ब्रोकली एक गोभीय वर्गीय सब्जी है. यह काफी पौष्टिक इटालियन गोभी है, जिसे सलाद, सूप व सब्जी के रूप में प्रयोग किया जाता है. यह दो तरह की होती है, पहली स्प्राउटिंग ब्रोकली और दूसरी हेडिंग ब्रोकली, लेकिन स्प्राउटिंग ब्रोकली काफी लोकप्रिय है. इसके अलावा हेडिंग ब्रोकली एकदम फूलगोभी की तरह होती है, जिसका रंग हरा, पीला और बैंगनी होता है. इसमें विटामिन, कैल्शियम, फास्फोरस और लौह तत्व की अच्छी मात्रा पाई जाती है. यह गर्भवती महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद होती है. देश के बड़े-बड़े शहरों में इसकी मांग अधिक होती है. ब्रोकली की खेती पर्वतीय क्षेत्रों में जैसे हिमाचल प्रदेश में बड़े पैमाने पर की जाती है. मगर अब उत्तराखंड में भी इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है. किसानों को बाजार में इसका काफी अच्छा भाव मिलता है, जो कि आमदनी बढ़ाने का एक अच्छा जरिया है. आइए आज किसान भाईयों को ब्रोकली की खेती संबंधी ज़रूरी जानकारी देते हैं.
उपुक्यत जलवायु व मिट्टी
ब्रोकली की खेती के लिए ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है, क्योंकि अगर दिन छोटे होते हैं, तो फूल की बढ़ोत्तरी अधिक होती है. इसके फूल तैयार होने के समय तापमान अधिक होने से फूल छितरेदार, पत्तेदार और पीले हो जाते हैं. इसके अलावा कई प्रकार की मिट्टी में इसकी खेती की जा सकती है, लेकिन बलुई दोमट मिट्टी काफी उपयुक्त मानी जाती है.
उन्नत किस्में
इसकी खेती के लिए के.टी.एस, टी.डी.सी, ब्रोकोली संकर, पालक समृद्धि और एन.एस- 50 किस्म काफी उपयुक्त मानी जाती है.
खेत की तैयारी
खेत की तैयारी के लिए दो जुताई पर्याप्त होती हैं. इसमें अच्छी साड़ी गोबर की खाद दो कुन्तल प्रति नाली की दर से मिलाकर बुवाई करनी चाहिए.
बुवाई का समय
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निचले पर्वतीय क्षेत्र के किसानसितम्बर अन्त से अक्तूबर तक बुवाई करें.
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मध्य पर्वतीय क्षेत्र के किसानमध्य अगस्त से सितम्बर तक बुवाई करें.
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बेमौसमी खेती के लिएनवम्बर से मध्य जनवरी तक बुवाई करें.
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ऊंचे पर्वतीय क्षेत्र के किसानमार्च या अप्रैल में बुवाई करें.
बीज दर
इसकी खेती के लिए 400 से 500 ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होते हैं.
पौधशाला की तैयारी
इसकी पौधशाला के लिए जमीन से 15 सेमी. उठी हुई नर्सरी की क्यारी में अच्छी साड़ी हुई गोबर या क्म्पोष्ट खाद व 50 से 60 ग्राम प्रति वर्गमीटर की दर से सिंगल सुपर फास्फेट मिलाकर भूमि की तैयारी करनी चाहिए. इसके अलावा क्यारी में 5 ग्राम थायरम प्रति वर्गमीटर की दर से अच्छी तरह मिलाकर 5 से 7 सेमी. की दूरी पर 1.5 से 2 सेमी. गहरी कतारें निकालें. इसके बाद कवकनाशी 10 ग्राम ट्राईकोडर्मा या एक ग्राम कार्बेन्डाजिम अथवा 2.5 ग्राम थाइरम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से बीज संशोधन कर बुवाई करें. इसके साथ ही जमने तक हल्की सिंचाई फव्वारे द्वारा कर दें.
खाद या उर्वरक
इसकी खेती में मिट्टी परीक्षण ही उर्वरक का प्रयोग करना उपयुक्त माना जाता है. इसकी अच्छी उपज के लिए प्रति हेक्टेयर 15 से 20 टन गोबर/क्म्पोष्ट खद, 100 किलोग्राम नत्रजन, 100 किलोग्राम फास्फोरस तथा 50 किलोग्राम पोटाश का प्रयोग किया जाना उपयुक्त माना जाता है.
खरपतवार नियंत्रण
इसकी खेती में शुरू के डेढ़ से दो महीने तक खेत से खरपतवार निकलते रहना चाहिए. इससे पौधों का विकास अच्छा होता है. इसके साथ ही दो से तीन निराई– गुड़ाई पर्याप्त रहती है.
फसल की कटाई
ब्रोकोली के शीर्ष की कटाई शीर्ष की कलियों के खुलने से पहले की जाती है. ध्यान रहे कि शीर्ष को 10 से 20 से.मी. तने के साथ काटा जाता है. इसके बाद निचले पत्तों के कक्षों से नई कोपलें निकलती है, जिनमें छोटे शीर्ष बनते हैं, इन्हें समय–समय पर काट देना चाहिए.
उपज
अगर उपयुक्त तकनीक से ब्रोकोली की खेती की जाए, तो प्रति हेक्टेयर औसत 150 से 200 क्विटंल उपजड प्राप्त हो सकती है.
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