छत्तीसगढ़ के परलकोट का नाम आते ही सबसे पहले उन्नत खेती, लहलहाते मक्के के खेत और सब्जियों का दृश्य सामने आने लगता है. बता दें कि आज से ठीक दो दशक पहले यहां ऐसा नहीं था. यहां के किसान काफी मेहनती थे लेकिन वह ठीक तरह से जानकारी नहीं होने की वजह से केवल धान की ही फसल को लिया करते थे.
बाद में यहां के ग्रामीण विकास अधिकारी आरके पटेल ने मक्के की क्रांति में अहम योगदान दिया. दरअसल उन्होंने किसानों को मक्का, हाईब्रिड धान, बायो गैस संयंत्र के अलावा कीटों से लड़ने वाले कारगर देशी उपाय बताना शुरू कर दिया. शुरूआत में गांव के किसानों ने उनकी तकनीक को अपनाने से इंकार कर दिया था.
बाद में उन्होंने खुद किसानों के खेतों में इसका प्रयोग करके सिखाया है और सफलता मिल जाने पर बाकी किसानों ने भी इसको आजमाया है. अब यहां पर कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन सामने आए है. शुरूआत में ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी ने किसानों को मक्के की फसल लगाने की सलाह दी.
मक्के की फसल से हो रहा मुनाफा (Profit from maize crop)
किसी भी तरह से खुद के खर्च पर बीज देकर ग्राम पीवी 5 के किसान महेंद्र पिता कांतूराम जी को तैयार कर उन्होंने 11 एकड़ में फसल को लगवाया है. उनको इससे कुल 30 क्विंटल का उत्पादन हुआ तो आसपास के किसान भी काफी प्रभावित हुए है.
धीरे-धीरे यहां पर मक्के की फसल ने क्रांति का रूप ले लिया है. वर्तमान में आज मक्का खरीफ 7 हजार हेक्टेयर और रबी में 15 हजार हेक्टेयर में लगाया जाता है. मक्का खरीफ 7 हजार हेक्टेयर और रबी सीजन में 15 हजार हेक्टेयर में लगाय़ा जाता है. मक्का खरीफ से अधिक मुनाफा रबी फसल में देता है.
धान का भी उत्पादन हुआ (Paddy was also produced)
बारिश के मौसम में प्रति एकड़ उत्पादन 20 क्विंटल तो ठंड में बढ़कर 30 से 35 क्विंटल प्रति एकड़ हो जाता है. बाद में पटेल ने किसानों को हाइब्रिड धान से परिचय करवाया है. इस बीज को भी शुरू में किसान अपनाने के लिए तैयार नहीं हुए थे. वर्ष 2000 में किसान अमर मंडल के खेत में प्रयोग के तौर पर आधा एकड़ मे 3 किलो हाईब्रिड धान प्रो एग्रो 6201 का बीज लगवाया है.
किसानों को यहां पर भी काफी बेहतरीन नतीजे देखने को मिले है. यहां पर आधा एकड़ में 20 क्विंटल धान उत्पादन हुआ यानी एक एकड़ में 40 क्विंटल तक उत्पादन होने लगा है. देखते ही देखते किसानों ने हाईब्रिड धान लगाने का कार्य शुरू कर दिया जिससे उनकी कमाई दुगनी हो गई.
रासायनिक कीटनाशक की जगह देसी उपाय (Homemade remedies instead of chemical pesticides)
पटेल बताते है कि आज वह किसानों को देसी उपाय भी बता रहे है जो कि सस्ते होने के साथ ही किसानों के हित में होते है. आज मक्के की फसल में कीट प्रकोप है जिससे बचाव के लिए बाजार में आज जहरीली दवाई भी उपलब्ध है.
इसका उपयोग करने पर कीट तो आसानी से मर जाते है लेकिन किसानो को काफी नुकसान होता है. देसी उपाय इजद किया है वह काफी ज्यादा किफायती है और काफी सरल है.
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