उन्नत तरीके से खेती करने के लिए किसानों के पास ये जानकारी होनी बेहद जरुरी है कि वो किस माह में कौन - सा कृषि कार्य करें. क्योंकि, मौसम फसलों को बहुत प्रभावित करता है. इसलिए तो रबी, खरीफ और जायद तीनों ही सीजन में अलग- अलग फसलों की खेती की जाती है ताकि फसल की अच्छी पैदावार ली जा सकें. ऐसे में आइये जानते है कि अक्टूबर माह में किसान कौन -सा कृषि कार्य करें-
पुष्प फसलें –
इस माह में ग्लेडियोलस की पूसा शुभम, पूसा किरन, पूसा मनमोहक, पूसा विदुषी, पूस सृजन एवं पूसा उन्नती किस्मों की बुवाई करें.
ग्लेडियोलस के लिए बीज दर 1.5 लाख कन्द / हैक्टेयर रखें. चैफर से बचाव के लिए 20 -25 किग्रा / हैक्टेयर थीमेट-जी ग्रैन्यूल्स मिला दें.
नाइट्रोजन -फॉस्फोरस-पोटाश को 25 : 16 : 25 ग्राम / वर्गमीटर की दर से भूमि में मिला दें.
बागवानी कार्य
सब्जियां
टमाटर की नर्सरी तैयारी करें. किस्में - पूसा रोहिणी, पूसा हाइब्रिड -1, 2, 4, 8
फूलगोभी की पछेती किस्में - पूसा स्नोबॉल हाइब्रिड के - पूसा स्नोबॉल के टी - 25, पूसा स्नोबॉल हाइब्रिड - 1
अगेती मटर की 15 अक्टूबर तक बुवाई के लिए प्रजाति - पूसा श्री.
पूसा प्रगति, अर्किल, पूसा श्री की बुआई 15 अक्टूबर के बाद भी कर सकते है.
गाजर की पूसा रुधिरा (लाल), पूसा वसुधा (संकर), पूसा असिता (काली) की बुवाई करें.
पालक -पूसा भारती, ऑल ग्रीन
मेथी - पूसा अर्ली बंचिंग, साग सरसों - पूसा साग 1
फल फसलें –
आम में कुरूपता रोग (मेंगो माल फोर्मेसन) की रोकथाम के लिए 200 पी.पी एम ( 2 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में ) नेफथेलीन एसिटिक अम्ल का छिड़काव करें.
आम में नियमित फलन के लिए 4 -5 मिली कुल्टार / वर्गमीटर पेड़ के घेराव में थालों में डालें.
अंगूर में कॉपर आक्सीक्लोराइड (3 ग्राम/लीटर पानी में ) का छिड़काव एन्थ्रेक्नोज की रोकथाम के लिए करें.
अमरुद में 25 किलोग्राम गोबर की खाद, 0.5 किलोग्राम नत्रजन, फॉस्फोरस तथा पोटाश प्रत्येक की मात्रा डालें तथा पिछले साल की शीर्ष शाखाओं को 10 - 15 से.मी. लम्बाई पर काटकर निकाल दें.
चना, सरसों व मटर –
चने की बुवाई से पहले 5 किग्रा गोबर की खाद में मिलाकर मिट्टी में मिलाएं.
चने की उन्नतशील किस्में पूसा 2085, पूसा 5023 (काबुली ), पूसा 547 (देशी) की बुवाई करें.
सरसों की पूसा तारक, पूसा विजय, पूसा सरसों 22, पूसा करिश्मा, पूसा बोल्ड, पूसा सरसों -27 की बुवाई करें.
अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में मटर की बुवाई से पूर्व उकठा रोग से बचाव के लिए बैविसिटन 0 ग्राम/ किग्रा की दर से बीज उपचार कर बुवाई
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