देश के किसान खरीफ फसलों की खेती में जुटे हुए हैं, जिसकी खेती अगले महीने तक चलने वाली है. अगर आप भी किसान हैं और खरीफ फसलों की जगह किसी अन्य फसल की खेती करना चाहते हैं, तो आज हम आपको एक खास पौधे की खेती के बारे में बताने जा रहे हैं. दरअसल, हम एलोवेरा (Aloe Vera Cultivation) की बात कर रहे हैं. इसकी खेती के लिए जुलाई-अगस्त का महीना सबसे उपयुक्त माना जाता है. इस पौधे की खेती में जितनी लागत लगती है, उतनी ही कमाई भी होती है, इसलिए किसान इसकी खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं.
एलोवेरा की जानकारी (Information about aloe vera)
यह एक औषधीय पौधा है, जिसे घृतकुमारी, ग्वारपाठा और एलोवेरा (Aloe Vera) भी कहा जाता है. विश्व में इसकी 275 से अधिक प्रजातियां हैं. यह तमाम गुणों से भरपूर होता है. बताया जाता है कि इसकी उत्पति दक्षिण यूरोप, एशिया या अफ्रीका के सूखे जंगलों से हुई है.
हमारे देश में एलोवेरा (Aloe Vera Cultivation) का उत्पादन सौंदर्य प्रसाधन के लिया किया जाता है, साथ ही दवा निर्माण के लिए भी होता है. इसका उत्पादन राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में व्यावसायिक रूप से बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. सबसे अच्छी बात यह है कि इसकी खेती में ज्यादा पानी की जरूरत नहीं पड़ती है और पारंपरिक फसलों के मुकाबले मेहनत भी कम लगती है.
एलोवेरा में कीट लगते हैं कम (Insects are less in aloe vera)
अगर किसान एलोवेरा की खेती (Aloe Vera Cultivation) करते हैं, तो यह उनके लिए एक फायदे का सौदा है, क्योंकि इसकी खेती में खर्च कम आता है. इसके साथ ही पौधे में कीट लगने की संभावना कम रहती है, इसलिए कीटनाशकों के छिड़काव की जरूरत नहीं पड़ती है. इसकी कटाई कई बार की जा सकती है, जिससे किसान अधिक आमदनी कर सकते हैं.
उपयुक्त मिट्टी (Suitable soil)
इसकी खेती बलुई मिट्टी, पहाड़ी मिट्टी, बलुई दोमट मिट्टी से लेकर किसी भी मिट्टी में कर सकते हैं. वैज्ञानिकों की मानें, तो इसका विकास हल्की काली मिट्टी में अच्छा होता है, इसलिए इसका व्यावसायिक उत्पादन काली मिट्टी वाले क्षेत्र में ज्यादा हो रहा है.
एलोवेरा की रोपाई (Aloe Vera Planting)
इसकी रोपाई के लिए सबसे उपयुक्त समय जुलाई से अगस्त का होता है. इस दौरान रोपाई करते हैं, तो पौधे पूरी तरह जीवित रहते हैं, साथ ही बढ़वार अच्छी होती है.
एलोवेरा की सिंचाई (Aloe vera irrigation)
अगर सिंचाई की सुविधा हो, तो हम वर्ष के किसी भी समय रोपाई कर सकते हैं. अगर सर्दियों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है, तो इसकी रोपाई नहीं करनी चाहिए.
इन बातों का रखें खास ध्यान (Take special care of these things)
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इसके पौधे 20 से 30 सेंटी मीटर की गहराई तक ही जड़ों का विकास करते हैं.
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बुवाई से पहले मिट्टी और जलवायु पर ध्यान देना होता है.
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खेती की 2 बार जुताई करके पाटा चला देना चाहिए.
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इसके साथ ही खेतों को 15 मीटर से 3 मीटर के आकार में बांटकर अलग-अलग क्यारियां बनानी चाहिए. इससे सिंचाई के समय मदद मिलती है.
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पौधे को 60 बाई 60 सेंटी मीटर की दूरी पर लगाना चाहिए. इस तरह लाइन से लाइन की दूरी 60 सेंटी मीटर होगी. इसके साथ ही पौधे से पौधे की दूरी किस्मों के आधार पर रखी जाएगी.
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इसके अलावा पौधा लगाते समय मिट्टी अच्छी तरह से दबी होनी चाहिए.
2 लाख रुपए तक की कमाई (Earning up to Rs 2 lakh)
अगर आप एलोवेरा की एक एकड़ में खेती करते हैं, तो इससे 2 लाख रुपए तक की कमाई आसानी से कर सकते हैं. आप इसके कई प्रोडक्ट बनाकर बेच सकते हैं. इससे आपकी आमदनी कई गुना बढ़ जाएगी.
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