Bihar: बिहार के सहरसा जिले के किसान वर्षों से परंपरागत खेती करते आ रहे हैं. यह फल सहित धान, मक्का, गेहूं और मूंग की फसल उगाते हैं और औषधीय पौधों के लिए लोगों को बाजार पर ही निर्भर होना पड़ता है. अब इस कोसी क्षेत्र के किसान भी खेतों में नए-नए प्रयोग कर रहे हैं. वर्तमान समय में कोसी के किसानों ने बेर की खेती शुरू कर दी है. इससे वहां के इलाके की अलग पहचान बनने के साथ-साथ किसानों की आमदनी भी बढ़ रही है.
किसान राधा रमण सिंह ने बताया कि उन्होंने कोरोना संक्रमण के बाद बंगाल से बेर के पौधे मंगवाए और इसे अपने गांव के 20 कट्ठे खेत में लगा दिया. एक साल के बाद सभी पेड़ों में फल लगना शुरू हो गए. कुल 275 पेड़ में लगभग 30 क्विंटल बेर का उत्पादन हुआ, जिसे लगभग 30 रूपए प्रतिकिलो की दर से बाजार बेचा और काफी अच्छा मुनाफा कमाया.
वे बताते हैं कि फिर उन्होंने राजमा की खेती शुरू की. राजमा का उत्पादन अच्छा रहा और उसी खेत में राजमा के बाद उन्होंने कद्दू के पौधों की खेती शुरू की. ऐसा करके उन्होंने एक ही खेत से चार-चार नकदी फसल उगाने में सफलता प्राप्त की है. ऐसे में एक बीघे की खेत से पहले बेर का उत्पादन फिर राजमा और अब कद्दू से भी मुनाफा कमाना राधा रमण को काफी लाभप्रद दिख रहा है. उन्होंने बताया कि कद्दू के उत्पादन के बाद एक और फसल के उत्पादन के बारे में वह विचार कर रहे हैं.
राधा रमण ने बताया कि वर्ष 1994 में मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने इंटर में अपना नामांकन कराया, लेकिन गांव-परिवार में बड़े डिग्री वाले लोगों को बेरोजगार देख उन्होंने पढ़ाई न करने का फैसला लिया. उनकी गांव में काफी खेती की भूमि थी, ऐसे में उन्होंने अपनी सारी मेहनत को खेती में ही समर्पित कर दिया.
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वर्ष 1994 में स्थानीय विकास भवन में आयोजित किसान प्रदर्शनी में वे अपनी खेत से उपजाए टमाटर को लेकर पहुंचे थे, जिसमें एक टमाटर का वजन लगभग 600 ग्राम था. इसके लिए उन्हें राज्य स्तर पर प्रथम पुरस्कार मिला. यहां से उनके सफलता की कहानी शुरू हो गई.
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