खंड के गांव खंडेवला के युवा किसान प्रदीप कटारिया केसर की खेती करने के लिए गुड़गांव ही नहीं बल्कि आसपास के क्षेत्र में भी चर्चा में हैं. उन्होंने गेहूं की ऑर्गेनिक खेती को तो बढ़ावा दिया, साथ ही बेशकीमती फसल केसर की खेती कर सभी को आश्चर्य में डाल दिया. केसर की खेती में सफलता मिलने से प्रदीप काफी खुश हैं.
वे जिले के पहले किसान हैं, जिसने केसर की फसल आधा एकड़ जमीन में तैयार की है. उनका परिवार अब केसर की चुटाई में लगा है. अभी तक वे 5 किलोग्राम केसर तैयार कर चुके हैं. प्रदीप का मानना है कि आधा एकड़ जमीन पर करीब 20 किलोग्राम तक केसर तैयार हो जाएगी. किसान अब अपनी फसल हल्दीराम व खारी बावली के बाजार में बेचने की तैयारी में है. केसर का थोक रेट फिलहाल 2.5 लाख रुपए प्रति किलो बताया जा रहा है.
केसर की खेती के लिए किसान ने समाचार पत्र में पढ़ा था और उसी आधार पर उसने आधा एकड़ जमीन के लिए कैनेडा से अमेरिकन केसर का बीज मंगाकर बिजाई की. किसान प्रदीप के अनुसार सबसे अधिक खर्च बीज पर हुआ, जो लगभग 1.45 लाख रुपए में मिला था. बीज व खाद के लिए अब तक वो करीब दो लाख रुपए खर्च कर चुका है. प्रदीप का कहना है कि हरियाणा में वो पहला किसान है, जिसने केसर की पैदावार की है. प्रदीप ने बताया कि उसने एक समाचार पत्र में राजस्थान के किसान द्वारा केसर पैदा करने की स्टोरी पढ़ी थी, जिसके बाद उसे अपनी जमीन पर केसर की फसल उगाने का आइडिया आया. उसने पहले अपने खेत की मिट्टी को शिकोहपुर लैब से टेस्ट कराया था.
ऐसे बीमारियों से बचाया
आधा एकड़ भूमि में अक्टूबर में एक-एक फीट की दूरी पर बिजाई की थी. इसके बाद 20 से 25 दिनों में अन्य फसलों की तरह पानी से सिंचाई करते रहे. इस फसल में फंगस लगती है, जिससे बचाव के लिए देशी उपाय के रूप में नीम के पत्ते, आखड़ा और धतूरे के पत्तों को पानी में उबालकर फसल पर छिड़काव किया जाता है. फसल के लिए तापमान भी 8 से 10 डिग्री सेल्सियस तक होना चाहिए. फसल के लिए बारिश लाभकारी, तेज हवा और ओलावृष्टि नुकसानदायक होती है.
फसल के अवशेष होते हैं हवन में प्रयोग
किसान ने बताया कि केसर की खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके बीज, केसर तो महंगे बिकते ही हैं, साथ में फसल के अवशेष भी हवन सामग्री में इस्तेमाल किए जाते हैं. केसर को बेचने के लिए वे राजस्थान या गुजरात के व्यापारियों से भी संपर्क करेंगे.
पहले 15 दिन में एक बार की जाती है सिंचाई
प्रदीप ने बताया कि सबसे पहले खेत की मिट्टी की टेस्टिंग करानी होती है. इसके बाद खेत को पूरी तरह ऑर्गेनिक बनाना होता है. कोई भी केमिकल नहीं डाले, जिससे केसर की गुणवत्ता बेहतर की जा सके. इसके बाद गोबर की खाद डालने के बाद सिंचाई करनी होती है. केसर में पहले सिंचाई 15 दिन में एक बार की जाती है और उसके बाद एक महीने बाद भी की जा सकती है. फरवरी में पूरी फसल में फूल आ गए और मार्च के अंतिम सप्ताह में फसल तैयार हो गई. फसल में लगने वाले कीड़े आदि के बारे कृषि विभाग के विशेषज्ञों से भी वो लगातार संपर्क में रहा.
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