देश में आज आनाज की बात करें तो कृषि दृष्टि से यह बहुत ही उन्नत देशों की श्रेणी में आता है. भारत में फसल का विभाजन मुख्यतः तीन भागों में किया जाता है जिन्हें हम रबी, खरीफ और जायद के अनुसार विभाजित करते हैं. इन्हीं के अनुसार हम खेती में तरह-तरह की फसलों को बोने से लेकर काटने तक का समय निर्धारित करते हैं. इन्हीं फसलों में भारत की एक सबसे प्रमुख फसल गेंहूं होती है जिसकी जरुरत आज सभी घरों में होती है.
भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा गेंहू उत्पादक देश है. अगर हम विश्व में इनकी उत्पादकता की बात करें तो हम तीन शीर्ष देशों में चीन, भारत और रूस हैं. भारत में इतने बड़े उत्पादन के बाद भी प्रति व्यक्ति गेहूं की मात्रा केवल 69 किलोग्राम प्रतिव्यक्ति होती है. यह वहीं चीन में प्रतिव्यक्ति इसकी पहुंच लगभग 95 kg/व्यक्ति की पहुंच होती है. लेकिन रूस में प्रतिव्यक्ति गेंहूँ के उत्पादन की बात करें तो यह लगभग 450 kg होती है.
वर्तमान में देश में इतने बड़े उत्पादन के बाद भी आज देश में गेहूं को लेकर कमी आई हुई है. केंद्र सरकार इसकी पूर्ति के लिए भी रूस से गेंहूं के आयात पर विचार कर रही है. भारत में इस बार कुछ मौसमी मार को लेकर अपेक्षा से कम गेहूं के उत्पादन के कारण लगातार गेहूं की कीमतों में बढ़ोत्तरी होती जा रही है. आपको जानकारी के लिए बता दें कि सरकार द्वारा गेंहूं की तय की गई MSP की कीमत 2125 रुपये है. लेकिन गेहूं की कमी को देखते हुए बाज़ार में यह 2500 से लेकर 2600 रुपये प्रति क्विंटल के भाव तक में बिक रहा है.
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इन्हीं बढ़ती कीमतों को देखते हुए भारत सरकार ने रूस से 90 लाख टन गेहूं की खरीद का निर्णय लिया है. अमेरिकी एग्रीकल्चर डिपोर्टमेंट के अनुसार वर्ष 2023 में भारत में गेहूं का उत्पादन 10.8 करोड़ टन होगा. लेकिन भारत सरकार के अनुसार मौसम की मार और ज्यादा बारिश के चलते यह आंकड़ा 10.3 लाख टन उत्पादन की संभावना जताई है. भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022 में गेहूं का कुल उत्पादन 10.77 करोड़ टन था.
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