शादी होना कोई नई बात तो नहीं है. यह रिवाज़ सदियों से जारी है. एक पुरुष और स्त्री जब अपनी मर्ज़ी से एक साथ रहने का फैसला करते हैं तब उस फैसले को समाज में एक इज्ज़तदार दरजा देने के लिए जो रस्में निभाई जाती हैं उसे शादी, विवाह, निकाह या जो भी आप जानते हैं, वो कहते हैं.
आज का ये लेख उन लड़के-लड़कियों के लिए है जिनकी शादी होने वाली है. यहां उन लोगों को ज्यादा फायदा होगा जिनकी शादी को अभी साल- डेढ़ साल का वक्त है. क्योंकि यहां जो सावधानियां बताई गई हैं उसे अपनाने और अपनी आदत बनाने में समय लगेगा. लेकिन बाकि लोग मायूस न हों. इन टिप्स को अपनाना ही तो है, पहाड़ थोड़ी तोड़ना है.
थोड़ा नरम और ठंडा रहना सीखें
गुस्सा नाक पर नहीं हवा में रखें. मैं पर्सनली ऐसे बहुत लोगों को जानता हूं जिनकी शादी को अभी कुछ महीने, 1 साल या 2 साल गुज़रे हैं. सब अलग-अलग स्टेटस, धर्म से बिलौंग करते हैं लेकिन कमाल की बात ये है कि दिक्कत सबकी एक सी है. मैं जब भी इन लोगों से बात करता हूं तो यही महसूस करता हूं कि तमाम अच्छाईयां होने के बावजूद भी इन लोगों में पेशेंस की भारी कमी है और ये लोग झुकने को अपनी बेइज्जती समझते हैं. बहुत जल्दी गुस्सा आ जाता है और चेहरा ज्वालामुखी की तरह लाल हो जाता है. इसलिए प्लीज, कोशिश करें कि गुस्सा नाक पर नहीं हवा में रखें. आप सिर्फ इसी आदत को छोड़ दें तो आप देखेंगे कि आपके जीवन में चेंज आ गया है.
खाना बनाना तो आना ही चाहिए
ये बात अब बाप-दादा के ज़माने की हो गई है कि खाना-पकाना सिर्फ औरत का काम है. अगर आप थोड़ा ध्यान दें तो बड़े-बड़े होटल और रेस्तरॉ में कूक या खाना बनाने वाले ज्यादातर मर्द ही मिलेंगे और अब वो ज़माना भी नहीं रहा कि मर्द थका-हारा आए, ज़ोर से खाने के लिए पुकारे और खाना मिल जाए. इसलिए कोशिश करें कि बीवी का थोड़ा हाथ बटाएं और खुशी- खुशी गृहस्थी की गाड़ी चलाएं.
अच्छा खाएं और सेहत का ध्यान रखें
दोस्तों ये सबसे अहम पहलू है क्योंकि अगर आप हेल्दी नहीं हैं तो आप शादी से पहले भी परेशान रहेंगे और शादी के बाद भी. अगर स्वास्थ्य ठीक नहीं होता तो आदमी हो या औरत, वो 24 घंटे चिड़चिड़ा ही रहता है. किसी चीज़ में मन नहीं लगता. घर का माहौल खराब रहता है, लड़ाई-झगड़े बढ़ जाते हैं. इसलिए अच्छा स्वास्थ्य एक सुखी जीवन का आधार है.
मां-बाप और रिश्तों को रखें बैलेंस
मां-बाप चाहे लड़की के हों या लड़के के, दोनों अपनी जगहों पर फिट रहें तो घर हिट रहता है. शादी के बाद अक्सर देखा ये जाता है कि लड़की सास-ससुर को अपनाने में संकोच करती है और कहानी वहीं से बिगड़ने लगती है. इसी तरह अगर लड़का अपने सास-सुसर की तरफ ध्यान न दे तो वो नाराज़ हो जाते हैं. यहां सारा खेल समझदारी का है और ये समझदारी मां-बाप को नहीं लड़के और लड़की को दिखानी होगी.
क्योंकि उनको समझाने जाएंगे तो शायद बात न भी बने लेकिन अगर लड़का और लड़की समझदार हैं तो वह यहां बैलेंस बनाकर घर में सुख और शांति का माहौल दे सकते हैं और यदि समझदार न निकले तो घऱ में रोज धमाके होने निश्चित हैं.
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