चाय का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य असम है, जो कि भारत के उत्तर पूर्व में स्थित है. इस राज्य को Tea City of India भी कहा जाता है. आज हम आपको असम की चाय से जुड़ी कई रोचक बातें बताने जा रहे हैं. सबसे पहले बता दें कि असम एक ऐसा राज्य है, जहां चाय के क्षेत्र में लगभग 1/5 लोग काम करते हैं. चीन के बाद असम ही दुनियाभर में दूसरा सबसे महत्वपूर्ण चाय उत्पादक राज्य है. यहां की रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ईरान समेत कई देशों में निर्यात की जाती है.
आंकड़ों की मानें, तो हर साल असम में 500 मिलियन किलोग्राम से अधिक चाय का उत्पादन किया जाता है. बताया जाता है कि यहां की चाय में सुबह की चाय में इस्तेमाल होने वाला विशेष इंग्रेडिएंट पाया जाता है. सर विलियम मैककेचर ने साल 1930 में सीटीसी तरीके से (cut, tear, curl) का आविष्कार किया था. बता दें कि सीटीसी चाय की प्रोसेसिंग का एक तरीका है. इसमें चाय की पत्तियां रोलर्स से गुजरती हैं. इन रोलर्स में तेज दांत होते हैं, जो कि पत्तियों को कुचलते हैं, साथ ही कर्ल करते हैं. ऐसा होने से वह छोटे और सख्त छर्रों में बदल जाते हैं, जिससे इसकी पैकिंग आसानी से हो जाती है.
आंकड़ों की मानें, तो हर साल असम में 500 मिलियन किलोग्राम से अधिक चाय का उत्पादन किया जाता है. बताया जाता है कि यहां की चाय में सुबह की चाय में इस्तेमाल होने वाला विशेष इंग्रेडिएंट पाया जाता है. सर विलियम मैककेचर ने साल 1930 में सीटीसी तरीके से (cut, tear, curl) का आविष्कार किया था. बता दें कि सीटीसी चाय की प्रोसेसिंग का एक तरीका है. इसमें चाय की पत्तियां रोलर्स से गुजरती हैं. इन रोलर्स में तेज दांत होते हैं, जो कि पत्तियों को कुचलते हैं, साथ ही कर्ल करते हैं. ऐसा होने से वह छोटे और सख्त छर्रों में बदल जाते हैं, जिससे इसकी पैकिंग आसानी से हो जाती है.
जानकारी के लिए बता दें कि असम में चाय के पौधे की खोज रॉबर्ट ब्रूस द्वारा की गई थी. इस राज्य की सिंघो जनजाति द्वारा चाय का इस्तेमाल पेय पदार्थ के लिए किया जाता था. कहा जाता है कि सन् 1823 में रॉबर्ट ब्रूस को सिंघो जनजाति के प्रमुख बेसा गाम ने प्लांट दिखाया था.
सबसे खास बात यह है कि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में सूरज बहुत पहले उग जाता है, इसलिए असम के चाय बागवानों के लिए अलग टाइम जोन बनाया गया है. इसको चाय बागान टाइम कहा जाता है. यह भारतीय मानक समय (आइएसटी) से 1 घंटा आगे है.
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