ईंधन मानव को दिया गया प्रकृति का अनमोल उपहार है. ईंधन से तात्पर्य ऐसे पदार्थों से है जिनका उपयोग वाहनों मशीनों एवं कारखानों में ऊर्जा के स्त्रोत के रूप में होता है. पैट्रोल,डीजल,एल पी जी,लकडी, कोयला ,मीथेन गैस तथा कैरोसीन ईंधन के कुछ उदाहरण हैं. हम अपने दैनिक जीवन में विभिन्न कार्यों को पूरा करने हेतु विभिन्न प्रकार के ईंधनों का प्रयोग करते हैं.
बढ़ती प्रौद्योगिकी और बदलती जीवन शैली के साथ पेट्रोलियम,प्राकृतिक गैसों,कोयले जैसे ईंधनों की खपत में कई गुणा बढ़ौतरी हुई है. ईंधन पर मानव सभ्यता की निर्भरता दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. यद्यपि वर्तमान में अधिकतर ईंधन बहुतायत में उपलब्ध हैं परन्तु यदि हम इन्हें इसी गति पर उपयोग करते रहे तो ये बहुत जल्दी ही समाप्त हो सकते हैं. उर्जा संरक्षण हमारी अगली पीढ़ी के लिए हमारा उत्तरदायित्व है. अतः हर मनुष्य का यह कर्तव्य है कि वह उर्जा संरक्षण में अपना योगदान दे.
एक औसत घर में लगभग सभी प्रकार के क्रियाकलापों जैसे रोशनी, शीतलन व घर के उष्मण के लिए, भेजन पकाने के लिए, टी वी ,कम्प्यूटर व अन्य विद्युत यंत्रों को चलाने के लिए उर्जा की आवश्यकता होती है. उर्जा ने सुबह उठने से लेकर रात के सोने तक मानव जीवन को प्रभावित किया है. इसके बिना जीवनयापन असंभव है. सीमित स्त्रोत तथा अधिक माँग के कारण ऊर्जा को बचाने की अत्यंत आवश्यकता है. ऊर्जा बचत का मतलब कटौती करना नहीं बल्कि कम ऊर्जा खपत वाले आधुनिक घरेलू उपकरणो का उपयोग करके ऊर्जा की खपत में कमी करना है. एक आम घर की उर्जा हितैषी घरों से तुलना करने पर वार्षिक उर्जा बिल को 40 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है. अपने घर के लिए उर्जा संरक्षण योजना विकसित करना पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ -साथ आर्थिक रुप से भी एक सफल प्रक्रिया है.
प्रमुख घरेलू उपकरणों के लिए ऊर्जा बचत के उपाय (Energy saving measures for major home appliances)
बड़े घरेलू उपकरणों में अधिक उर्जा व्यय होती है अतः ऐसे उपकरणों की कार्यक्षमता को विकसित करके विद्युत के उपभोग को उल्लेखनीय रुप से कम किया जा सकता है.
फ्रिज या रेफ्रिजरेटर
आजकल लगभग सभी घरों में फ्रिज का उपयोग होता है जो उर्जा के बहुत बड़े भाग का उपभोग करता है. यदि हम फ्रिज का प्रयोग करते समय निम्नलिखित बातो पर ध्यान दे तो उर्जा खपत को कम कर सकते हैं.
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रेफ्रीजरेटर को गर्म स्थान से दूर ठंडे स्थान पर रखना चाहिए.
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रेफ्रीजरेटर में गर्म भोजन नहीं रखना चाहिए. भोजन रखने से पहले उसे कमरे के तापमान तक ठण्डा करना चाहिए.
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रेफ्रीजरेटर की कण्डसेंर क्वाइल को दीवार से दूर रखना चाहिए ताकि उसको ठंडा होने के लिए पर्याप्त हवा मिल सके.
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रेफ्रीजरेटर का दरवाजा खुला रहने या ठीक से बन्द न होने से भी अधिक उर्जा का उपभोग होता है अतः दरवाजा बार-बार नहीं खोलना चाहिए.
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खराब रेफ्रीजरेटर को प्रयोग में नहीं लेना चाहिए तथा इसका प्लग निकाल देना चाहिए.
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रेफ्रीजरेटर के दरवाजे की गास्केट साफ तथा टाइट होना चाहिए.
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रेफ्रीजरेटर को समय-समय पर डिफ्रास्ट कर देना चाहिए.
टेलिविज़न तथा इलैक्टा्रेनिक्स उपकरण
टेलिविज़न, टेप, डेक, वी.सी.आर/ वी.सी.डी. प्लेयर आदि को रीमोट से ऑफ न करके प्लग स्विच से ऑफ करना चाहिए क्योंकि रीमोट से ऑफ होने के बाद भी वह 10 से 30 वॉट तक विद्युत ऊर्जा की खपत करते रहते हैं.
वाशिंग मशीन
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वाशिंग मशीन 20 प्रतिशत बिजली का उपभेग करती है इसलिए वाशिंग मशीन को फुल लोड पर चलाना चाहिए.
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डिटरजैन्ट का प्रयोग करने के निर्देषों का सावधानी से पालन करना चाहिए.
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रीन्ज़ साइकल में हमेशा ठंडे पानी का उपयोग करना चाहिए क्योंकि 90 प्रतिशत उर्जा पानी को गर्म करने में प्रयोग होती है.
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मशीन में ज़रुरत के अनुसार ही पानी भरना चाहिए.
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कपड़ा धोते समय टाइमर का प्रयोग करना चाहिए.
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गर्मी के मौसम में ड्रायर का प्रयोग न करके कपड़े धूप में ही सुखाने चाहिए.
कपड़े इस्त्री करने की प्रैस
प्रतिदिन कपड़ों को इस्त्री करने से लगभग 1000 वॉट ऊर्जा का उपभोग होता है परन्तु यदि हम एक बार में एक या दो कपड़े इस्त्री करने की अपेक्षा हफते भर के कपड़े इकटठे इस्त्री कर लें तो ऊर्जा बचा सकते हैं.यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि इस्त्री का थर्मोस्टेट सही कार्य कर रहा है. कपड़े इस्त्री करने हेतु सही तापमान निश्चित करें.
माइक्रोवेव ओवन
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माइक्रोवेव ओवन में परम्परागत ओवन से 50 प्रतिशत ऊर्जा तथा समय की बचत होती है तथा खाना साधारण ओवन के मुकाबले आधे समय में बनता है.
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माइक्रोवेव ओवन में खाना बनाते समय पदार्थों की अधिक मात्रा किनारे की तरफ रखना चाहिए क्योंकि माइक्रोवेव ओवन में खाना किनारे से बीच की तरफ पकता है.
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ओवन के दरवाजे में कोई दरार नहीं होनी चाहिए.
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ओवन में भोजन ढक्कन खोलकर बनाना चाहिए.
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ओवन को बार बार न खोलें क्योंकि प्रत्येक बार ओवन के खुलने पर उसका तापमान 4 से 5 डिग्री सेल्सियस कम हो जाता है.
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खाना पकाने से पहले ओवन को कुछ मिनट के लिए गर्म करना चाहिए.
वाटर हीटर (गीजर)
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गर्म पानी के पाइप पर थर्मल इन्सुलेशन को लपेटना चाहिए ताकि ऊष्मा की हानि न हो.
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सही ग्रेड के प्लास्टिक पाइप लाइनों का प्रयोग करना चाहिए.
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गीजर की थर्मोस्टेट की सेटिंग निम्न स्तर अर्थात 60 डिग्री सें. के स्थान पर 50 डिग्री सें. पर करना चाहिए इससे 20 प्रतिशत तक विद्युत ऊर्जा की बचत होती है.
कम्प्यूटर
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जब कम्प्यूटर की आवश्यकता न हो तो उसे ऑफ कर देना चाहिए.
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जब कम्प्यूटर को ऑन रखना आवश्यक हो तो उसके मॉनिटर को ऑफ कर देना चाहिए इससे 50 प्रतिशत विद्युत ऊर्जा की बचत होती है.
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कम्प्यूटर की सैटिंग इस प्रकार करना चाहिए कि आवश्यकता न होने पर वह स्लीप मोड में आ जाए इससे 40 प्रतिशत विद्युत ऊर्जा की बचत होती है.
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लैपटॉप, सैलफोन और डिजीटल कैमरा के बैटरी चार्जर को प्लग में लगा नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि यह ऊर्जा की खपत करते रहते है. अतः इनको प्लग से निकाल देना चाहिए.
रोशनी /प्रकाशीय प्रणाली
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सूर्य के प्रकाश के सही उपयोग हेतु जहाँ तक संभव हो खिड़कियाँ और दरवाजे खुले रखें.
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दिन के समय अधिक से अधिक सौर ऊर्जा का प्रयोग करें.
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आवश्यकता न होने पर विद्युत उपकरणों के स्विचों को बन्द रखें. यह विद्युत ऊर्जा बचत का सबसे अच्छा तरीका है.
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साधरण लैम्पों की जगह सीएफएल का प्रयोग करें इससे 75 प्रतिशत तक विद्युत ऊर्जा की बचत होती है .
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गन्दे बल्ब तथा ट्यूब लाइटें 50 प्रतिशत तक रोशनी कम करते हैं. अतः इनको साफ रखें.
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कमरे में बल्व ऐसी जगह पर होने चाहिए जिससे एक जगह पर रोशनी देने की बजाय वह कई कोनों को आलोकित कर सके.
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स्वचालित प्राणालियाँ विद्युत ऊर्जा की काफी बचत करती हैं जैसे कि इन्फ्रारेड सेंसर, मोशन सेंसर स्वचालित टाइमर स्ट्रीट लाइट हेतु तथा डिमर आदि को, स्वचालित स्विच की तरह ऑन/ऑफ करने हेतु प्रयोग कर सकते हैं.
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आवश्यकता वाली जगह पर प्रकाश करने हेतु टास्क लाइट का प्रयोग करना चाहिए.
कूलर तथा पंखे
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कूलर तथा पंखों में इलैक्ट्रोनिक रेग्यूलेटर का उपयोग करना चाहिए.
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जब आवश्यकता न हो तो पंखों तथा कूलरों के स्विच ऑफ रखें.
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सीज़न शुरु होने से पहले कूलर तथा पंखों की ओवर हॉलिंग कर लेना चाहिए इससे इनकी क्षमता बढ़ जाती है.
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कुलरों में पम्प को ऑन/ऑफ करने हेतु स्वचालित टाइमर स्विच का प्रयोग करना चाहिए. इससे विद्युत ऊर्जा के साथ - साथ पानी की भी बचत होती है.
स्टार रेटिड उपकरणों का प्रयोग (Use of star rated devices)
बी.ई.ई. द्वारा अनुमोदित हायर स्टार रेटिंग के विद्युत उपकरणों का प्रयोग करना चाहिए. यह विद्युत उपकरण ऊर्जा की खपत कम करने के साथ- साथ कार्बन एमीशन को भी कम करते हैं.
खाना पकाने हेतु रसोइ्र्र गैस का प्रयोग व ऊर्जा संरक्षण (Use of cooking gas for cooking and conserving energy)
घर पर हम सबसे ज्यादा ईंधन का उपयोग अपनी रसोई में खाना बनाने के दौरान एल. पी. जी . गैस के उपयोग के दौरान करते हैं. खाना बनाते वक्त उर्जा संरक्षण के विभिन्न उपाय निम्नलिखित हैं.
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चुल्हा जलाने से पहले खाना पकाने की सभी जरुरी सामग्री एक स्थान पर एकत्रित कर लें ताकि चूल्हा जलाने के बाद उन्हें खेजने की प्रक्रिया में ईंधन न गवाना पड़े.
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खाना पकाने में आवश्यकता नुसार पानी का प्रयोग करें. जरुरत से अधिक पानी ईंधन का अपव्यय करता है.
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जब पानी उबलने लगे आंच धीमी कर दें.
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छोटे चुल्हे के प्रयोग से भी ईंधन की बचत होती है.
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फ्रिज से निकाले ठण्डे खाने को पकाने से पहले सामान्य तापमान पर आने दें.
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ईंधन की बचत करने के लिए स्टार लेवल युक्त अथवा आई एस आई मार्क वाले घरेलु एल पी जी चूल्हे खरीदें, इससे लगभग 15 प्रतिशत ईंधन की बचत होती है.
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खाना जल्दी बने और साथ ही साथ ईंधन भी बचे इसके लिए प्रेशर कुकर का प्रयोग करें. प्रैशर कुकर के प्रयोग से ईंधन व समय की बचत होती है.
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खाना पकाने से पहले दाल व चावल भिगो दें.
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ईंधन की बचत करने के लिए सदा ढक्कन लगा कर रखें.
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चौड़ी सतह वाले बर्तनों का प्रयोग करें ताकि उर्जा का अधिकतम उपयोग हो सके.
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खाना पकाने के बाद बर्तनों को अच्छी तरह साफ करें.
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सभी परिवार वालों के साथ इकटठा खाने से भी ईंधन की बचत होती है. बार बार खाना गर्म करने से ईंधन की खपत तो अधिक होती ही है साथ ही भोजन के पोष्टिक तत्व भी नष्ट हो जाते हैं.
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जिन खाद्य पदार्थों को कच्चा खाया जा सकता है उन्हें पकाने में ईंधन की बर्बादी न करें.
खाना पकाने हेतु गैस उपकरणों की जांच तथा बरनर की समय- समय पर सफाई करवानी चाहिए जिससे आंच लाल या पीली के स्थान पर नीली रहे.
लेखिका - कविता शर्मा
कृषि विज्ञान केन्द्र, सुन्दरनगर, जिला मण्डी, हिमाचल प्रदेश
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