किसानों के लिए अभी रबी सीजन चल रहा है. ऐसे में किसान इस सीजन की फसलों और सब्जियों की खेती कर मुनाफा कमाने के लिए तैयार हैं. ऐसे में हम आपको यहां रबी सीजन में बोए जाने वाले धनिए की खेती को लेकर सलाह देने जा रहे हैं. क्योंकि इसकी खेती कर किसान 40 से 50 दिनों के अंदर ही अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं, बशर्ते खेती करने का सही तरीका और समय पता होना चाहिए. ऐसे में हम आपको इस लेख में बताने जा रहे हैं धनिया की कब, कैसे और कौन सी किस्म की खेती करनी चाहिए.
धनिया की खेती के लिए उन्नत किस्में
गुजरात धनिया-2
इस किस्म की पौध में अधिक शाखाएं पाई जाती हैं. इस किस्म की पौध को पककर तैयार होने में 110–115 दिन का वक्त लगता है. इस किस्म की उपज 1500 किलो प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिल सकती है. वहीं इसकी पत्तियां बड़ी और छतरी के आकार की होती हैं.
साधना किस्म
धनिया की यह किस्म 95-105 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म की उपज 1000 किलो प्रति हेक्टेयर होती है.
स्वाति किस्म
धनिया की इस किस्म को एपीएयू, गुंटूर द्वारा विकसित किया गया है. इस किस्म के फल पककर तैयार होने में 80-90 दिन का समय लेते हैं. इस किस्म से 885 किग्रा प्रति हेक्टेयर उपज मिल सकती है.
राजेंद्र स्वाति किस्म
धनिया की ये किस्म 110 दिन में पककर तैयार हो जाती है. धनिया की ये किस्म आरएयू द्वारा विकसित की गई है. इससे 1200-1400 किग्रा प्रति हेक्टेयर उपज मिलती है.
गुजरात कोरिनेडर-1
इस किस्म के बीज मोटे और हरे रंग के होते हैं. इसके पकने की अवधि 112 दिन की होती है और इससे 1100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिल सकता है.
इन किस्मों के अलावा भी धनिया की बुआई के लिए बाजार में कई उन्नत किस्मे उपलब्ध है. इनमें पंत धनिया -1, मोरोक्कन, सिम्पो एस 33, गुजरात धनिया -1, ग्वालियर न.-5365, जवाहर धनिया -1, पंत हरीतिमा, सिंधु, सी.एस.-6, आर.सी.आर.-4, यु.डी-20,436 जैसी किस्में शामिल है. इन किस्मों की बुवाई कर किसान अच्छा और बेहतर उत्पादन लें सकते है. लेकिन बवाई कैसे करना हैं, इसका सही समय क्या है सहित कई अहम महत्वपूर्ण जानकारी हम आपको इस लेख में दे रहे हैं तो लेख पूरा जरूर पढ़ें.
धनिया की खेती करने का सही समय
धनिया की खेती के लिए इसकी बुवाई अक्टूबर से नवंबर महीने में करना सबसे उपयुक्त माना गया है. क्योंकि इस दौरान तापमान कम रहता है. अगर आप इसकी बुवाई अधिक तापमान में करते हैं तो इसके बीजों में अंकुरण कम हो जाता है और इससे पैदावार प्रभावित होती है. ऐसे में बुवाई से पहले तापमान का ध्यान जरूर रखें. हां ये भी ध्यान रहें कि अधिक पाला पड़ने पर इसकी बुवाई ना करें.
धनिया की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
धनिये को लगभग सभी प्रकार की दोमट, मटियार या कछारी मिट्टी में उगाया जा सकता है, बशर्ते उनमें जीवांश और अच्छी जल धारण की क्षमता हो. हालांकि इसके अच्छे उत्पादन के लिए रेतीली दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मानी गई है. इसके साथ ही काली भारी मिट्टी में भी धनिए की सिंचित फसल उगाई जा सकती है. हालांकि धनिये की फसल के लिए क्षारीय और लवणीय मिट्टी सही नहीं मानी जाती है.
धनिया की खेती के लिए ऐसे करें भूमि तैयार
खेत को भली प्रकार से जोतकर मिट्टी को भुरभुरा बना लें और अंतिम जुताई के समय 5-10 टन प्रति हेक्टेयर गोबर का कम्पोस्ट खेत में मिला दें. इसके बाद खेत में क्यारियां और नहरें बनाएं. ऐसे तो आमतौर पर धनिया को छीटा करते है. लेकिन अगर 5-5 मीटर की क्यारियां बनाकर बुआई की जाए तो इससे सिंचाई और निराई-गुड़ाई करने में आसानी होती है.
धनिया की खेती के लिए बुवाई करने का सही तरीका
धनिया की फसल की बुवाई के लिए कतार से कतार की दूरी 25 से 30 सेंटीमीटर और पौध से पौध की दूरी 5 से 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. वहीं सिंचित फसल में बीजों को 1.5 से 2 सेंटीमीटर गहरा और असिंचित फसल के लिए बीजों को 6 से 7 सेंटीमीटर गहरा बोना चाहिए.
धनिया की खेती के लिए सिंचाई
धनिया की फसल में सिंचाई की ज्यादा जरूरत नहीं होती है. इसमें पहली सिंचाई बुवाई के 3 दिन बाद करनी होती है. इसके बाद मिट्टी में उपलब्ध नमी के आधार पर 10 से 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करना होता है.
धनिया की खेती के लिए खरपतवार प्रबंधन
आमतौर पर धनिया की फसल में दो बार निराई-गुड़ाई की जाती है. पहला इसके बोने के लगभग एक महीने बाद खेतों में सोहनी, निराई-गुड़ाई कर खरपतवार निकाल देना चाहिए. दूसरा फसल के बोने के दो महिने बाद खरपतावार नियंत्रण करना होता है. धनिया की फसल से अच्छा पैदावार पाने के लिए, खरपतवार नियंत्रण के लिए किसान पेन्डीमिथालीन 1 लीटर प्रति हेक्टेयर 600 लीटर पानी में मिलाकर अंकुरण से पहले छिड़काव कर सकते है. हां लेकिन इस दौरान ध्यान रहें कि छिड़काव के समय भूमि में पर्याप्त नमी की मात्रा होनी चाहिए. इसके साथ ही छिड़काव शाम के वक्त करें.
धनिया की फसल के लिए कटाई प्रक्रिया
फसल आमतौर पर किस्मों और बढ़ते मौसम के आधार पर लगभग 90 से 110 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. फलों के पूरी तरह से पकने और हरे से भूरे रंग में बदलने के बाद कटाई की जाती है. कटाई की प्रक्रिया में पौधों को काट दिया जाता है या फिर खींच लिया जाता है. इसके बाद इसे खेत में छोटे-छोटे ढेरों में डाल दिया जाता है, ताकि डंडों से या हाथों से इसे रगड़ सकें.
धनिया की खेती में उपज
एक अनुमान के मुताबिक, अगर इसके उपज की बात की जाए तो बारानी फसल के रूप में धनिया की उपज औसतन 400 से 500 किग्रा / हेक्टेयर के बीच होती है, जबकि सिंचित फसल की उपज 600 से 1200 किग्रा / हेक्टेयर के बीच होती है.
धनिया की खेती से कमाई और लागत
जैसा की धनिया बुवाई के करीब 40 से 50 दिनों में बेचने लायक हो जाता है. ऐसे में अगर आप धनिया के मसालों के अलावा इसे हरे धनिए के रूप में भी बाजार में बेचते हैं तो इससे बेहतरीन मुनाफा कमाया जा सकता है. एक अनुमान के मुताबिक, अगर आप 2 बीघा जमीन में धनिए की खेती करते हैं तो हर साल लगभग 3 लाख का मुनाफा कमाया जा सकता है. वहीं हर दिन आप बाजार के भाव से धनिया बेचकर 2 हजार रुपए तक कमा सकते हैं.
एक अनुमान के मुताबिक, अगर इसकी खेती वैज्ञानिक तरीके से की जाए तो 1 एकड़ जमीन में 40 हजार की लागत से 50 क्विंटल तक उत्पादन मिल सकता है.
धनिया की डिमांड
आमतौर पर हर घर में धनिया का उपयोग किया जाता है. क्योंकि धनिया एक ऐसा मसाला है जिसके बगैर भोजन की थाली अधूरी मानी जाती है. इसकी मौजूदगी से खाने में स्वाद के साथ-साथ रौनक भी नजर आती है. धनिया पाउडर हो या फिर हरे धनिए की पत्तियां खाना बनाने में हर घर में उपयोग की जाती हैं. इसलिए इसकी डिमांड बाजार में हमेशा बनी रहती हैं. इतना ही नहीं धनिया के कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं. जैसे-
पाचन शक्ति मजबूत करने का काम
आंखों की रोशनी के लिए फायदेमंद
कोलेस्ट्रोल को कंट्रोल करने में सहायक
स्वस्थ किडनी के लिए लाभकारी
डायबिटीज में दिलाए आराम
एनीमिया से मिलता है छुटकारा
नोट- इस लेख में हमने आपको धनिया की खेती करने का सही तरीका, इससे उपज, इसकी खेती से होने वाले मुनाफे, इसके स्वास्थ्य लाभ सहित सभी महत्वपूर्ण जनकारियां दी हैं. लेकिन अगर आपके मन में इस लेख को पढ़ने के बाद कोई भी सवाल रह जाता हैं तो आप कमेंट के जरिए पूछ सकते हैं. आप ऐसी ही तमाम खेती-बाड़ी से जुड़ी जानकारियों के लिए कृषि जागरण को लगातार पढ़ते रहिए.
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