हमारे देश के प्रमुख त्योहारों में होली फाल्गुन के माह में पूर्णिमा के दिन बड़े उत्साह और उल्लास के साथ मनाई जाती है. यह त्यौहार कईं नामों से मनाया जाता है और विभिन्न राज्यों के लोग इसे विभिन्न परंपराओं के साथ मनाते हैं. यह त्यौहार विदेशों में भी बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है.
लेकिन कुछ लोग इस दिन रासायनिक होली के रंगों का इस्तेमाल कर अपने और दूसरों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं. आज हम आपको होली में उपयोग करने वाले रंगों के बारे में बताएंगे.
इस दिन लोग एक दूसरे को खूब रंग लगाते है. लेकिन पानी वाले रंगों के साथ होली खेल कर पानी बर्बाद न करें. जितना हो सके प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करें.
प्राकृतिक रंगों से होली खेलना आपके स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा है. इन रंगों के उपयोग से आपको त्वचा सम्बंधित समस्याएं नहीं होती और आपकी त्वचा स्वस्थ रहती है. क्योंकि इन प्राकृतिक रंगों को फूल, सब्जियों, फलों आदि के प्रयोग से घर में भी तैयार किया जा सकता है.
प्राकृतिक रंगों के इस्तेमाल से होने वाले लाभ
यह रंग त्वचा के अनुकूल काम करते हैं.
इन रंगों को आसानी से साफ किया जाता सकता है.
इसमे किसी प्रकार की कोई रासायनिक मिलावट नहीं होती.
पीला रंग बनाने की विधि
पीले रंग का गुलाल बनाने के लिए आप हल्दी और बेसन को अच्छे से मिलाएं या फिर आप सूखे गेंदों के फूलों को भी पीस कर पीला रंग बना सकते हैं.
हरा रंग बनाने की विधि
हरा रंग बनाने के लिए आप ताज़ी मेहंदी की पत्तियों को अच्छे से सुखा लें फिर आप इन पत्तियों को अच्छे से पीस लें. इसके अलावा आप आलू या बेसन के साथ हिना पाउडर को भी मिलाकर कईं प्रकार के हरे रंग बना सकते हैं.
नीला रंग बनाने की विधि
नीला रंग बनाने के लिए आप नीले रंग के गुड़हल के फूलों को अच्छे से पीस कर उसका प्रयोग नीले गुलाल के रूप कर सकते है.
लाल रंग बनाने की विधि
लाल रंग बनाने के लिए आप सिंदूर का इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर आप गुलाब की पंखुड़ियों या लाल गुड़हल के फूलों को अच्छे से पीसकर लाल गुलाल बना सकते है.
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