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Wheat and rice: जानें कैसे करते हैं धान और गेहूं की बौनी फसलों की पैदावार

जब से गेहूं और धान की बौनी किस्मों के विकास में अधिक उपज के द्वार खुल गए है, तब से उनकी आनुवांशिकी की उपज, वैज्ञानिक क्रियात्मक दृष्टि से अधिक कारगर और संकर ओज की संभावनाओं के सदुपयोग करने की तरकीबों को निकालने में लगे हुए हैं.

KJ Staff
The production of dwarf crops of paddy and wheat is
The production of dwarf crops of paddy and wheat is

वर्तमान समय में कृषि क्षेत्र में काफी विकास हुआ है. बदलते दौर में कृषि क्षेत्र में तकनीकी से लेकर नई किस्में तक विकास की ओर अग्रसर है. आपको बता दें कि जब से गेहूं और धान की बौनी किस्मों के विकास में अधिक उपज के द्वार खुल गए है,  तब से उनकी आनुवांशिकी की उपज, वैज्ञानिक क्रियात्मक दृष्टि से अधिक कारगर और संकर खोज को लेकर तरकीबों को निकालने लगे हैं. खासतौर से जब चीन ने संकर धान की तकनीकी व्यावसायिक स्तर पर सफल सिद्ध कर दी. तब से इस तकनीक ने सामान्य किस्म से सर्वोत्तम किस्म की तुलना में एक से डेढ़ टन प्रति हेक्टेयर तक धान की ज्यादा पैदावार देकर चीन में संकर धान का क्षेत्र 55% से अधिक बढ़ा लिया है.

चीन से लें सबक

चीन के इस अनुभव से सबक लेते हुए भारत ने सन् 1989 में देश की परिस्थितियों के अनुरूप संकर धान विकसित करने का एक विशाल कार्यक्रम चलाया.

अंतर्राष्ट्रीय संस्था ले रही दिलचस्पी

यह प्रसन्नता की बात है कि 'सिमिट' जैसे गेहूं और मक्का अनुसंधान के लिए प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय संस्था संकर गेहूं और मक्का प्रौद्योगिकी में दिलचस्पी ले रही है. कपास, बाजरा और अरंडी भारत ने संकर किस्में विकसित करने की पहल की थी. इस उपलब्धि से प्रेरणा लेकर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अब नई-नई किस्म के ऐसे संकर पैदा करना चाहती है जो नई परिस्थितियों का डटकर सामना कर सके. इसके लिए धान की अतिरिक्त सरसों,  तोरिया,  अरहर  और कुसुम जैसी फसलों पर भी ध्यान दिया जा रहा है.

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कीट प्रबंधन की अपनाई तकनीकी

यदि उपज को अस्थिर बनाने वाले कारकों की पहचान करके उनमें सुधार कर दिया जाए तो इस समय उपलब्ध किस्मों का ही उपयोग करके अगले 12 वर्षों में 6 करोड़ टन अतिरिक्त खाद्यान्न पैदा किया जा सकता है. यदि किस्मों और संकरों में रोधिता का वांछित स्तर दिया जाय और समेकित कीट प्रबंधन की तकनीकी अपनाई जाए तो उपज में होने वाली हानि को काफी हद तक कम किया जा सकता है. पोषक तत्वों के असंतुलित और कम मात्रा में उपयोग करने, अनुचित किस्म को चुनने और घटिया बीज के कारण भी उपज की बहुत हानि होती है.

वर्तमान में अनेक प्रकार की बाधाओं को देखते हुए यह स्वाभाविक ही है कि हम अपने भीतर झांक कर इस प्रश्न का उत्तर खोजें कि क्या अगले दशक में उत्पादन की वर्तमान दर को बनाए रखने और इसी रफ्तार से बढ़ाएं रखने की संभावनाएं उपलब्ध है अथवा नहीं. रबीन्द्रनाथ चौबे, ब्यूरो चीफ कृषि जागरण मीडिया बलिया उत्तरप्रदेश

English Summary: The production of dwarf crops of paddy and wheat is Published on: 18 September 2023, 06:40 PM IST

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