वर्तमान समय में पशुओं की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है. जिस वजह से हरा चारा मिलने में भी दिक्कत हो रही है. इस समस्या के कारण गुणवत्तापरक हरे चारे की कमी का समाधान ढूंढ़ने के लिए राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (National Dairy Research Institute) काफी समय से शोध कर रहें थे, जोकि कुछ माह पहले सफल हुई है.
इसके तहत संस्थान ने नेपयिर घास (Napier Grass) को उगाने में सफलता हासिल की है. बता दें कि नेपयिर घास को हरियाणा और पंजाब राज्य की जलवायु में सरलता से उगाया जा सकता है.
नेपयिर घास की खासियत (Features of Napier Grass)
इसे शंकर हाथी घास के नाम से भी जाना जाता है. इसकी खासियत यह है कि अगर आप इस घास को 1 बार लगाते हैं, तो इसे आपको अगले 3 साल तक हरा चारा मिलता रहेगा. आप इसकी 25 दिन के अंतराल में कटाई कर सकते हैं. इस घास को पहली बार लगाने पर लगभग 45 दिन का समय लगता है, जबकि घास तैयार होने में उसके बाद 25 दिन का ही समय लगता है. इस तरह घास कटाई का सर्कल चलता रहता है.
गर्म और आर्द्रता जलवायु है उपयुक्त (Hot and humid climate is suitable)
इस घास की वृद्धि की प्रारंभिक अवस्था (preliminary stage) में 12 से 14 प्रतिशत शुष्क पदार्थ मौजूद होता है. इसमें औसतन 7 से 12 प्रतिशत तक प्रोटीन, 34 प्रतिशत रेशा और कैल्शियम व फास्फोरस 10.5 प्रतिशत पाया जाता है. इस घास को गर्म और आर्द्रता वाले क्षेत्रो में आसानी से उगाया जा सकता है. यह ज्यादा वर्षा और ज्यादा ठंडे क्षेत्र में नहीं उग पाती है. मौजूदा समय में पशुओं की संख्या ज्यादा बढ़ रही है, इसलिए नेपियर घास इस समस्या को दूर करने के लिए अहम भूमिका निभा रही है.
नेपयिर घास की प्रजातियां (Napier grass species)
इसकी लगभग 30 प्रकार की प्रजातियां मौजूद हैं, लेकिन हरियाणा और पंजाब के राज्यों की जलवायु के मुताबिक वैज्ञानिकों ने निम्नलिखित प्रजातियों को अच्छा माना है-
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आईजीएफआरआई-3 (IGFRI-3)
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आईजीएफआरआई-6 (IGFRI-6)
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सीओ-3 (CO-3)
दूध उत्पादन को बढ़ाने में लाभदायक (Beneficial in increasing milk production)
उपयुक्त प्रजातियों में सामान्य घास के मुकाबले ज्यादा प्रोटीन पाया जाता है. अगर सामान्य घास की बात की जाए, तो उसमें 4 से 5 प्रतिशत तक प्रोटीन होता है, लेकिन इस घास में 7 से 12 प्रतिशत तक प्रोटीन की मात्रा होती है. यह दूध उत्पादन को बढ़ाने में भी काफी लाभदायक है. राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.बीएस मीणा का कहना है कि हमने जो प्रयास किए हैं, वो आखिरकार
सफल साबित हुए हैं. इसका परिणाम भी काफी सकारात्मक देखने को मिला है. नेपियर घास की ये तीनों प्रजातियां पशुओं के लिए अच्छी है. यह घास जलवायु के अनुसार अपने आप को ढाल लेती है. अगर आप एक बार इसकी बुवाई करते हैं, तो आपको आने वाले 3 साल तक हरे चारे की समस्या नहीं होगी.
कहाँ से ले इसके पौध (Where to get the plants)
इसके पौध प्रदेश के ज्यादातर कृषि विज्ञान केंद्रों पर लगाए जाते हैं. किसान यहां सीधा संपर्क कर इसके पौधे प्राप्त कर सकते हैं. केंद्र किसानों को पौधे के तने देता है, जो खेतों में रोपे जाते हैं. अगर आपके नजदीकी केंद्र पर नेपियर घास नहीं है तो वहां अन्य कृषि केंद्र के माध्यम से उपलब्ध करवाई जा सकती है.
कहाँ से खरीदें बीज (Where to buy seeds)
अगर आप नेपियर घास उगाने के लिए बीज खरीदना चाहते हैं, तो आप https://amzn.to/31AmvSI पर विजिट कर ऑनलाइन आर्डर भी कर सकते हैं.
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