1. Home
  2. ख़बरें

किसान यूनियन की MSP की मांग जायज है या नहीं, पढ़िए पूरी खबर

भारत के किसानों के लिए 19 नवंबर 2021 एक ऐतिहासिक तारीख बन चुकी है, क्योंकि इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा तीन कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया था. इन कृषि कानून की वापसी के लिए करीब एक साल से किसान आंदोलन चल रहा था. यह आजाद भारत (India) के अब तक के सबसे बड़े आंदोलन माना जा रहा था.

कंचन मौर्य
MSP
MSP

भारत के किसानों के लिए 19 नवंबर 2021 एक ऐतिहासिक तारीख बन चुकी है, क्योंकि इस दिन  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा तीन कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया था. इन कृषि कानून की वापसी के लिए करीब एक साल से किसान आंदोलन चल रहा था. यह आजाद भारत (India)  के अब तक के सबसे बड़े आंदोलन माना जा रहा था.

इसके चलते केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने कहा कि शीतकालीन सत्र (Winter Session) के पहले दिन ही केंद्र सरकार कृषि कानून को वापस लेने की प्रक्रिया पर काम करेगी. हालांकि, कृषि कानून के खिलाफ करीब एक साल से दिल्ली की सीमा पर बैठे किसान अभी यहां से उठने के मूड में नहीं हैं. भले ही केंद्र सरकार मान रही थी कि उसने आंदोलन का अंतिम दृश्य लिख दिया है. मगर किसानों की पिक्चर अभी बाकी है. बता दें कि अब भी किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) गारंटी के लिए कानून बनाने पर अड़ गए हैं. तो आइए जानते हैं कि किसानों को इस मांग को पूरा करने पर क्या वित्तीय प्रभाव होगा?

आखिर क्यों यूनियन कर रही है एमएसपी की मांग?

आपको बता दें कि कुछ दिन पहले केंद्र सरकार द्वारा 23 फसलों पर एमएसपी की घोषणा की गई थी.  इसमें 7 अनाज (गेहूं, धान, मक्का, बाजरा, ज्वार, रागी), 5 दलहन (चना, अरहर, मूंग, उड़द और मसूर), 7 तिलहन (सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सनफ्लॉवर, कुसुम, तिलस नाइजरसीड) और 4 व्यवसायिक फसल (गन्ना, कपास, कोपरा और कच्चा जूट) शामिल हैं.

बता दें कि कागजों पर एमएसपी तकनीकी तौर पर सभी फसलों के कम से कम 50 प्रतिशत लागत की वापसी सुनिश्चित करती है. किसानों को फसलों के जो दाम मिलते हैं, वह घोषित एमएसपी से काफी कम होते हैं. चूंकि, एमएसपी को लेकर कोई वैधानिक प्रावधान नहीं है, इसलिए किसान इसे अधिकार के साथ नहीं मांग सकते हैं. ऐसे में यूनियन मांग कर रह है कि केंद्र सरकार वांछित या सांकेतिक मूल्य के बजाए एमएसपी को लेकर कानून बनाए.

ये खबर भी पढ़ें: SBI के अर्थशास्त्रियों ने कृषि कानून की वापसी के बाद बताया 5 सुधारों से होगा कृषि क्षेत्र का कायाकल्प

कैसे लागू होगा कानून?

जानकारी के मुताबिक, एमएसपी पर कानून लागू करने के 3 तरीके हो सकते हैं, जिनकी जानकारी नीचे दी गई है.

पहला तरीका- इसके तहत निजी व्यापारियों और प्रोसेसर पर एमएसपी (MSP) के भुगतान के लिए दबाव बनाया जाए. बता दें कि यह कानून गन्ने की फसल पर पहले से ही लागू है.

दूसरा तरीका- एमएसपी पर कानून लाने के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई), भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) और भारतीय कपास निगम (सीसीआई) जैसी एजेंसियों के जरिए सरकारी खरीद की जाए. बता दें कि पिछले साल इस तरह की खरीद में भारत के धान का उत्पादन लगभग 50 प्रतिशत,  गेंहू का 40 प्रतिशत और कपास का 25 प्रतिशत से अधिक हिस्सा था.

तीसरा तरीका- इसके तहत सरकार ना सीधी खरीद करती है और ना ही निजी उद्योग को एमएसपी देने के लिए मजबूर करती है. बल्कि, किसानों को मौजूदा बाजार की कीमत पर बिक्री की अनुमति देती है.

English Summary: Whether the demand of MSP by farmers is right or not Published on: 30 November 2021, 12:57 PM IST

Like this article?

Hey! I am कंचन मौर्य. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News