि पहुँचाता है. इस कीट का रंग हल्का सफेद होता है, जो अदरक के प्रकंदों में छेद करके अंदर घुस जाता है और उनको खा लेता है, इससे अदरक में सड़न होने लगती है.

फसल को रोग और कीटों से बचाने का तरीका

  • फसल की बुवाई के समय अदरक प्रकन्दों को जैव अभिकर्ता ट्राइकोडर्मा हरजियानम को पानी के घोल से उपचारित करें.

  • इसके अलावा कार्बेन्डाजिम, मैन्कोजेब, क्लोरोपाइरीफॉस को आवश्यकता अनुसार लगभग 100 लीटर पानी में मिलाकर घोल से उपचारित कर लेना चाहिए.

  • अगर जीवाणुज म्लानि का प्रकोप है, तो रसायनों में लगभग 20 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन भी मिला देना चाहिए.

  • बुवाई के बाद खेतों में नमी संरक्षण के लिए पुवाल में उन्ही पेड़ों की पत्ती या घास का उपयोग करें, जो अदरक सड़न के रोगाणुओं और कुरमुला कीट को बढ़ाती न हो.

  • प्रकंदों को ऊंची मेंड़ों पर लगाएं, जिससे खेतों में पानी इकट्ठा न हो.

  • खेत को साफ़-सुथरा रखें और बुवाई के समय पौधों के बीच उचित दूरी बनाकर रखें.

ये खबर भी पढ़ें: दलहनी फसलों की बुवाई से बढ़ेगी मिट्टी की उर्वरा शक्ति, मिलेगा दोहरा लाभ

English Summary: farmers should protect ginger crop from diseases and pests Published on: 12 February 2020, 12:39 PM IST

Like this article?

Hey! I am कंचन मौर्य. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News