नवरंगा को कंबल फूल या अंग्रेजी में गैलार्डिया (Gaillardia Farming) के नाम से जाना जाता है. दरअसल, इसका नाम 18वीं सदी के फ्रांसीसी वनस्पतिशास्त्री मैत्रे गेलार्ड डी चारेनटोन्यू के नाम पर रखा गया था.
आमतौर नवरंगा एक बारहमासी पौधा है जिसमें बेहद सुंदर और रंगीन फूल लगते हैं. जिसका उपयोग मंदिरों और शादी समारोह की सजावट के लिए किया जाता है. आसानी से उगने वाला नवरंगा बहुमुखी पौधा है जिसकी खेती करके अच्छी कमाई की जा सकती है. तो आइए जानते हैं नवरंगा या गैलार्डिया की खेती की पूरी जानकारी-
नवरंगा की खेती के लिए जलवायु और भूमि (Climate and land for cultivation of Navaranga)
इसकी खेती के लिए चिकनी, सुखी और रेतीली मिट्टी उपयुक्त होती है. वहीं यह गर्म क्षेत्रों में आसानी से उग आता है. इसकी खेती के लिए ऐसी जगह का चयन करें जहां दिन में 6 से 8 घंटे तक सूर्य का प्रकाश हो. बता दें नवरंगा की खेती आसानी से हो जाती है और खास देखरेख की जरूरत नहीं पड़ती है.
नवरंगा की प्रमुख उन्नत किस्में (Major improved varieties of Navaranga)
1) एरीजीयोना सन गैलार्डिया
इस किस्म का पौधा 6 से 12 इंच का होता है. जिसकी बाहर पंखुड़िया पीले और इसका केन्द्र लाल और चमकीले नारंगी रंग का होता है.
2) गैलार्डिया फैनफेयर
गैलार्डिया की इस प्रजाति का फूल पीले और गहरे लाल रंग का होता है. वहीं इसके पौधे का आकार 14 इंच का होता है. वहीं इसका केन्द्र भाग नारंगी रंग का होता है.
3) गैलार्डिया सनसेट पॉपी
इस किस्म का फूल देखने में बेहद सुंदर होता है. इसका फूल डबल गुलाब की तरह लाल रंग का होता है.
4) गैलार्डिया गेबलीन
इसका फूल भी बेहद आकर्षक होता है. इसकी पत्तियां गहरे हरे और फूल की पंखुड़िया महरून रंग की होती है.
5) बरगंडी कम्बल फूल
यह दिखने में अपने नाम के मुताबिक बरगंडी और गहरे लाल रंग का होता है. इसके फूल की लंबाई 24-36 इंच की होती है.
6) मुरब्बा के साथ गैलार्डिया
इस किस्म के फूल आकार में बड़े होते हैं. वहीं दिखने में नारंगी रंग के होते है.
नवरंगा की खेती के लिए बीज की मात्रा (Seed Quantity for Navaranga Cultivation)
नवरंगा की खेती के लिए पहले नर्सरी तैयार की जाती है. इसकी पौध तैयार करने के लिए क्यारियां निर्मित की जाती है जो भूमि से 10 से 15 सेंटीमीटर ऊँची होनी चाहिए. यदि आप एक हेक्टेयर में इसकी खेती करना चाहते हैं तो लगभग 150 वर्ग मीटर में इसकी नर्सरी तैयार करना चाहिए. क्यारियां एक मीटर चौड़ी और तीन मीटर लंबी होना चाहिए.
इसके लिए बीजों की बुवाई पंक्ति से पंक्ति की दूरी 5 सेंटीमीटर, बीज से बीज की दूरी 3 सेंटीमीटर और बीजों को 2 सेंटीमीटर गहराई पर बोया जाता है. वहीं एक हेक्टेयर में 500 से 600 बीज की जरूरत पड़ती है. इसका बीज 30 से 45 दिनों में रोपाई के लिए तैयार हो जाता है.
नवरंगा की खेती के लिए पौधरोपण (Plantation for Navranga Cultivation)
इसकी खेती के लिए सबसे पहले पाटा लगाकर खेत को तैयार कर लेना चाहिए. वहीं पौधों को शाम के समय ही लगाना चाहिए तथा रोपण के तुरंत बाद सिंचाई करना चाहिए.
नवरंगा की खेती के लिए पानी, खाद एवं उर्वरक (Water, manure and fertilizers for the cultivation of Navaranga)
नवरंगा का पौधा बिना खाद तथा उर्वरक के भी ग्रोथ कर लेता है. हालांकि इसके फूल को निषेचन के लिए बार खाद एवं उर्वरक की जरूरत पड़ती है. वहीं जैविक तरीके से करने के लिए गोबर और केंचुआ खाद बेहद उपयोगी होती है. वहीं बेहद कम सिंचाई में नवरंगा की खेती हो जाती है.
नवरंगा की खेती के लिए फूलों की तुड़ाई (plucking of flowers for the cultivation of Navaranga)
नवरंगा के फूलों को पूरी तरह खिलने के बाद ही तोड़ना चाहिए. फूलों की तुड़ाई हाथ से या किसी धारदार वस्तु से की जा सकती है. जहां तक इसकी उपज की बात की जाए तो प्रति हेक्टेयर 20 से 30 फूलों का उत्पादन होता है.
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