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Success Story: देश में जहां एक ओर खेती में जमकर रसायनों का इस्तेमाल किया जा रहा है, तो वहीं आज भी कुछ किसान ऐसे हैं जो जैविक और प्राकृतिक खेती के जरिए शानदार मुनाफा कमा रहे हैं, उन्हीं में से एक प्रगतिशील किसान सत्यवान भी है. वर्तमान में सत्यवान खेती और डेयरी फार्मिंग की मदद से लाखों रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं.
कृषि जागरण के इस आर्टिकल में आज हम आपको प्रगतिशील किसान सत्यवान की सफलता की पूरी कहानी बताने जा रहे हैं.
'धरती होगी बलवान, तो किसान होगा धनवान'
कृषि जागरण से बात करते हुए प्रगतिशील किसान सत्यवान ने बताया कि, वह दिल्ली के दरियापुर कलां गांव के रहने वाले हैं और प्राकृतिक खेती करके लाखों की कमाई कर रहे हैं. सत्यवान खेती के अलावा, देसी गाय का भी पालन करते हैं. वह अंतर फसलें भी उगा रहे हैं, जिसके चलते आज किसानों के लिए एक उदाहरण भी बन चुके हैं. सत्यवान का कहना है कि 'यदि धरती बलवान होगी तो किसान धनवान होगा', इससे उनका तात्पर्य है कि अधिक कीटनाशकों के उपयोग के कारण हमारी मिट्टी पूरी तरह से जीवांश रहित हो चुकी है. जिस वजह से फसलों में बीमारियां लगने लगी है.
20 एकड़ में खेती और बनाई खुद की नर्सरी
उन्होंने बताया कि, वह 5 एकड़ खेत में केवल प्राकृतिक खेती ही करते हैं और उनके पास कुल जोत के लिए 20 एकड़ जमीन है. सत्यवान धान, गेहूं, गन्ना और मटर समेत अन्य कई सब्जियों की खेती करते हैं. इसके अलावा वह अपने खेत में सब्जियों की नर्सरी भी तैयार करते हैं, जिसे अच्छे दामों में किसानों को बेच देते हैं.
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स्वयं ‘प्याज की नर्सरी’ बनाते हैं
प्रगतिशील किसान सत्यवान ने बताया कि, वह स्वयं ही प्याज की खेती के लिए नर्सरी को तैयार करते हैं और प्याज के बीजों भी खुद से ही तैयार करते हैं. प्याज की नर्सरी के लिए वो बेड मेकर मशीन का इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने बताया कि, पहले वह परंपरागत तरीके से 'प्याज की नर्सरी' तैयार करते थे जो अच्छी तरह से तैयार नहीं हो पाता था. इससे उन्हें कई बार भारी नुकसान का सामना करना पड़ता था.
लेकिन बाद में उन्होंने आगे चलकर रासायनिक खेती का त्याग कर जैविक विधि अपनाने के साथ ही आधुनिक यंत्रों को अपनाकर आधुनिक तरीके से प्याज की नर्सरी तैयार करने लगे, जिससे उन्हें फायदा होने लगा. आपको बता दें, वर्तमान में सत्यवान प्याज की नर्सरी से भी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. वह प्याज की नर्सरी को स्वयं से बनाकर औसतन 100 रुपये किलो की दर से अन्य किसानों को बेचते हैं.
अन्य तरीकों से गन्ने को बेचकर कमाते है मुनाफा
सत्यवान ने बताया कि, वह गन्ने की भी खेती करते हैं जिसे वह मिल को नहीं बेचते हैं. बल्कि अन्य तरीकों से गन्ने को बेचकर अधिक मुनाफा कमा रहे हैं. उनका कहना है कि, किसान अपना बाजार खुद तैयार करता है और सब खुद किसान पर ही निर्भर करता है कि वह अपनी फसल को किस रूप में बाजार में बेच रहा है. इसके अलावा सत्यवान अपने गाय के चारे का भी विशेष रूप से ध्यान रखते हैं. जिसके लिए वह मक्के की खेती भी करते हैं और बाजार में बेचकर लाखों की कमाई कर लेते हैं.
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सिंचाई के लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर विधि का उपयोग
कृषि जागरण से बात करते हुए सत्यवान ने बताया कि, वह अपने खेत में मटर की खेती रासायनिक विधि को त्यागकर जैविक विधि से कर रहे हैं. इससे उपज भी रासायनिक विधि की अपेक्षा ज्यादा अच्छी हो रही है. उन्होंने बताया, वह मटर और प्याज की सिंचाई के लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर विधि का उपयोग करते हैं, जिससे उचित मात्रा में मटर के हर एक पौधे तक पानी पहुंच जाता है. सत्यवान के मुताबिक, परंपरागत तरीके से सिंचाई न करके, ‘ड्रिप और स्प्रिंकलर विधि’ से सिंचाई करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि मटर को पाले से आसानी से बचाया जा सकता है और मटर की अच्छी पैदावार की जा सकती है.
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18 से 20 लाख रुपये तक कमा लेते हैं मुनाफा
सत्यवान ने सालाना लागत और मुनाफे पर बात करते हुए कृषि जागरण को बताया कि, वह डेयरी फार्मिंग, धान, गन्ना, सब्जियों की खेती और नर्सरी से सालाना लगभग 18 से 20 लाख रुपये तक मुनाफा कमा लेते हैं. उन्होंने बताया कि, खेती में प्रति एकड़ लागत लगभग 15 से 20 हजार रुपये आ जाती है.
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