आज हमारे देश के किसान खेती में नवाचार के माधयम से नई उपलब्धियां हासिल कर रहे हैं, जिसमें किसान उत्पादन संगठन (FPO) एक अहम भूमिका निभा रहा है. एफपीओ के माध्यम से किसानों को नई तकनीक और खेती के नए आयामों की जानकारी मिल रही है. ऐसे में एफपीओ का संचालन अच्छे हाथों में होना बेहद जरूरी है, ताकि किसानों को सही मार्गदर्शन मिलता रहे. इसी कड़ी में आज हम संरक्षक किसान उत्पादक कंपनी के संचालक धर्मेंद्र प्रधान की सफल कहानी साझा करने जा रहे हैं, जो कृषि को बचाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं.
धर्मेंद्र प्रधान उत्तर प्रदेश के बागपथ जिले के रहने वाले हैं. उन्होंने बीते साल 2022 से संरक्षण एफपीओ का संचालन शुरू किया. धर्मेंद्र प्रधान ने कृषि जागरण से खास बातचीत में कहा कि अब अधिकतर किसान जैविक खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं, वह बताते हैं कि अब खेती में खाद और कैमिकल का कम से कम प्रयोग कर रहे हैं, जिससे उनकी भूमि भी उपजाऊ बनी रहे, आम जनता तक कैमिकल रहित गन्ना, गुड़, अनाज आदि पहुंचता रहे.
एक ही फसल से उपजाऊ क्षमता होती है खत्म
धर्मेंद्र प्रधान कहते हैं कि एक ही फसल खेत में बोने से खेत की उपजाऊ क्षमता खत्म होने लगती है. उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जैसे हम रोजाना आलू का पराठा नहीं खा सकते हैं, उसी प्रकार से एक ही प्रकार की खेती करने से भूमि की उपजाऊ क्षमता खत्म हो जाती है. एक बार गन्ने के फसल परिपक्व हो जाती है उसके बाद फिर से अगली बार उसमें गन्ना उगाया जाता है. यह प्रक्रिया बार-बार दोहराने पर जमीन की उपजाऊ क्षमता खत्म हो जाती है.
ट्रैंच विधि से करें गन्ने की खेती
किसानों को ट्रैंच विधि से गन्ने की खेती करनी चाहिए. ट्रैंच विधि में गन्ने से गन्ने की दूरी 4 फीट की होती है. धर्मेंद्र का मानना है कि ट्रैंच विधि से गन्ना उगाने पर भी उतना ही लाभ मिलता है, जितना आम गन्ने की खेती से प्राप्त होता है. गन्ने से गन्ने की दूरी के बीच इंटर फार्मिंग जैसे कि उदड़, आलू, प्याज, सरसों आदि की खेती कर सकते हैं. वह खुद भी यह प्रक्रिया अपना रहे हैं.
वीडियो से हुए प्रेरित
धर्मेंद्र प्रधान बताते हैं कि उन्होंने एक वीडियो देखी जिससे उन्हें सीख मिली कि, हम आने वाले वक्त में अपने बच्चों और देश के लिए क्या छोड़कर जाएंगे. अभी तो हम विकास कर रहे हैं बड़े बड़े पुल, सड़कों आदि का निर्माण कर रहे हैं, मगर जब कोरोना आया तो सारी चीजें रुक गईं. रेल, सड़क, हवाई यात्राएं, बड़े-बड़े व्यवसाय सब ठप पड़ गए. उस वक्त कोई चीज सबसे ज्यादा काम आई तो वह थी खेती. इंसान बाकी सब के बिना रह सकता है, मगर अनाज के बिना जीवन अधूरा है. कोरोना काल के दौरान कई लोगों ने अपनी जान गंवाई, मगर किसी भी व्यक्ति ने भूख से प्राण नहीं त्यागे. इसी को देखते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने खुद का एफपीओ (FPO) शुरू किया. जिसका उद्देश्य था कि किसान अपनी आय को बढ़ाए और जमीन की उत्पादन क्षमता भी बढ़ती रहे. वह कहते हैं कि बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए खेती के उत्पादन को बढ़ाना भी बेहद जरूरी है.
धर्मेंद्र प्रधान बताते हैं कि उन्हें सबसे अधिक समस्या किसानों को समझाने में आई. जिसके लिए उन्होंने सोचा कि किसानों को मौखिक और प्रैक्टिकल तौर पर सिखाने की जरूरत है. इसके लिए अब वह किसानों को अपने साथ जोड़ने के लिए उन्हें प्रैक्टिकल ज्ञान दे रहे हैं.
जैविक खेती की ओर हो रहे अग्रसर
धर्मेंद्र प्रधान अब धीरे- धीरे जैविक खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं. वह अपने खेतों में अब केवल गोबर से बनी खाद और कैमिकल रहित खाद का इस्तेमाल कर रहे हैं. उनका कहना है कि उनके द्वारा अब एक मुहिम भी चलाई जा रही है, जिसमें वह किसानों को बताएंगे कि कैसे वह केवल जैविक खाद के जरिए एक अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं.
FPO से जुड़ने के बाद बदलाव
वह बताते है कि पहले वह गन्ने की खेती से 50 से 60 क्विंटल प्रति बीघा फसल प्राप्त करते थे, मगर अब वह प्रति बीघा से 100 क्विंटल गन्ना प्राप्त कर रहे हैं. धर्मेंद्र प्रधान का कहना है कि वह अपनी फसल से 30 फीसदी मुनाफा कमा रहे हैं. उनका मानना है कि अभी भी किसानों को उनकी फसल की सही कीमत नहीं मिल रही है.
पहल छोटे स्तर से की जाती है, इसी प्रकार से धर्मेंद्र प्रधान की इस पहल के बाद से लोगों में कहीं ना कहीं खेती–किसानी के प्रति उत्सुक्ता जागेगी. धीरे-धीरे ही सही, लेकिन बढ़ती संख्या और उत्पादन क्षमता का अनुपात बरकरार रखने में मदद मिलेगी.
अभी इस एफपीओ के साथ 132 किसान जुड़े हुए हैं, उनका कहना है कि वह अपने संगठन से 1000 किसानों को जोड़ने का लक्ष्य रख रहे हैं.
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संरक्षक किसान उत्पादक कंपनी लिमिटेड 24 नवंबर 2021 को स्थापित की गई एक निजी कंपनी है. इसे गैर-सरकारी कंपनी के रूप में वर्गीकृत किया गया है और यह रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज, कानपुर में पंजीकृत है.
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