IYOF 2023: वर्ष 2023 संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित अन्तर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है. वर्ष भर चलने वाले विभिन्न सरकारी, गैर सरकारी आयोजन में मोटे अनाज की खेती का प्रचार प्रसार किया जाएगा. हालांकि भारत में प्राचीन काल में मोटे अनाजों के खाद्य रूप में मान्यता रही है, लेकिन अब यह अनियंत्रित मौसम बदलाव के दौरान विभिन्न मौसमी परिस्थितियों में सुपरफूड का कार्य करेगा. अपेक्षाकृत मिलेट्स जैसे कंगनी, कुटकी, कोदो, चेना, रागी, झंगोरा, बैरी, ज्वार, बाजरा में कम से कम देखभाल की आवश्यकता होती है.
आजकल बाजार में विभिन्न तरह के सप्लीमेंट के रूप में दवाएं, पाउडर उपलब्ध हैं, जिसे चिकित्सीय सलाह के अनुरूप सेवन करना चाहिए, यद्यपि ये ग्रामीण परिवार के निम्न और मध्यवर्गीय परिवार के लिये पहुंच से अभी भी दूर है. अत: मोटे अनाज विकल्प के तौर खुद स्वयं खेती करने, उपभोग और बिक्री के लिये तैयार है. मिलेट्स की खेती हेतु प्रोत्साहन के लिए सरकार समर्थित विभिन्न योजनाएं संचालित है.
तथ्य: मिलेट्स
बाजरा प्रोटीन, फाइबर, खनिज, आयरन, कैल्शियम का एक समृद्ध स्रोत है और इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम है. भारत बाजरा का एक प्रमुख उत्पादक है, जो एशिया के उत्पादन का 80% और वैश्विक उत्पादन का 20% है. भारत की बाजरा की औसत उपज 1239 किग्रा/हेक्टेयर जो कि वैश्विक औसत उपज 1229 किग्रा/हेक्टेयर से भी अधिक है. भारत में उगाई जाने वाली प्रमुख बाजरा फसलें और उनके उत्पादन का प्रतिशत हिस्सा पर्ल बाजरा (बाजरा)–61% हिस्सा, ज्वार (सोरघम)–27%, और फिंगर बाजरा (मंडुआ/रागी)-10% हैं.
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