फूल शब्द कहने मात्र से ही कई तरह के रंग-बिरंगे फूल हमारी आंखों के सामने आ जाते हैं. फूल प्रकृति द्वारा मनुष्यों को मिले सबसे सुंदर उपहारों में से एक हैं. इनसे निकलने वाली सुगंध मन को ताजगी और शांति का अहसास कराती है. तभी तो फूलों की महिमा का गुणगान श्रेष्ठ विचारकों ने अपनी रचनाओं में किया है. फूलों का इस्तेमाल पूजा-उपासना, पर्वों-त्योहारों, कार्यक्रम-समारोहों में होता है. इसके साथ ही फूलों की मांग सौंदर्य प्रसाधन, इत्र और औषधि उद्योग को हमेशा रहती है. इसलिए किसानों को उनकी फसल का मुंह मांगा दाम मिलता है. आम जानकारी के साथ कोई भी किसान फूलों की खेती का व्यवसाय शुरू कर सकता है.
कमल की खेती (Lotus Cultivation)
कम लागत बंपर मुनाफा! साधारण तौर पर माना जाता है कि तालाब या कीचड़ में खिलता है लेकिन आधुनिक कृषि विज्ञान का प्रयोग कर आप अपने खेत में कमल की खेती आसानी से कर सकते हैं.
ऐसे करें कमल की खेती- कमल की खेती के लिए नमी युक्त मिट्टी का चुनाव सबसे बढ़िया रहता है. बीज बुवाई से पहले खेत की अच्छी तरह से जोताई करें. कमल की बुवाई बीज और कलम दोनों तरीकों से की जा सकती है. क्योंकि कमल की फसल को पर्याप्त मात्रा में सिंचाई की आवश्यकता होती है, इसलिए खेत में हमेशा जलभराव वाली स्थितियां रखें. कमल फसल तीन-चार महीने में तैयार हो जाती है.
केसर की खेती (Saffron Cultivation)
केसर सुनते ही हमारे दिमाग में कश्मीर राज्य आता है. लेकिन मैदानी क्षेत्रों में सर्दियों के मौसम में अच्छी सिंचाई कर केसर की खेती आसानी से की जा रही है. पहाड़ी क्षेत्रों में जुलाई-अगस्त का महीना केसर की खेती के लिए अच्छा माना जाता है.
ऐसे करें केसर की खेती- केसर की खेती के लिए चिकनी, बुलई या दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है. मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए गोबर की सड़ी खाद के साथ नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश की उचित मात्रा को खेत में डालकर. 2-3 बार गहरी जोताई कर दें. अब खेत को पाटा लगाकर समतल कर लें. केसर के क्रॉम्स 6-7 सेंटीमीटर का गहरे गढ्डा में लगाएं. दो बीजों के बीच की दूरी 10 सेंटीमीटर रखने से क्रॉम्स को फैलने का अच्छा मौका मिलेगा. 15 दिनों के अंतराल में दो-तीन बार सिंचाई करते रहें. लेकिन खेत में पानी जमा न होने पाए. एक हेक्टेयर जमीन पर किसान को 2-3 किलो केसर मिलता है. बाजार में इसकी कीमत 2.5-3.50 लाख रूपये रहती है.
गेंदा की खेती (Marigold Cultivation)
भारत की जलवायु गेंदा की खेती के लिए अच्छी मानी जाती है. इसकी खेती कम लागत में भी अच्छा मुनाफा देती है. गेंदा का इस्तेमाल धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों में किया जाता है. गेंदा को दो वर्गों हजारिया और अफ्रीकन गेंदा में बांटा गया है.
ऐसे करें गेंदा की खेती- गेंदा की फसल किसी भी भूमि में की जा सकती है. बुवाई से पहले खेत की सामान्य जोताई कर दें. अब इसमें गोबर खाद के साथ नीम की खली मिलाकर 2-3 बार क्रॉस जोताई कर दें. अब खेत को छोटी-छोटी क्यारियों में बांट लें. एक एकड़ खेत के लिए 600-800 ग्राम बीजों की आवश्यकता होती है. अब इन बीजों को तैयार खेत की क्यारियों पर छिड़क दें. किसान उर्वरक के तौर पर यूरिया और पोटाश का प्रयोग कर सकते हैं. सर्दियों में फसल को न्यूनतम सिंचाई की आवश्यकता होती है.
गुलाब की खेती (Rose Cultivation)
गुलाब की खेती पूरे भारत में की जाती है. विशेषज्ञों ने गुलाब की किस्मों को पांच वर्गों हाईब्रिड टीज, फ्लोरीबंडा, पोलिएंथा वर्ग, लता वर्ग और मिनिएश्चर वर्ग में फूलों के रंग-आकार-सुगंध के अनुसार विभाजित किया है.
गुलाब की खेती के लिए विधि- गुलाब की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है. बुवाई से पहले खेत में सड़ी गोबर खाद, यूरिया सिंगल सुपर फास्फेट और म्यूरेट पोटाश डाल दें. अब खेत में क्रॉस जोताई कर पाटा लगा दें. अब खेत को छोटी-छोटी क्यारियों में बांट लें. सामान्य तौर पर गुलाब की खेती कलम रोपकर की जाती है. इसके लिए नर्सरी में तैयार पौधों से कलमें चुनी जाती हैं. तीन हफ्ते के अंतराल में लगातार सिंचाई करने से पौधों पर कलियां और फूल भर-भरकर आते हैं. राजहंस, जवाहर, मृगालिनी गुलाबी, गंगा सफेद और मोती गुलाब की प्रमुख किस्में हैं.
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मोगरा-बेला की खेती (Mogra-Jasmine Cultivation)
इस फूल की इसकी सौंधी खुशबू के लिए जाना जाता है. देश में मोगरा-बेला की खेती पंजाब, हरियाणा और दक्षिणी राज्यों में की जाती है. सुगंध के कारण इसकी मांग इत्र-डिटर्जेंट और कॉस्मेटिक उद्योग में हमेशा रहती है.
ऐसे करें मोगरा की खेती- बेला की खेती- इस फूल के पौधे दोमट, चिकनी मिट्टी में अच्छी वृद्धि करते हैं. जोताई के बाद खेत को नदीन मुक्त करने के लिए एक-दो बार गुड़ाई करें. खेत की तैयारी के लिए रूड़ी की खाद मिट्टी में मिलाएं. अब खेत को छोटी-छोटी क्यारियों में बांट लें. बेला की बिजाई के लिए सितंबर से नवंबर का महीना अच्छा रहता है. तैयार खेत में बीज को 10-15 सेंटीमीटर की गहराई पर बोएं. फसल की अच्छी वृद्धि के लिए समय-समय पर गोड़ाई करते रहें.
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