अमेरिका बादाम का सबसे बड़ा निर्यातक देश है. यहां के कैलिफोर्निया का बादाम पूरी दुनिया में मशहूर है. भारत में बादाम की खेती मुख्यतः ठंडे प्रदेशों के पहाड़ी भागों में होती है. जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, केरल और आंध्र प्रदेश की कुछ पहाड़ी भागों में बादाम की खेती प्रमुखता से की जाती है.तो आइये जानते हैं बादाम की खेती कैसे करें-
बादाम की खेती लिए जलवायु (Climate for Almond Cultivation)
बादाम की खेती के लिए ठंडे प्रदेशों की जलवायु उपयुक्त होती है. इसकी खेती के लिए न्यूनतम 7 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम 24 डिग्री सेल्सियस तापमान का होना बेहद आवश्यक है. इसके पौधे समुद्र ताल 750 से 3200 मीटर की ऊंचाई पर आसानी से उग सकते हैं. बादाम की खेती के लिए औसत वर्षा 75 से 110 सेंटीमीटर होना चाहिए.
बादाम की खेती के लिए मिट्टी (Soil for Almond Cultivation)
इसकी खेती के लिए समतल, बलुई, दोमट चिकनी मिट्टी और गहरी उपजाऊ मिट्टी की आवश्यकता होती है. इसकी खेती के लिए इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जिस खेत में इसकी खेती जा रही है जल निकासी की उपयुक्त व्यवस्था हो.
बादाम की किस्में (Varieties of Almonds)
शुष्क शीतोष्ण क्षेत्र की किस्में : नी प्लस अल्ट्रा, टेक्सास और थिनशैल्ड को उगाया जाता है.
ऊँचे तथा मध्य पर्वतीय क्षेत्रों की किस्में : निकितस्काई, नॉन पेरिल, आईएसएल, मर्सिड,और वाइट ब्रान्डिस जैसे किस्मों को उगाया जाता है.
बादाम की खेती के लिए पौधे कैसे तैयार करें (How to Prepare Plants for Almond Cultivation)
बादाम की खेती के लिए बीजू और ग्राफ्टिंग तकनीक से उगाए जाते हैं. गौरतलब है कि इसके पौधों की ग्राफ्टिंग के लिए बादाम, आड़ू और आलूबुखारा के बीज पौधे ग्राफ्टिंग स्टॉक्स के रूप में उपयोग किए जाते हैं.
बादाम की खेती के लिए पौध रोपण (Planting for Almond Cultivation)
रोपाई के लिए बादाम का बीजू या एक साल पुराना ऐसा पौधा होना चाहिए जिसकी जड़े स्वस्थ्य और पत्ती रहित हो. खेत में तैयार गड्ढों में सबसे पहले गोबर खाद, केंचुए की खाद मिलाकर डाले. इसकी रोपाई का सही समय नवंबर से दिसंबर का महीना होता है. रोपाई से पहले 1×1×1 मीटर का गड्ढा तैयार करें. वहीं पौधे से पौधे की दूरी 6 मीटर तथा कतार से कतार की दूरी 7 मीटर रखना चाहिए. अच्छे परागण के लिए प्रति हेक्टेयर 5-7 डिब्बे मधुमक्खी के रखें.
बादाम की खेती के लिए सिंचाई (Irrigation for Almond Cultivation)
बादाम खेती में सर्दी के दिनों में 20 से 30 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करना चाहिए. जबकि गर्मियों में पेड़ों में 10 दिनों के अंतराल पर नियमित रूप से सिंचाई करना चाहिए. बता दें कि फल देने वालों पौधों में गर्मियों के दिनों में नियमित सिंचाई देना बेहद जरुरी होता है. इससे बिना पके फलों के गिरने की समस्या दूर हो जाती है. वहीं बादाम के वृक्षों के चारों तरफ मिट्टी के ऊपर भूसा, पत्तियों या फिर अन्य कार्बनिक पदार्थों का उपयोग करना चाहिए. इससे वृक्ष के आसपास खरपतवार कम निकलते हैं.
बादाम की खेती के लिए निराई-गुड़ाई (Weeding for Almond Cultivation)
अच्छी पैदावार के लिए निराई-गुड़ाई बेहद आवश्यक होती है. पहली निराई 10 से 15 दिन में करना चाहिए. इससे पौधों की अच्छी ग्रोथ होती है. इसके बाद नियमित निराई गुड़ाई करते रहे.
बादाम की फल तुड़ाई (Almond fruit Harvesting)
बादाम के पेड़ों से रोपाई के तीसरे साल फल निकलने लग जाते हैं. वहीं 6-7 साल बाद यह पेड़ ज्यादा पैदावार देने लगते हैं. फूल आने के 8 महीने बाद पेड़ों में बादाम पक जाते हैं जिसकी तुड़ाई की जाती है. उस समय बादाम के फली के छिलकों का हरे से पीला हो जाता है. डंडे के मदद से बादाम की तुड़ाई की जाती है.
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1-केरल हॉर्टिकल्चर विभाग
पता : सनी डेल. मेड्स लेन. पलायम, तिरुवंतपुरम, केरल
फ़ोन : (0471) - 2330856
2- कश्मीर हार्टिकल्चर विभाग
पता : राज बाग़, श्रीनगर, जम्मू -कश्मीर-190008.
फोन : (0194) -2311456
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