किसान भाईयों मूंग की खेती (Moong Cultivation)कैसे करें इस बारे में जानकारी देने के पहले जानते हैं कि किसानों के लिए मूंग की खेती (Moong Cultivation) क्यों जरूरी है और वह किस तरह इसकी खेती से मुनाफा कमा सकते हैं. बचपन से ही आपने देखा व सुना होगा कि जब भी कोई बीमार पड़ता है,तो उसे मूंग दाल खाने की सलाह दी जाती है, वो इसलिए क्योंकि मूंग में विटामिन ए, बी, सी और ई के साथ ही लोह्तत्व कैल्शियम, फाइबर और पोटैशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं.
अच्छी बात तो यह है कि मूंग से नमकीन, पापड़ व मंगौड़ी जैसे स्वादिष्ट उत्पाद भी बनाए जाते हैं. जाहिर बात है कि जब मूंग में इतने सारे गुण हैं, तो उसकी खेती भी किसानों को खूब मालामाल कर देगी. जी हां, किसान भाई मूंग की हरी फलियों को सब्जी के रूप में बेचकर अतिरिक्त लाभ प्राप्त कर सकते हैं. मूंग की खेती (Moong Cultivation) से जुड़ी कई अहम जानकारियों के साथ ही इस लेख में पढ़िये मूंग की उन्नत खेती का आसान तरीका
मूंग के बारे में अहम जानकारी (Important information about Moong)
हमारे देश में मूंग एक बहुप्रचलित व लोकप्रिय दाल मानी जाती है. इसकी खेती गर्मी और खरीफ, दोनों मौसम में की जाती है. यह कम समय में पकने वाली एक मुख्य दलहनी फसल है. पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान मूंग उत्पादक प्रमुख राज्य हैं.
मूंग की बुवाई का समय (Sowing time of moong)
खरीफ सीजन में मूंग की बुवाई करने का यह उपयुक्त समय है. यदि आप मूंग की बुवाई कर देंगे तो वर्षा के जल से सिंचाई की भी पूर्ति कुछ मात्रा में हो जायेगी .
मूंग की खेती के लिए मिट्टी (Soil for Moong Cultivation)
किसान भाई मूंग की खेती (Moong Cultivation) के लिए दोमट भूमि का चयन कर सकते हैं. इसकी खेती मटियार व बलुई दोमट में भी हो सकती है, जिसका पी.एच 7.0 से 7.5 हो. इसके अलावा खेत में जल निकासी की व्यवस्था उत्तम होना चाहिए.
मूंग की फसल के लिए खेत तैयार करना (Preparing the field for the cultivation of moong)
इसकी खेती में सबसे अहम भूमिका खेत की है, तो किसान भाईयों सबसे पहले आप खेतों की गहरी जुताई कर लें. फिर एक जुताई कल्टीवेटर व देशी हल से कर लें. इसके बाद पाटा लगा दें, ताकि खेत समतल हो जाए और नमी बनी रहे.
मूंग की उन्नत खेती के लिए मुख्य किस्में (Main varieties for improved cultivation of moong)
बीज टाइप 44 (पकने के लिए 60 से 70 दिन का समय)
मूंग एस 8 (पकने में 75 से 80 दिन का समय)
पूसा विशाल (बसंत में 65 से 70 दिन और ग्रीष्म में 60 से 65 दिन में पककर तैयार)
पूसा रतना (पकने में 65 से 70 दिनों का समय)
पूसा 9531 (पकने में 60 से 65 दिन का समय)
मूंग पूसा बैसाखी (फसल तैयार होने में 60 से 70 दिन)
बीज की मात्रा (seed quantity)
खरीफ सीजन में कतार विधि से बुवाई करने के लिए लगभग 12 से 15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज पर्याप्त होते हैं.
बसंत या ग्रीष्मकालीन में बुवाई करने के लिए लगभग 20 से 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यकता पड़ती है.
मूंग की खेती में बीजोपचार (Seed treatment in moong cultivation)
किसान भाई मूंग की बुवाई (Moong Cultivation) करते समय खास ध्यान दें कि बीजों को फफूंदनाशक दवा से शोधित करें. इसके अलावा राइजोबियम और पी.एस.बी. कल्चर, दोनों से बीज शोधन अवश्य कर लें.
मूंग की बुवाई विधि (Moong sowing method)
किसान भाई सीड ड्रिल या देशी हल के पीछे नाई या चोंगा बांध लें औऱ फिर केवल पंक्तियों में ही बुवाई करें. ध्यान दें कि खरीफ फसल के लिए कतार से कतार की दूरी 45 सेंटीमीटर रखें, तो वहीं ग्रीष्म के लिए 30 सेंटीमीटर दूरी रखें. इसके अलावा पौधे से पौधे की दूरी 10 से 15 सेंटीमीटर व गहराई 4 सेंटीमीटर रखें.
मूंग की खेती में खाद एवं उर्वरक (Manure and Fertilizer in Moong Cultivation)
इसकी खेती में जड़ों के विकास के लिए लगभग 20 किग्रा नाइट्रोजन, 50 किग्रा फास्फोरस व 20 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर डालना चाहिए.
मूंग की फसल में सिंचाई (irrigation of moong crop)
फसल को 4 से 5 सिंचाई की जरूरत होती है, इसलिए बुवाई के 20 से 25 दिन बाद पहली सिंचाई कर दें. इससे अधिकतम पैदावार प्राप्त की जा सकती है. इसके बाद 12 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें. जब फसल में पूरी तरह फूल खिलने लगें, तब सिंचाई न करें और फसल पकने के 15 दिन पहले सिंचाई बंद कर दें.
मूंग की खेती में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in moong cultivation)
अगर मूंग में रासायनिनक विधि से खरपतवार पर नियंत्रण पाना है, तो 300 मिली प्रति एकड़ इमाजाथाईपर 10 प्रतिशत एसएल की दर से पानी में घोलकर बुवाई के 15 से 20 दिनों बाद छिडक़ दें.
मूंग की फलियों की तुड़ाई और कटाई (Moong bean harvesting and harvesting)
अब किसान भाईयों को मूंग की फलियों की तुड़ाई और कटाई पर ध्यान देना है, क्योंकि यह मूंग की खेती का एक अहम हिस्सा है. जब मूंग की फलियां लगभग 50 प्रतिशत तक पक जाएं, तब फलियों की तुड़ाई करें. फिर संपूर्ण फलियों को पकने पर तोडऩा चाहिए.
मूंग की फसल में रोग एवं कीटों का प्रकोप (Disease and pest outbreak in moong crop)
मूंग की फसल में रोगों व कीटों का प्रकोप कम होता है,जो किसानों के लिए राहत देने वाली बात है, लेकिन फिर भी मूंग में मुख्य कीट जैसे माहू, जैडिस, सफेद मक्खी, टिड्डे आदि का प्रकोप हो जाता है. इसकी रोकथाम के लिए 15 से 20 दिनों बाद लगभग 8 से 10 किग्रा प्रति एकड़ क्लोरोपाइरीफॉस 2 प्रतिशत या मैथाइल पैराथियान 2 प्रतिशत की धूल का पौधों पर बुरकाव करें.
किसान भाई इन बातों पर दें खास ध्यान (Farmer brothers pay special attention to these things)
प्रमाणित बीज की बुवाई करें.
सही समय पर बुवाई करें.
किस्मों का चयन क्षेत्रीय अनुकूलता के अनुसार करें.
बीज उपचार अवश्य करें.
मिट्टी परीक्षण करा लें.
समय पर खरपतवार नियंत्रण और फसल में लगने वाले कीटो की रोकथाम करे और फसल से सम्बंधित रोगोपचार करें .
मूंग की खेती से उत्पादन (Production of mung bean)
अगर किसान भाई मूंग की खेती (Moong Cultivation) अच्छी तरह से करेंगे, तो उन्हें लगभग 5 से 6 क्विंटल प्रति एकड़ आसानी से उपज मिल जाएगी. अगर आमदनी की बात करें, तो 25 से 30 हजार रुपए मुनाफ़ा हो जाएगा.
मूंग की खेती में सरकारी सहायता (Government assistance in the cultivation of moong)
अगर कोई भी किसान भाई भारत सरकार व राज्य सरकार द्वारा फसल उत्पादन, कृषि यंत्र, भंडारण आदि के लिए सुविधाएं या अनुदान सहायता लेना चाहते हैं, तो इसकी जानकारी के लिए संबधित राज्य/जिला/विकास/खंड स्थित कृषि विभाग से संपर्क कर सकते हैं.
तो किसान भाइयों इस प्रकार से आप मूंग की खेती से सम्बंधित उपरोक्त बातों का ध्यान रखते हुए अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकते है.
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