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रंगीन शिमला मिर्च की खेती कर ये किसान बना लखपति

पुणे के इंदापुर तालुका के कादबनवाड़ी गाँव में रहने वाले विजयराव, शिमला मिर्च के एक सफल किसान हैं. उनका गाँव कभी महाराष्ट्र के 300 नदियाँ वाले सूखे गाँवों में गिना जाता था. लेकिन अब इसमें 100 खेत तालाब, 110 मिट्टी के बाँध, 27 सीमेंट के नाले और 3 परकोटे के टैंक हैं और यह सब उसके पिता की मेहनत के कारण है. विजयराव के पिता एक शिक्षक और एक किसान थे.

मनीशा शर्मा
capsicum
Capsicum

पुणे के इंदापुर तालुका के कादबनवाड़ी गाँव में रहने वाले विजयराव, शिमला मिर्च के एक सफल किसान हैं. उनका गाँव कभी महाराष्ट्र के 300 नदियाँ वाले सूखे गाँवों में गिना जाता था. लेकिन अब इसमें 100 खेत तालाब, 110 मिट्टी के बाँध, 27 सीमेंट के नाले और 3 परकोटे के टैंक हैं और यह सब उसके पिता की मेहनत के कारण है. विजयराव के पिता एक शिक्षक और एक किसान थे.

वर्ष 2010 में कृषि विषय से बीएससी करने के बाद विजयराव ने महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग के लिए काम करने का फैसला किया. इसके लिए उन्होंने दो साल तक संघर्ष किया, कई साक्षात्कार दिए लेकिन नौकरी पाने में सफल नहीं हो सके. इसलिए वह अपने गाँव वापस चले गए और एक पेट्रोल पंप पर काम करना शुरू कर दिया.. यहाँ काम के दौरान उन्हें एहसास हुआ कि इस तरह वह अपनी कृषि की डिग्री बर्बाद कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि वह पारंपरिक खेती शुरू नहीं कर सकते है क्योंकि यह आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं है. उन्होंने पॉली हाउस खेती या नियंत्रित खेती के बारे में सीखा था. पॉलीहाउस खेती मूल रूप से एक संरचना के अंदर खेती का एक नियंत्रित और संरक्षित तरीका है, जहां विभिन्न फूलों और सब्जियों को उगाया जा सकता है. मौसम की स्थितियों के बावजूद एक पॉलीहाउस में फसलें परिपक्व होती हैं. क्योंकि इस प्रक्रिया में फसल के विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए वातावरण को मोटरयुक्त स्क्रीन और वेंटिलेटर के साथ कृत्रिम रूप से प्रबंधित किया जा सकता है. इसके अलावा  सेट-अप पर पॉली फिल्म बारिश के पानी की एक बूंद को भी इसमें प्रवेश करने की अनुमति नहीं देती है. पॉलीहाउस में टमाटर, गोभी, खीरा, स्ट्रॉबेरी, लौकी और शिमला मिर्च और गुलाब और कार्नेशन जैसे फूल आसानी से उगाए जा सकते हैं.

पॉली  हाउस कैसे शुरू किया (How did poly house start)

विजय राव ने बताया कि पुणे में बागवानी प्रशिक्षण केंद्र में एक सप्ताह की कार्यशाला में भाग लेने के बाद, उन्होंने बैंक से 30 लाख रुपये के  लोन के लिए आवेदन किया. उन्होंने फरवरी 2018 में शेलगाँव में एक एकड़ भूमि में एक पॉलीहाउस स्थापित किया. उन्होंने विशेष रूप से पीले और लाल वाले रंगीन शिमला मिर्च उगाने का फैसला किया. 

पहली फसल अप्रैल के मध्य में हुई थी, जहां उन्होंने 35 से 40 रुपये प्रति किलो उपज प्राप्त की थी और आज, वह इन शिमला मिर्चों के लिए 170 रुपये किलो की कीमत पाते हैं. वह न केवल पुणे में बल्कि मुंबई और दिल्ली में भी शिमला मिर्च का निर्यात करते हैं. उनके पॉलीहाउस में 10 महीने (फरवरी से दिसंबर) में 30 टन की पैदावार हुई है और वह इस छोटी अवधि में 13 लाख कमाने में सफल रहे हैं.

English Summary: succes story of vijayrao earn 13-lakhs in 10 months capsicum farmer Published on: 15 January 2019, 04:08 PM IST

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