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इसे आध्यात्मिक रूप से प्रकृति और पुरुष के मिलन की रात के रूप में बताया जाता है. इस दिन शिवभक्त व्रत रखकर अपने आराध्य का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. इसके साथ ही जलाभिषेक करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है और इसके पीछे की वजह क्या है? आइए आपको इस संबंध में पूरी जानकारी देते हैं-
पहली बार प्रकट हुए थे शिवजी
पौराणिक कथाओं की मानें, तो इस दिन शिवजी पहली बार प्रकट हुए थे. शिव का प्राकट्य ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में हुआ था. एक ऐसा शिवलिंग जिसका न तो आदि था और न अंत.
कहा जाता है कि लिए ब्रह्मा जी हंस के रूप में शिवलिंग का पता लगाने के शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग को देखने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली, क्योंकि वह शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग तक पहुंच ही नहीं पाए.
64 जगहों पर प्रकट हुए थे शिवलिंग
एक और कथा यह भी है कि महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग लगभग 64 जगहों पर प्रकट हुए थे, जिनमें से केवल 12 जगह का नाम पता है. इन्हें 12 ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है.
शिव और शक्ति का हुआ था मिलन
मान्यता है कि महाशिवरात्रि को शिवजी और शक्ति का विवाह हुआ था. इसी दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था. बता दें कि शिवजी एक वैरागी थे, लेकिन फिर वह गृहस्थ बन गए. शिवरात्रि के 15 दिन पश्चात होली का त्योहार मनाया जाता है, जिसके पीछे भी एक कारण है. शिवभक्त महाशिवरात्रि के दिन पूरी रात आराध्य जागरण करते हैं और इस दिन शिवजी की शादी का उत्सव मनाते हैं.
महाशिवरात्रि का पूजा समय और शुभ मुहूर्त
फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि, 11 मार्च, गुरुवार
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ- 11 मार्च, गुरुवार, दोपहर 2 बजकर 39 मिनट तक
चतुर्दशी तिथि समाप्त- 12 मार्च, शुक्रवार, दोपहर 3 बजकर 2 मिनट तक
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