Peanut Farming: मूंगफली एक बेहद ही स्वादिष्ट और फायदेमंद फसल है. भारत के लगभग हर व्यक्ति को मूंगफली पसंद होती है. देश में मूंगफली का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य गुजरात है. उसके बाद राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल आते हैं. अगर आप किसान भाई भी इसकी खेती कर एक शानदार कमाई करना चाहते हैं तो आज हम आपको इसकी खेती के तरीके के बारे में बताएंगे जिससे अपनाकर आप सिर्फ 4 माह में ही मूंगफली की अच्छी पैदावार कर अच्छी कमाई कर सकते हैं.
खेती का तरीका
मूंगफली की उन्नत खेती के लिए अच्छे बीज और आधुनिक तकनीक की जरुरत होती है. मूंगफली की डी.एच. 330 फसल के लिए खेतों में तीन से चार बार जुताई करने के बाद ही बुआई करनी होती है. इसके बाद मिट्टी को समतल करने के बाद फिर खेत में जरूरत के हिसाब से जैविक खाद, उर्वरक और पोषक तत्वों को मिला देना चाहिए. डी.एच. 330 एक ऐसी किस्म की मूंगफली है जिसे ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है. खेत तैयार करने के बाद मूंगफली की बुवाई करनी चाहिए आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि इसकी अच्छी पैदावार के लिए स्वस्थ बीजों का चयन करें.
सिंचाई है जरूरी
मूंगफली की डी.एच. 330 की फसल को तैयार होने में कम बारिश की जरुरत होती है. इसलिए इसे पानी बचाने वाली फसल के नाम से भी जाना जाता है. अगर आपके इलाके में ज्यादा बारिश होने की संभावना रहती है तो आप इस किस्म की खेती बिल्कुल ही ना करें. मूंगफली की फसल में पानी भरने से सड़ने का खतरा बढ़ जाता है और कीड़े लगने का भी खतरा रहता है.
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जैविक कीटनाशक
डी.एच. 330 मूंगफली की फसल में ज्यादा खरपतवार निकलने की संभावना रहती है. ऐसे में आप जैविक खाद के इस्तेमाल से अपनी पैदावार को अच्छा कर सकते हैं. मूंगफली की बुवाई के 25 से 30 दिन बाद खेतों में निराई-गुड़ाई कर देनी चाहिए. खेत में उगने वाली घास को हटा दें और फसल को कीटों और रोगों से सुरक्षा के लिए महीने में दो से तीन बार कीटनाशक का छिड़काव करते रहें.
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