झारखंड सरकार ने राज्य में लाह की खेती को कृषि का दर्जा दे दिया है. इससे ग्रामीण इलाके के किसानों को काफी लाभ होने वाला है. इसका सबसे बड़ा लाभ पलामू जिले के लोगों को मिलने जा रहा है. राज्य सरकार का कहना है कि राज्य के हित के लिए यह कदम पिछली सरकारों को बहुत पहले ही ले लेना चाहिए था, लेकिन देर ही सही हमने जनता के हित के लिए यह फैसला लिया है.
सरकार के अनुसार, लाह की खेती को कृषि का दर्जा मिलने से पलामू जिले के लगभग 60 हजार से भी अधिक किसानों के आर्थिक हालात सुधरेंगे. इसके साथ ही राज्य सरकार ने गेहूं और चावल चल रही सरकारी योजनाओं को लाह के साथ समन्वय करने का भी फैसला लिया है.
बता दें लाह की खेती को कृषि का दर्जा दिलाने के लिए किसानों ने 2019 में पलामू जिले से दिल्ली तक एक यात्रा भी निकाली थी. इस यात्रा में पलामू से दिल्ली तक झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, कृषि मंत्री बादल पत्रलेख, जोबा मांझी, मिथिलेश ठाकुर समेत कई बड़े नेता शामिल हुए थे.
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आपको बता दें, पलामू जिले का कुंदरी लाह बागान करीबन 400 एकड़ की जमीन में फैला हुआ है. यह भारत में सबसे बड़ा लाह का बागान है. एक अनुमान के मुताबिक, यहां हर साल सरकार को लगभग 50 से लेकर 130 करोड़ रूपये की आमदनी होती है. पिछले कई सालों से इस बागान से रोजगार के कोई साधन नहीं थे लेकिन सरकार के इस कदम के बाद इस बागान में लाह का उत्पादन बढे़गा और इससे यहां के लोगों को रोजगार भी मिलने लगेगा.
यहां के आस-पास के हजारों ग्रामीण के लोगो का यह आय का एक स्त्रोत होता था. एक आकड़े के अनुसार, इस खेती के शुरू होने से लगभग 50 से 60 हजार लोगों को रोजगार मिलने का संभावना जताई जा रही है. लाह का उत्पादन एक साल में दो बार किया जाता है. यहां के कुंदरी लाह बागान में इस समय लगभग नब्बे हजार पलाश के वृक्ष हैं, जिससे एक साल में लगभग 40 करोड़ रुपए तक के लाह का उत्पादन किया जा सकता है.
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