भारत देश में दो तरह के लोग हैं एक तो चावल खाने वाले व दूसरे गेहूं खाने वाले. गेहूं का रंग सोने जैसा चमकीला होता है, खेतों में लगी गेहूं की फसल पक जाने पर धूप में सोने की फसल की तरह लगती है. लड़के-लड़कियों में शादी से पहले रंग की तुलना गोरापन, कालापन और गेहूं के रंग वाली या वाला कह कर सम्बोधित किया जाता है.
गेहूं का रंग तो एक ही होता है. उसके खाने से भूख तो मिटती ही है लेकिन गेहूं खाने के कई फायदे भी हैं और यदि गेहूं काले रंग का हुआ तो क्या वह जयादा अच्छा माना जायेगा? या बिलकुल ख़राब? पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया काले गेहूं के बारे में कुछ न कुछ लिखते आ रहे हैं. काले गेहूं के खाने से डॉयबिटीज़ की बीमारी से छुटकारा मिल सकता है, इसके खाने से कैंसर से भी बचा जा सकता है.
यह काले गेहूं कोन उगाता है, और वह किस किस्म की मिटटी में होता है? इसका रंग काला क्यों होता है? क्या यह कहावत इस पर सही बैठती है की 'काले हैं तो क्या हुआ दिलवाले हैं'. इसी तरह का एक गाना अपने जमाने में बहुत मशहूर हुआ था.
भारत में पहली बार काले गेहूं की खेती हो रही है और ये सामान्य गेहूं के मुकाबले न सिर्फ कई गुना महंगा बिकता है बल्कि इसमें कैंसर और डायबिटीज समेत कई बीमारियों से लड़ने की क्षमता होती है.
ये गेहूं कहां पैदा होता है, इसका रंग काला क्यों होता है, क्या काले रंग के अलावा भी किसी रंग का गेहूं होता है और इसके चिकित्सकीय गुण क्या हैं?
सोशल मीडिया में वायरल होने वाली इस पोस्ट में दावा किया गया था कि, सात बरसों के रिसर्च के बाद गेहूं की इस नई किस्म को पंजाब के मोहाली स्थित नैशनल एग्री फूड बायोटेक्नॉलजी इंस्टीट्यूट या नाबी ने विकसित किया है। नाबी के पास इसका पेटेंट भी है। इस गेहूं की खास बात यह है कि इसका रंग काला है.
वायरल हो रही पोस्ट में कहा गया है कि काले गेहूं में कैंसर, डायबिटीज, तनाव, दिल की बीमारी और मोटापे जैसी बीमारियों की रोकथाम करने की क्षमता है।
मोहाली स्थित नाबी इस गेहूं की फसल देखी। उन्होंने पाया कि शुरू में इसकी बालियां भी आम गेहूं जैसी हरी होती हैं, पकने पर दानों का रंग काला हो जाता है। नाबी की साइंटिस्ट और काले गेहूं की प्रोजेक्ट हेड डॉ. मोनिका गर्ग का कहना है कि नाबी ने काले के अलावा नीले और जामुनी रंग के गेहूं की किस्म भी विकसित की है।
काले रंग की वजह एंथोसाएनिन इस गेहूं के अनोखे रंग के बारे में पूछने पर डॉ. गर्ग ने बताया कि फलों, सब्जियों और अनाजों के रंग उनमें मौजूद प्लांट पिगमेंट या रंजक कणों की मात्रा पर निर्भर होते हैं. काले गेहूं में एंथोसाएनिन नाम के पिगमेंट होते हैं. एंथोसाएनिन की अधिकता से फलों, सब्जियों, अनाजों का रंग नीला, बैंगनी या काला हो जाता है। एंथोसाएनिन नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट भी है। इसी वजह से यह सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है.
आम गेहूं में एंथोसाएनिन महज 5 पीपीएम होता है, लेकिन काले गेहूं में यह 100 से 200 पीपीएम के आसपास होता है. एंथोसाएनिन के अलावा काले गेहूं में जिंक और आयरन की मात्रा में भी अंतर होता है। काले गेहूं में आम गेहूं की तुलना में 60 फीसदी आयरन ज्यादा होता है। हालांकि, प्रोटीन, स्टार्च और दूसरे पोषक तत्व समान मात्रा में होते हैं.
क्या काला गेहूं खाने से कैंसर, डायबिटीज जैसी बीमारियां नहीं होतीं. इस पर डॉ. गर्ग का कहना है, चूहों पर किए गए प्रयोगों में देखा गया कि ब्लड कॉलस्ट्रॉल और शुगर कम हुआ, वजन भी कम हुआ लेकिन इंसानों पर भी यह इतना ही कारगर होगा यह नहीं कहा जा सकता। पर यह तो तय है कि अपनी एंटीऑक्सीडेंट खूबियों की वजह से इंसानों के लिए भी यह फायदेमंद साबित होगा.
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