शहरों के प्रमुख मंदिरों से निकलने वाले फूलों से अब अगरबत्ती, धूपबत्ती, बॉयोफ्यूल बनाने की शुरूआत हो चुकी है। इसके साथ ही तीन महीने प्रयोग के बाद अब इसका उत्पादन भी शुरू किया जा रहा है। यह सारे उत्पाद पूरी तरह से हर्बल होने की उम्मीद की जा रही है जिसे आम जनता आसानी से पसंद करेगी। दरअसल मध्य प्रदेश के उज्जैन में मशहूर महाकाल, हरसिद्धि, कालभैरव, चिंतामन गणेश समेत कई प्रमुख मंदिरों से रोज औसतन 4 टन फूल पत्तियां निकलती है। इनका प्रयोग शिर्डी के साई बाबा मंदिर के तर्ज पर अगरबत्ती बनाने का कार्य मनप्रीतसिंह अरोरा ने जिला प्रशासन के साथ मिल कर शुरू किया है। उन्होंने सबसे पहले महाकाल मंदिर से रोज दो क्विंटल फूलों का कचरा लेकर काम को शुरू किया है। उनको धूपबत्ती, अगरबत्ती बनाने में सफलता मिल गई है जिसे लोगों ने भी काफी ज्यादा मात्रा में पसंद किया है। इसीलिए अब दूसरे चरण में इसकी बड़ी मात्रा में उत्पादन करनें की शुरूआत भी की जा रही है। इस कार्य के लिए मंदिर प्रबंधन समेत, जिला कलेक्टर, नगर निगम को जानकारी देकर योजना पर कार्य शुरू किया गया है।
शामशान में बॉयो फ्यूल का उपयोग
मनप्रीत सिंह बताते है कि मंदिरों से निकले फूलों से बॉयो फ्यूल बनेंगे जिसका उपयोग शमशान में चिता जलाने में किया जा सकता है। यह पूरी तरह से हर्बल होगा। इससे कोई प्रदूषण भी नहीं होगा। मनप्रीत का कहना है कि चूंकि यह सब भगवान पर चढ़ने वाले फूलों से बनेगा इसीलिए किसी को कोई आपत्ति भी नहीं होगी।
गेंदे का तेल निकालने पर जोर
मनप्रीत के मुताबिक एक प्रयोग गेंदे का तेल निकालने का भी चल रहा है। गेंदे के तेल का सबसे ज्यादा प्रयोग औषधियों के निर्माण में किया जाता है। उनका कहना है कि इसमें अगर पूरी तरह से सफलता मिल जाती है तो यह भी एक उत्पाद होगा जो कि दवा कंपनियों को सप्लाई किया जा सकता है।
लोगों को मिलेगा रोजगार
प्लांट को सफल बनाने वाले मनप्रीत सिंह का कहना है कि जो भी मंदिर से फूल को साथ पत्तियां निकलती है उसमें और कई चीजें भी शामिल होती है इसीलिए इस कचरे को फूलों से अलग किया जा रहा है। उनका कहना है इस प्रक्रिया के तहत फूलों को सुखाकर पाउडर बनाया जाता है जिसमें अन्य मसालों को भी साथ में मिलाकर अगरबत्ती व धूपबत्ती बनाने का कार्य किया जाता है। इस कार्य के साथ ही होली के रंगों को भी बनाने में काफी सफलता मिली है। इनका उत्पादन भी शुरू किया जाएगा। उनका कहना है कि इस कार्य के जरिए महिलाओं को विशेष रूप से रोजगार उपलब्ध करवाया जाएगा और साथ ही श्रमिकों को भी फायदा होगा।
किशन अग्रवाल, कृषि जागरण
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