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यूपी के किसान ने 3 तरीकों से लिखी सफलता की नई कहानी, जानें इनके लखपति बनने का राज़

यूपी के सतीश कुमार ने खेती के साथ डेयरी फार्मिंग और मत्स्य पालन व्यवसाय शुरू कर अपनी आमदनी को चौगुना कर लिया है. यह जैविक खेती कर अपने उत्पादों को अच्छे दामों पर बेच रहे हैं.

रुक्मणी चौरसिया
Progressive Farmer's Real Story
Progressive Farmer's Real Story

"जो चीज आपको CHALLENGE करती है, वही चीज आपको CHANGE करती है". यही हौंसला उत्तर प्रदेश (UP) के रहने वाले किसान सतीश कुमार (Satish Kumar) ने भी कर दिखाया है. यह मेरठ के एक प्रगतिशील और सफल किसान हैं जो जैविक खेती (Organic Farming) के साथ-साथ मत्स्य पालन (Fish Farming) और डेयरी फार्मिंग (Dairy Farming) भी कर रहे हैं.

खेती और पशुपालन व्यवसाय (Agriculture Business Ideas)

सतीश ने अपने पिता को देखते-देखते ही खेती के बारे में जाना और सीखा है. लेकिन इनको हमेशा यह लगता था कि जितना इनके पिताजी मेहनत करते हैं, उतनी उनकी कमाई नहीं हो पा रही है. इसलिए इन्होंने यह सब करने की ठानी व कृषि और पशुपालन (Animal Husbandry) को अपना बेहतर कमाई का जरिया बना लिया.

इनके पिता के समय क्षेत्र में ना बिजली थी और ना ही ढंग से सिंचाई करने का पानी होता था. इसके अलावा, जिस तरह से खेती में आज के समय में व्यवस्था है इसके विपरीत उस समय में इनके पिता को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता था.

आर्थिक स्थिति में सुधार (How to Increase Economic Health)

इसलिए यह अपनी पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ अपने पिता की खेती में मदद किया करते थे. और, जैसे ही इनकी शिक्षा खत्म हुई उसके बाद वह नौकरी करने नहीं बल्कि खेती में ही आगे बढ़ना चाहते थे और अपने पिता का कंधा बनना चाहते थे.   

सतीश को बहुत अच्छे से यह पता था कि यदि वो अपनी पढ़ाई का उपयोग कृषि क्षेत्र में करते हैं तो आगे चलकर बेहतर कमाई कर सकते हैं. जिसके बाद इन्होंने ना आर देखा ना पार देखा और कड़ी मेहनत के साथ सीधे अपने पिता के साथ खेती में लग गए.

गुड़ का बिज़नेस (Jaggery Profitable Business)

सतीश ने अपने शुरुआती चरण में गन्ने की खेती (Sugarcane Farming) की थी. जिसके बाद इन्होंने कोल्हू से इसका रस निकालकर गुड़ बनाया और फिर इसकी बिक्री की थी. इनके मन में हमेशा से एक दृढ़ विचार था की मुझे खेती और इससे जुड़े क्षेत्र में व्यवसाय करना है और तगड़ा मुनाफा कामना है.

डेयरी फार्मिंग का व्यवसाय (Dairy Farming Business in India)

यही वजह थी कि इन्होंने इसके साथ-साथ डेयरी फार्मिंग में भी अपना हाथ आज़माया, और इसकी शुरुआत की. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सतीश के पास 4 से 6 पशु थे जिससे इन्होंने डेयरी फार्मिंग में कदम ज़माने शुरू कर दिए थे.

सरकारी योजना की मदद (Government Schemes for Farmers)

सतीश ने इन सब को अंजाम देने के लिए सरकारी योजना का लाभ लिया, साथ ही कृषि विज्ञान केंद्र से वैज्ञानिकों से भी सलाह-मशवरा किया था. फिर इनका धीरे-धीरे डेयरी फार्मिंग व्यवसाय बढ़ता गया और ख़ुशी की बात यह है कि आज इनका गांव में सबसे बड़ा डेयरी फार्म है.        

बायोगैस प्लांट और जैविक खाद (Biogas Plant)

गज़ब की बात तो यह है कि इन्होंने अपने फार्म में बायोगैस प्लांट भी स्थापित किया हुआ है जिसका इस्तेमाल यह जैविक ईंधन और खाद बनाने में करते हैं. यह गाय के गोबर का इस्तेमाल जैविक खेती के लिए करते हैं जिससे इन्हे रासायनिक खाद की जरूरत नहीं पड़ती है.

आर्गेनिक चीज़ों की डिमांड में तेज़ी (Organic Products)

इसी के चलते आज सतीश बड़े पैमाने पर गन्ने की जैविक खेती (Organic Farming) कर रहे हैं और इसका रस निकालकर व गुड़ बनाकर मार्केट में बेच रहे हैं. आज कल जिस तरह से रासायनिक चीज़ों से लोग दूर जा रहे हैं और जैविक चीज़ों को अपना रहे हैं, वह संकेत दे रहा है की आगे आने वाला समय आर्गेनिक का है. सतीश ने इसको पहले ही समझ लिया था और आज वह अन्य गुड़ की तुलना में अपने जैविक गुड़ को बेचकर तगड़ा मुनाफा कमा रहे हैं.

जैविक व रासायनिक खेती में अंतर (Organic and Chemical Farming)

भूमि के एक सीमित टुकड़े से फसल उत्पादन को अधिकतम करने के लिए, किसान कीटनाशकों पर बहुत अधिक निर्भर होते हैं. ये कीटनाशक कृत्रिम रूप से फसलों को रोगों के प्रति प्रतिरोधी बनाने में मदद करते हैं और इसलिए कृषि उत्पादन को बढ़ावा देते हैं. हालांकि, एक साइड इफेक्ट के रूप में, यह विधि लंबी अवधि में मिट्टी के दूषित होने की ओर ले जाती है. इसके अलावा, सिंथेटिक रसायन अक्सर फसल रोटेशन जैसी प्रक्रियाओं के पूरक के लिए उपयोग किए जाते हैं, जिससे मिट्टी का क्षरण होता है, जिससे पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

इन बाहरी रसायनों के साथ उदार पारंपरिक तकनीकों के विपरीत जैविक खेती सिंथेटिक उर्वरकों के उपयोग पर निर्भर नहीं करती है. शोध अध्ययनों से पता चला है कि जैविक खेती सालाना लगभग 500 मिलियन पाउंड कीटनाशकों और रसायनों को पर्यावरण में प्रवेश करने से समाप्त कर सकती है.

बढ़ती आबादी और आने वाले वर्षों में और अधिक लोगों को खिलाने की बढ़ती आवश्यकता के साथ, इस प्रथा को अपनाना सबसे महत्वपूर्ण है. ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारे प्राकृतिक संसाधन भविष्य में बुनियादी मानवीय जरूरतों को पूरा करने की स्थिति में हैं.

मत्स्य पालन का व्यवसाय (Fish Farming in India)

इसके अतिरिक्त, खेती और डेयरी फार्मिंग के बाद उन्होंने मत्स्य पालन में अपना हाथ आज़माना चाहा जिसमें उनके हाथ फिर से सफलता ही लगी. आज सतीश पूरे गांव में इन तीनों चीज़ों के लिए ही लोगों का प्रेरणा स्रोत बन चुके हैं.

मछली पालन की आवश्यकता क्यों (Fish Farming Profitable Business)

मछली पालन व्यवसाय शुरू करने का एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि मछली व्यवसाय भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के अन्य हिस्सों में भी इसकी भारी मांग है. मुख्य कारणों में से एक यह है कि मांस या पशु उत्पादों की तुलना में अधिक लोग मछली और मछली उत्पादों को खाना पसंद करते हैं.

ऐसा इसलिए है क्योंकि विटामिन और प्रोटीन के कारण भोजन के स्रोत के रूप में मछली की बहुत अधिक मांग है. इसके अलावा, बढ़ती मांग और आपूर्ति श्रृंखला की कमी के अनुसार, यह स्पष्ट है कि अधिक संख्या में लोग आधुनिक परंपराओं के रूप में मछली पालन की ओर बढ़ रहे हैं.

वहीं सतीश की तरह ही अन्य लोगों ने वर्तमान समय में अपने खेतों और बड़े तालाबों में मछली पालन (Fish Farming) करना शुरू कर दिया है क्योंकि यह अत्यधिक लाभ देने का अच्छा व्यवसाय है. इसलिए, यह एक मुख्य कारण है कि अधिक से अधिक लोग मछली फार्म स्थापित करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं.

कृषि ट्रेनिंग क्लास (Farming Training Class)

आज सतीश अपने क्षेत्र के अन्य किसानों की मदद भी कर रहे हैं और उनको जैविक खेती के फायदे बता रहे हैं. वह बताते हैं कि जैविक खेती से कृषि उत्पादों (Organic Products) में बढ़ोतरी होती है और साथ ही पर्यावरण को भी बिल्कुल नुकसान नहीं पहुंचता है.  

English Summary: farmer new success story from agriculture, dairy farming, fish farming, now earning in lakhs Published on: 14 June 2022, 04:27 PM IST

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