गेहूं की खेती (Wheat Farming) देश के लगभग हर एक क्षेत्र में की जाती है. पूरी दुनिया में कुल 23 प्रतिशत भूमि पर गेहूं की खेती होती है, इसलिए गेहूं को एक विश्वव्यापी महत्वपूर्ण फसल माना जाता है. गेहूं मुख्यतः एक ठंडी और शुष्क जलवायु वाली फसल है.
किसी भी फसल के अच्छे उत्पादन के लिए जरुरी है उसकी अच्छी और सही किस्मों की जानकारी, यदि सही किस्मों का चयन होगा, तो किसान को अपनी फसल से अच्छा उत्पादन होगा. तो आज हम अपने इस लेख में आपको गेहूं की 5 सबसे नई उन्नत किस्मों के बारे में जानकरी देने जा रहे हैं, जिससे अच्छा उत्पादन होगा.
करण नरेन्द्र (Karan Narendra)
गेहूं की यह किस्म खास किस्मों में से एक है. इस किस्म को डीबीडब्ल्यू 222 (DBW-222) के नाम से भी जाना जाता है. गेहूं की ये किस्म 143 दिनों के अन्दर पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म की औसत पैदावार 65.1 प्रति हेक्टेयर है. इसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) करनाल ने विकसित किया है. यह किस्म किसानों के बीच 2019 में आई है.
करण वंदना (Karan Vandana)
गेहूं की ये ख़ास किस्म जिसे डीबीडब्ल्यू-187 (DBW-187) भी कहा जाता है. इस किस्म की फसल 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म की औसत पैदावार 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.
पूसा यशस्वी (Pusa yashasvi)
गेहूं की इस किस्म की खेती कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड राज्यों में की जाती है. इस किस्म की औसत पैदावार हेक्टेयर 57.5 से 79. 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. इस किस्म की खासियत है कि यह फफूंदी और गलन रोग प्रतिरोधक होती है. इस किस्म की फसल की बुवाई का सही समय 5 नवंबर से 25 नवंबर तक उत्तम होती है.
करण श्रिया (Karan Shriya)
गेहूं की इस किस्म की खेती उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों में की जाती है. इस किस्म की फसल को पककर तैयार होने में 127 दिन लगते हैं. इस किस्म की औसत पैदावार 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.
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डीडीडब्ल्यू 47 (DDW-47)
गेहूं की इस किस्म की खेती मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान और छत्तीसगढ़ राज्यों में की जाती है. इसमें प्रोटीन की मात्रा की मात्रा ज्यादा होती है. दलिया और सूजी जैसी डिश इस किस्म की गेहूं से बहुत स्वादिष्ट बनती है. इस किस्म की औसत पैदावार 74 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. इस किस्म की खासियत यह है कि इसके पौधे कई प्रकार के रोगों से लड़ने में सक्षम होते हैं.
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